संघर्ष की कहानी! कांस्टेबल की भर्ती के लिए करना चाहते थे आवेदन, ‘ट्रांसजेंडर’ का कॉलम न होने पर खटखटाया हाई कोर्ट का दरवाजा

सौरव को 16 साल की उम्र में जब किन्नर होने का अहसास हुआ तो उन्होंने परिवार के तानों से घर छोड़ दिया और सेक्टर-13 स्थित मनीमाजरा मंगलमुखी किन्नर डेरे में रहने लगे. तभी से उनके संघर्ष की कहानी शुरू है.

संघर्ष की कहानी
ललित शर्मा
  • चंडीगढ़ ,
  • 28 जून 2023,
  • अपडेटेड 1:09 PM IST
  • खटखटाया हाई कोर्ट का दरवाजा 
  • 16 साल की उम्र में ही छोड़ दिया था घर

जीवन में संघर्ष तो हर कोई करता है लेकिन उस संघर्ष को अंजाम तक हर कोई नहीं पहुंच पाता है. ऐसे ही व्यक्ति भीड़ से अलग होकर अपना मुकाम हासिल करते हैं और अपनी अलग जगह बनाते हैं. तस्वीरों में जिसे आप देख रहे हैं वह एक ट्रांसजेंडर हैं. दरअसल , चंडीगढ़ में हाल ही में पुलिस कांस्टेबल पद के लिए आवेदन मांगे गए थे लेकिन आवेदन में सिर्फ पुरुष और महिला के लिए कॉलम था जबकि ट्रांसजेंडर के लिए कोई कॉलम नहीं बना था. यहीं से सौरव किट्टू टंक की संघर्ष की कहानी शुरू होती है. चंडीगढ़ पुलिस विभाग में कांस्टेबल पद पर देश के पहले ट्रांसजेंडर के तौर पर सौरव किट्टू टंक ने आवेदन किया था. लेकिन चंडीगढ़ प्रशासन और पुलिस विभाग से अपील करने के बाद कोई राहत नहीं मिली. 

खटखटाया हाई कोर्ट का दरवाजा 

अपने हक की लड़ाई के लिए सौरव ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और हाईकोर्ट ने सौरभ को आवेदन करने का ऑर्डर कर चंडीगढ़ प्रशासन को भी नोटिस दिया है. हाईकोर्ट से मिली राहत के बाद सौरव को पुलिस विभाग की भर्ती के आवेदन के लिए योग्य माना गया है. चंडीगढ़ पुलिस के ऑनलाइन आवेदन फार्म में महिला-पुरुष दो कॉलम हैं. सौरव ने महिला वाले कॉलम में- सौरव किट्टू (ट्रांसजेंडर) लिखकर आवेदन भरा है. 

केवल महिला और पुरुष का कॉलम है 

सौरव ने बताया कि 20 मई 2023 को चंडीगढ़ पुलिस विभाग में कांस्टेबल पद पर आवेदन करने के लिए विज्ञापन आया था. उसने पुलिस में आवेदन करने की कोशिश की, तो मालूम हुआ कि इसमें ट्रांसजेंडर के लिए कोई कॉलम नहीं है. जबकि सिर्फ महिला और पुरुष आवेदक का कॉलम था. 2 जून 2023 को चंडीगढ़ प्रशासन में गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को पत्र लिख अपील की. दोनों ओर से कोई जवाब नहीं आने के बाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. 

16 साल की उम्र में ही छोड़ दिया था घर

सौरव किट्टू ने बताया कि 16 साल की उम्र में जब सौरव को किन्नर होने का अहसास हुआ तो उन्होंने परिवार के तानों पर घर छोड़ दिया और सेक्टर-13 स्थित मनीमाजरा मंगलमुखी किन्नर डेरे में रहने लगे.  मनीमाजरा मंगलमुखी किन्नर डेरे की महंत काजल मंगलमुखी ने सौरव की पढ़ाई करवाई. सौरव ने सरकारी स्कूल से दसवीं और मध्य प्रदेश के भोपाल स्थित स्कूल से 12वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की है. अब चंडीगढ़ के से कॉलेज से ग्रेजुएशन करने की तैयारी है.

सौरव ने बताया कि उन्होंने अक्टूबर 2020 में लद्दाख में स्थित वर्जिन पीक को फतह किया है. छह हजार फीट की ऊंचाई को फतह करने वाला किट्टू देश के पहले ट्रांसजेंडर हैं. 


 

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