महावीर मंदिर की रामायण यूनिवर्सिटी में होगी रामायण और संस्कृत व्याकरण की पढ़ाई, अपनी तरह का इकलौता विश्वविद्यालय   

मंगलवार को महावीर मन्दिर की ओर से शिक्षा विभाग को प्रस्ताव के साथ दस लाख रुपये का डिमांड ड्राफ्ट भी दिया गया है. महावीर मन्दिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि वैशाली जिला के इस्माइलपुर में महावीर मन्दिर की लगभग 12 एकड़ जमीन रामायण विश्वविद्यालय के लिए दी गई है.

Ramayan University
सुजीत झा
  • नई दिल्ली,
  • 17 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 9:30 AM IST
  • अपनी तरह का इकलौता विश्वविद्यालय 
  • बनेंगे रामायण पंडित

भारतीय संस्कृति को जगाए रखने के लिए महावीर मंदिर न्यास समिति ने रामायण विश्वविद्यालय के निर्माण की तैयारी शुरू कर दी है. ये विश्वविद्यालय वैशाली जिले के इस्माइलपुर में 12 एकड़ में बनने वाला है. बता दें, विश्वविद्यालय में वाल्मीकि रामायण को केंद्र में रखते हुए सभी भाषाओं में रचित रामायण के पाठ्यक्रम, शोध ज्योतिष, कर्मकांड, योग, आयुर्वेद  और प्रवचन की भी शिक्षा दी जाएगी. 

अपनी तरह का इकलौता विश्वविद्यालय 

महावीर मंदिर का रामायण विश्वविद्यालय सभी तरह के  रामायण के अध्ययन का मुख्य केंद्र होगा. यह विश्व का अपने तरह का इकलौता विश्वविद्यालय होगा, जहां वाल्मीकि रामायण को केंद्र में रखकर गोस्वामी तुलसीदास कृत रामचरितमानस और भारतीय भाषाओं और दक्षिण पूर्व एशिया में प्रचलित सभी तरह के रामायण पर वृहद अध्ययन और शोध कार्य होंगे. 

महावीर मन्दिर ने बिहार निजी विश्वविद्यालय अधिनियम 2013 के तहत रामायण विश्वविद्यालय खोलने का प्रस्ताव शिक्षा विभाग को दिया है. 

सभी सुविधाओं से होगा लैस 

मंगलवार को महावीर मन्दिर की ओर से शिक्षा विभाग को प्रस्ताव के साथ दस लाख रुपये का डिमांड ड्राफ्ट भी दिया गया है. महावीर मन्दिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि वैशाली जिला के इस्माइलपुर में महावीर मन्दिर की लगभग 12 एकड़ जमीन रामायण विश्वविद्यालय के लिए दी गई है. उस जमीन पर विश्वविद्यालय का मुख्य भवन, शैक्षणिक भवन समेत सभी आधारभूत सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा. इसके लिए आवश्यक राशि का प्रबंध महावीर मन्दिर की ओर से किया जाएगा. 

संस्कृत व्याकरण पर विशेष जोर

इसके साथ प्रस्तावित रामायण विश्वविद्यालय में संस्कृत व्याकरण की पढ़ाई विशेष रूप से होगी. महर्षि पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी, पतंजलि रचित महाभाष्य और काशिका, ये तीन ग्रंथ संस्कृत व्याकरण की पढ़ाई के मुख्य आधार होंगे. आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि रामायण और संस्कृत व्याकरण रामायण विश्वविद्यालय में अध्ययन-अध्यापन के मुख्य विषय होंगे. 

बनेंगे रामायण पंडित

रामायण विश्वविद्यालय में सर्टिफिकेट , डिप्लोमा और डिग्री दी जाएगी. डिग्री कोर्स में स्नातक स्तर पर शास्त्री, स्नातकोत्तर के लिए आचार्य, पीएचडी के तौर पर विद्या-वारिधि की उपाधियां दी जाएंगी. रामायण शिरोमणि नाम से एक वर्षीय डिप्लोमा कोर्स होगा, जबकि छह माह का सर्टिफिकेट कोर्स करनेवाले रामायण पंडित कहे जाएंगे. 

इसके अलावा, प्रस्तावित रामायण विश्वविद्यालय में एक बड़ी सी लाइब्रेरी भी होगी. वहां सभी तरह की ज्ञान सामग्रियां उपलब्ध रहेंगी.  रामायण, गीता, महाभारत, वेद, पुराण आदि पर शोध कार्य होंगे और शास्त्रार्थ भी होंगे. 

पांच प्रमुख विषय

आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि रामायण विश्वविद्यालय में आर्थिक स्वावलंबन को ध्यान में रखते हुए पांच प्रमुख विषय पढ़ाए जाएंगे. ये हैं- ज्योतिष, कर्मकांड, आयुर्वेद, योग और प्रवचन. इन विषयों में अलग-अलग स्तर की पढ़ाई कर छात्र आर्थिक रूप से स्वावलंबी हो सकेंगे. ये विश्व का अपनी तरह का इकलौता विश्वविद्यालय होगा जिसमें 2 वर्षों के बाद पढ़ाई की शुरुआत होगी. 

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