12वीं में कम परसेंटेज के बाद भी पा सकेंगे मनचाही यूनिवर्सिटी में एडमिशन, एक्सपर्ट से जानिए CUCET से किसे होगा सबसे ज्यादा फायदा

देश में ऐसे कई अलग-अलग बोर्ड है, कई बोर्ड राज्यों के हिसाब से हैं. इन सभी की  मार्किंग और पढ़ाई बिल्कुल अलग तरीके से होती है. यूपी-बिहार या फिर दूसरे राज्यों के बच्चे दिल्ली के बच्चों के साथ कॉम्पीटीशन नहीं कर पाते, ऐसे में उन्हें भी राजधानी के अच्छे कॉलेज में पढ़ने का मौका नहीं मिलता.  लेकिन अब  इस कॉमन एंट्रेंस टेस्ट के जरिए सभी बच्चों को बराबरी का मौका मिलेगा.

CUCET
मनीष चौरसिया
  • नई दिल्ली,
  • 23 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 10:45 AM IST
  • कोरोना में जिन बच्चों की जिंदगी बदल गई उनके लिए अच्छा अवसर
  • कम परसेंटेज काबिलियत का पैमाना नहीं

यूजीसी के मुताबिक अब दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन कट ऑफ के आधार पर नहीं बल्कि सेंट्रल यूनिवर्सिटी कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (CUCET) के तहत होगा. इसके पहले अमूमन यह देखा जा रहा था कि ऐसे बहुत सारे बच्चे हैं जिनकी 12वीं में 90 परसेंट से नीचे रिजल्ट आता था, ऐसे में दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिलना बहुत मुश्किल हो जाता था. ऐसे में अक्सर कई बच्चे जिन्होंने बहुत मेहनत की होती है, उनके हाथ भी निराशा ही लगती थी. लेकिन अब यूजीसी ने उनके लिए भी रास्ता खोल दिया है. चलिए समझते हैं कि क्या इस निर्णय से मेहनती बच्चों को कोई नुकसान हो सकता है? या इससे सबसे ज्यादा फायदा किस तरह के बच्चों को होगा? 

'कम परसेंटेज काबिलियत का पैमाना नहीं'

मशहूर करियर काउंसलर जितिन चावला कहते हैं कि अमूमन जीवन में तरक्की के लिए किसी इंसान की क्या-क्या खासियत होनी चाहिए -आत्मविश्वास, पब्लिक स्पीकिंग और नॉलेज. लेकिन हमारा एजुकेशन सिस्टम और पैरेंटिंग अब तक ऐसी रही है जो बच्चों को सिर्फ यह सिखाती है कि अगर सफल होना है तो अच्छे मार्क्स लेकर आओ. कई ऐसे बच्चे जो 99 या 100 परसेंट नहीं ला पा रहे थे वह दिल्ली के अच्छे कॉलेजों में दाखिला नहीं ले पाते थे. सिर्फ दिल्ली छोड़िए ऐसे छोटे छोटे शहर जहां के कई बच्चे सिर्फ परसेंटेज की वजह से दिल्ली के अच्छे कॉलेज में नहीं पहुंच पा रहे थे, अब उनको इस कॉमन एंट्रेंस टेस्ट के जरिए मौका मिलेगा. एक्सपर्ट कहते हैं कि मेहनती बच्चों को इससे कोई नुकसान नहीं है, उनके पास तो खोने के लिए कुछ था ही नहीं वो जहां थे वहीं रहेंगे.

'कोरोना में जिन बच्चों की जिंदगी बदल गई उनके लिए अच्छा अवसर'

जितिन चावला कहते हैं कि इससे ऐसे बहुत सारे बच्चों को फायदा होगा जिनका जीवन कोरोना ने पूरी तरह बदल कर रख दिया. कई बच्चे ऐसे हैं जिन्होंने अपने पिता को खोया या फिर दोनों पेरेंट्स को खो दिया. कई बच्चे ऐसे भी रहे जिनके माता या पिता की कोरोना में नौकरी चली गई या फिर उन्हें कम पैसों में काम करना पड़ा जिसके चलते उन बच्चों की शिक्षा पर भी बुरा असर पड़ा. जितिन कहते हैं, “अब जिस बच्चे ने ये सब कुछ देखा होगा उसकी मानसिक स्थिति को समझिए, हो सकता है कि ऐसे बच्चे भी काबिल हों लेकिन माहौल न मिलने से उनके नंबर बहुत अच्छे नहीं आ पाए तो क्या उन्हें अच्छी शिक्षा का हक नहीं.. सीयूसीईटी ऐसे बच्चों को भी  उनका अधिकार दिलाएगी.”   

'पिछड़े बोर्ड के अच्छे बच्चों को मिलेगा मौका'

जितिन चावला कहते हैं कि देश में ऐसे कई अलग-अलग बोर्ड है, कई बोर्ड राज्यों के हिसाब से हैं. इन सभी की  मार्किंग और पढ़ाई बिल्कुल अलग तरीके से होती है. यूपी-बिहार या फिर दूसरे राज्यों के बच्चे दिल्ली के बच्चों के साथ कॉम्पीटीशन नहीं कर पाते, ऐसे में उन्हें भी राजधानी के अच्छे कॉलेज में पढ़ने का मौका नहीं मिलता.  लेकिन अब  इस कॉमन एंट्रेंस टेस्ट के जरिए सभी बच्चों को बराबरी का मौका मिलेगा. सीयूसीईटी का एग्जाम 12वीं की पढ़ाई के आधार पर लिया जाएगा जिसमें बेसिक सवाल होंगे. 


 

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