बिहार में रंग ला रही इस आईपीएस अफसर की पहल, ग्रामीण युवाओं के लिए खोली लाइब्रेरी

बिहार में नक्सल प्रभावित रोहतास जिले के रेहल गांव को कुछ समय पहले तक विद्रोहियों का अड्डा कहा जाता था. लेकिन आज इस गांव की तस्वीर बदल चुकी है. कभी गलत रास्तों पर निकलने वाले युवा आज शिक्षा और रोजगार के लिए बैचेन हैं. और इन युवाओं को सही दिशा देने के लिए ही आईपीएस अधिकारी आशीष भारती ने एक खास पहल की है.

IPS Ashish Bharati
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 26 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 1:57 PM IST
  • आईपीएस अधिकारी की नेक पहल
  • ग्रामीण छात्रों के लिए गांव में खोली लाइब्रेरी

बिहार में नक्सल प्रभावित रोहतास जिले के रेहल गांव को कुछ समय पहले तक विद्रोहियों का अड्डा कहा जाता था. लेकिन आज इस गांव की तस्वीर बदल चुकी है. कभी गलत रास्तों पर निकलने वाले युवा आज शिक्षा और रोजगार के लिए बैचेन हैं. 

और इन युवाओं को सही दिशा देने के लिए ही आईपीएस अधिकारी आशीष भारती ने एक खास पहल की है. इस साल की शुरुआत में आशीष को रोहतास जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) के रूप में तैनात किया गया. वह 2011 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. 

ग्रामीण छात्रों के लिए खोली लाइब्रेरी: 

भारती ने विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले और उच्च अध्ययन करने वाले युवाओं की जरूरत को देखते हुए पिछले महीने गांव में एक पुस्तकालय खोला है. पुस्तकालय में बहुत-सी किताबें भी रखी गई हैं. जहां छात्र और नौकरी के इच्छुक उम्मीदवार यूपीएससी और बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षाओं सहित विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी के लिए एक साथ बैठकर पढ़ सकते हैं. 

सिर्फ रेहल नहीं बल्कि दूर-दराज के गांवों के छात्र भी पढ़ने के लिए पुस्तकालय आते हैं. गांव से विद्यार्थी न तो महंगी किताबें खरीद सकते हैं और न ही हर रोज शहर जाकर लाइब्रेरी में पढ़ सकते हैं. ऐसे में भारती की इस पहल से बहुत से छात्रों की समस्या खत्म हो गई है. 

खासकर कि लड़कियों के लिए यह लाइब्रेरी किसी वरदान से कम नहीं है. क्योंकि अब उन्हें अपने गांव से बाहर नहीं जाना पड़ता है. 

प्रतियोगी परीक्षाओं की किताबें हैं मौजूद: 

भारती का कहना है कि एक तलाशी अभियान के दौरान उन्हें यह विचार आया कि दूरगामी गांवों में पुस्तकालय होने चाहिए. वह कुछ युवाओं से भी मिले जो पढ़ाई के लिए उत्सुक थे लेकिन गरीबी और सुविधाओं की कमी के कारण ऐसा करने में असमर्थ थे. 

रेहल से करीब 40 किलोमीटर दूर ढांसा गांव में भी एक पुस्तकालय खोला गया है. यहां प्रतियोगी परीक्षाओं की पुस्तकों के अलावा उपन्यास, लघु कथाओं का संग्रह और साहित्य की अन्य कृतियाँ उपलब्ध हैं. रवींद्रनाथ टैगोर और मुंशी प्रेमचंद जैसे प्रसिद्ध लेखकों की रचनाएँ भी रेहल और ढांसा में नए खुले पुस्तकालयों की अलमारियों को सुशोभित करती हैं. 

शिक्षा से सही मार्गदर्शन: 

भारती का मानना है कि युवाओं को ढालने और उन्हें सही दिशा दिखाने के लिए शिक्षा ही एकमात्र साधन है. जरूरत है तो बस युवाओं का सही मार्गदर्शन करने की. इसलिए वह समय-समय पर लाइब्रेरी पहुंचकर बच्चों से बातचीत करते हैं और कभी-कभी उन्हें प्रशिक्षित भी करते हैं. 

यह पहली बार नहीं है भारती ने इस तरह लाइब्रेरी खोली है. उन्होंने लगभग चार साल पहले मुंगेर जिले के माओवाद प्रभावित धरहरा गांव में भी पुस्तकालय खोला था और यह अभी भी चल रहा है. भारती ने भागलपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान युवाओं के बीच बहुत लोकप्रियता हासिल की. जहां वह अपने अवकाश के दौरान उन्हें मुफ्त में कोचिंग देते थे. 


 

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