Remembering C Rajagopalachari: भारत के अंतिम गवर्नर जनरल की कहानी...जिन्होंने दलितों को दिलाई थी मंदिरों में प्रवेश की अनुमति

अनौपचारिक रूप से राजाजी या सी.आर. के रूप में जाने जाने वाले चक्रवर्ती राजगोपालाचारी भारतीय स्वतंत्रता के लिए एक भारतीय वकील, राजनेता और चैंपियन थे. वह भारत के अंतिम गर्वनर जनरल थे.

Remembering C Rajagopalachari
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 10 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 1:58 PM IST

भारत के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक सी. राजगोपालाचारी का जन्म 10 दिसंबर 1878 को हुआ था. वह भारत के गवर्नर-जनरल थे. उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारत की सेवा की थी. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का नेतृत्व करने के अलावा, उन्होंने मद्रास प्रेसीडेंसी के प्रमुख, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल, भारतीय संघ के गृह मामलों के मंत्री और मद्रास राज्य के मुख्यमंत्री के पद भी संभाले.

राजगोपालाचारी भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न  प्राप्त करने वाले पहले व्यक्तियों में से एक थे. उन्होंने स्वतंत्र पार्टी भी बनाई. वे विश्व शांति और निरस्त्रीकरण के प्रबल समर्थक थे और परमाणु हथियारों के प्रयोग का घोर विरोध करते थे. उनकी जयंती के मौके पर उनके बारे में कुछ अनजानी बातें

1. मद्रास (अब चेन्नई) में प्रेसीडेंसी कॉलेज से कानून का अध्ययन करने के बाद, राजगोपालाचारी ने 1900 में सालेम में अभ्यास शुरू किया. वह 1917 में सालेम की नगर पालिका के अध्यक्ष बने और वहां दो साल तक सेवा की.

2. 1916 में, उन्होंने तमिल साइंटिफिक टर्म्स सोसाइटी का गठन किया, एक ऐसा संगठन जिसने रसायन विज्ञान, भौतिकी, गणित, खगोल विज्ञान और जीव विज्ञान के वैज्ञानिक शब्दों का सरल तमिल शब्दों में अनुवाद किया.

3. वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए और कानूनी सलाहकार के रूप में काम करने लगे. राजगोपालाचारी ने 1917 में राजद्रोह के आरोप के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता, पी. वरदराजुलु नायडू का बचाव किया.

4. जब 1930 में महात्मा गांधी ने दांडी मार्च का नेतृत्व किया, तब राजगोपालाचारी ने तत्कालीन मद्रास प्रेसीडेंसी में नागपट्टिनम के पास वेदारण्यम में ऐसा ही किया और नमक कानून तोड़ा. वह महात्मा गांधी के समाचार पत्र यंग इंडिया के संपादक भी बने.

5. 1937 में मद्रास चुनावों के बाद, कांग्रेस मद्रास प्रेसीडेंसी (अब तमिलनाडु का एक हिस्सा) में सत्ता में आई. राजगोपालाचारी को कांग्रेस पार्टी से मद्रास प्रेसीडेंसी के पहले प्रीमियर के रूप में चुना गया था.

6. साल1939 में राजगोपालाचारी ने मंदिर प्रवेश प्राधिकरण और क्षतिपूर्ति अधिनियम जारी किया, जिसके तहत दलितों और शनारों को मंदिरों में प्रवेश करने की अनुमति दी गई. अस्पृश्यता (untouchbility)और जातिगत पूर्वाग्रह को खत्म करने के लिए यह एक बड़ा प्रोत्साहन था.

7. स्वतंत्रता के बाद, लॉर्ड माउंटबेटन की अनुपस्थिति में, राजगोपालाचारी को भारत के अंतिम गवर्नर-जनरल के रूप में चुना गया था. उनका कार्यकाल 21 जून 1948 से 26 जनवरी 1950 तक रहा.

8. विभाजन के समय उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल भी बनाया गया था. नेताजी सुभाष चंद्र बोस की उनकी आलोचना और बिहार और ओडिशा को पश्चिम बंगाल राज्य में शामिल करने के प्रस्ताव को लोगों और कैबिनेट की कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा. उनकी नियुक्ति का नेताजी के भाई शरत चंद्र बोस ने विरोध किया था.

9. उन्होंने 10 अप्रैल 1952 को मद्रास के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य भाषा के रूप में पेश करने की उनकी नीति का मद्रास के लोगों ने बहुत विरोध किया था.

10. राजगोपालाचारी ने अंततः 13 अप्रैल, 1954 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद उन्होंने लेखन पर ध्यान देना शुरू किया. उन्होंने रामायण का तमिल अनुवाद लिखा, जिसे बाद में चक्रवर्ती थिरुमगन के रूप में प्रकाशित किया गया. इस पुस्तक ने वर्ष 1958 में तमिल भाषा में साहित्य अकादमी पुरस्कार जीता.


 

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