Oxygen man Saumitra Mandal: सुंदरबन के 'ऑक्सीजन मैन' ने शुरू किया फ्री कोचिंग सेंटर ताकि बेटियों की शिक्षा को मिले जिंदगी

Free Coaching Centre for Girls: सौमित्र ने इस कोचिंग का नाम "नोना द्विपर पाठशाला" रखा है. यह कोचिंग सेंटर लड़कियों को स्कूल सिलेबस की बेहतर समझ हासिल करने में मदद करेगा. खासकर उन लड़कियों के लिए जिनके माता-पिता प्राइवेट ट्यूटर का खर्च नहीं उठा सकते. 

फ्री कोचिंग सेंटर
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 24 मई 2023,
  • अपडेटेड 1:15 PM IST
  • कोविड-19 में सौमित्र बने थे लोगों के रक्षक 
  • फ्री है सौमित्र का कोचिंग सेंटर 

31 साल के सौमित्र मंडल को सुंदरबन के "ऑक्सीजन मैन" के रूप में जाना जाता है. उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान दक्षिण 24-परगना के दूरस्थ गोसाबा ब्लॉक में कई लोगों की जान बचाई थी. अब समाज सेवा में आगे बढ़ते हुए एकबार फिर सौमित्र मंडल ने कक्षा 5वीं से 12वीं तक की लड़कियों के लिए बाली में एक फ्री कोचिंग सेंटर स्थापित किया है. उन्हें उम्मीद है कि यह कोचिंग सेंटर लड़कियों को स्कूल सिलेबस की बेहतर समझ हासिल करने में मदद करेगा. खासकर उन लड़कियों के लिए जिनके माता-पिता प्राइवेट ट्यूटर का खर्च नहीं उठा सकते. 

कोविड-19 में सौमित्र बने थे लोगों के रक्षक 

सौमित्र मंडल भूगोल में ग्रेजुएशन कर चुके हैं. जब महामारी अपने चरम पर थी तो गोसाबा में कोविड-19 रोगियों के लिए साइकिल पर रखकर दवाओं और ऑक्सीजन कॉन्सेन्ट्रेटर और सिलेंडर को पहुंचा रहे थे. हालांकि, सौमित्र अभी भी बेरोजगार हैं, लेकिन कोरोना के समय में किए काम के लिए उन्हें जो भी सम्मान राशि मिली उन्होंने उसे अपने फ्री कोचिंग सेंटर में लगा दिया है. टेलीग्राफ इंडिया के मुताबिक, सौमित्र ने इस कोचिंग का नाम "नोना द्विपर पाठशाला" रखा है. पांच कट्ठा जमीन उनके पिता तारक मंडल ने कलकत्ता में दान कर दी है. 

फ्री है सौमित्र का कोचिंग सेंटर 

सौमित्र ने ये नि:शुल्क कोचिंग सेंटर में छह मई से अब तक 30 छात्राओं ने छात्र के रूप में नामांकन कराया है. पढ़ाई के अलावा, सौमित्र का लक्ष्य इन लड़कियों को सामाजिक बुराइयों और सामाजिक-आर्थिक समस्याओं से अवगत कराना है. रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दो हफ्तों से, कक्षा 5वीं  की नंदिता बैद्य, रिया सना, अंकिता मंडल और अन्य जैसे छात्र सोमवार से शनिवार तक तीन घंटे के लिए सुबह 6 बजे से कोचिंग में भाग ले रहे हैं. इसे लेकर सौमित्र कहते हैं, "मैं यह सुनिश्चित करने की कोशिश करता हूं कि प्रत्येक लड़की अपने स्कूल के पाठों को आनंदमय तरीके से समझे और विषय के अपने डर पर काबू पाए."

केवल लड़कियों के लिए ही फ्री कोचिंग क्यों?

लेकिन सिर्फ लड़कियां ही क्यों? दरअसल, सौमित्र गोसाबा के विभिन्न क्षेत्रों में लड़कों सहित कम से कम 50 अन्य छात्रों को मुफ्त में पढ़ाते हैं. वे कहते हैं, “प्रकृति और गरीबी के प्रभुत्व वाले क्षेत्र में, जहां नौकरियों का दायरा सीमित है, कई लड़कियां जो पहली पीढ़ी की शिक्षार्थी हैं, उन्हें मजबूर किया जाता है स्कूल छोड़ने के लिए. इसलिए मैं यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा हूं कि यहां लड़कियां अपनी पढ़ाई बंद न करें. मैंने उन लड़कियों के लिए एक जगह की व्यवस्था की है जिनके माता-पिता घर पर निजी ट्यूटर का खर्च नहीं उठा सकते.  मैं भाग्यशाली हूं कि मेरे दोस्त और शुभचिंतक मेरे कोचिंग सेंटर का समर्थन कर रहे हैं.”

सौमित्र जहां छात्रों को पढ़ाते हैं, वहीं उन्होंने एक स्वैच्छिक संगठन के सहयोग से एक महिला शिक्षक की नियुक्ति भी की है. सौमित्र इसे लेकर कहते हैं,  "मैं बनगांव निर्वाय वेलफेयर एसोसिएशन का शुक्रगुजार हूं, जिसने शिक्षक को 2,500 रुपये प्रतिमाह देने की पेशकश की है."
 

 

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