अब शहर और गांव की पढ़ाई में कोई फर्क नहीं रह गया है. इसी पढ़ाई को और बेहतर करने के लिए अब गांव के स्कूलों में बच्चे रॉकेट साइंस पढ़ सकेंगे. उत्तर प्रदेश के कई जिलों के सरकारी स्कूलों में ये बदलाव शुरू हो चुका है. स्कूलों में स्पेस लैब्स खोली जा रही है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के सहयोग से इन लैब्स को बनाया जा रहा है.
हसुदी औसानपुर की पहल
उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले के हसुदी औसानपुर गांव में ये पहल शुरू हुई है. हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार यहां ग्राम प्रधान दिलीप कुमार त्रिपाठी के नेतृत्व में 2021 में पहली ग्रामीण अंतरिक्ष प्रयोगशाला की स्थापना की गई थी. स्थानीय सरकारी स्कूल के पूर्व छात्र, दिलीप त्रिपाठी इसरो के मिशनों से काफी प्रेरित होते थे और वे चाहते थे कि वे छात्रों में वैज्ञानिक सोच पैदा कर सकें.
2 साल की मेहनत के बाद हुआ सपना पूरा
दिलीप कहते हैं, “इन लैब्स को बनाने का लक्ष्य ब्रह्मांड के बारे में आश्चर्य और जिज्ञासा की भावना को बढ़ावा देना था." वे ऐसी जगह बनाना चाहते थे जहां बच्चे वेदर स्टेशन बनाने और बाढ़ की भविष्यवाणी करने के लिए ड्रोन का उपयोग करने का सपना देख सकें. हालांकि, किसी गांव में इस तरह की आकांक्षाएं काफी दूर की बात लगती है.
दो साल में कड़ी मेहनत से जुटाई गई धनराशि और इसरो की पैनलबद्ध एजेंसियों की मदद से, स्पेस लैब बनाई गई. इसमें एक टेलिस्कोप, स्पेसक्राफ्ट रेप्लिका और अलग-अलग साइंटिफिक मॉडल रखे गए हैं.
बच्चे भी हैं काफी उत्सुक
इन नए टूल्स को देखकर बच्चों पर काफी अच्छा प्रभाव पड़ा. कक्षा 8 की छात्रा अवंतिका गुप्ता कहती हैं, “हमने अपने सौर मंडल के लगभग सभी ग्रहों को देखा है. बृहस्पति मंगल की तुलना में बड़ा है, और शनि के चारों ओर के छल्ले दूरबीन से जादुई दिखते हैं.”
इस लैब के बाद उत्तर प्रदेश के दूसरे स्कूलों में भी ऐसा करने की बात चल रही है. 21 जून 2024 को प्रतापगढ़ जिले के बीआरसी सुखपाल नगर में सर सीवी रमन विज्ञानिका स्पेस लैब का उद्घाटन किया गया है. इस लैब को भी इसरो की अंतरिक्ष ट्यूटर एजेंसी के सहयोग से बनाया गया है. इसे लेकर जिला मजिस्ट्रेट संजीव रंजन ने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा, "इस लैब से, बच्चों को विज्ञान में करियर बनाने के लिए प्रेरणा मिलेगी, जिससे वैज्ञानिकों की एक नई पीढ़ी को बढ़ावा मिलेगा.”
इतना ही नहीं इन लैब में इसरो वैज्ञानिकों की आयोजित करवाई गई लाइव क्लास और सेशन भी चलते हैं. साथ ही छात्र एक्सपर्ट्स से सीधे बात कर सकते हैं. साथ ही आगे की ट्रेनिंग के लिए चुनिंदा छात्रों को इसरो भेजने की योजना बनाई जा रही है.