School on Wheels: संगरूर में शुरू हुआ पंजाब का पहला चलता-फिरता स्कूल, गरीब बच्चों को जोड़ा जा रहा है शिक्षा से

पंजाब के संगरूर में जिला प्रशासन की पहल पर एक खास स्कूल शुरू किया गया है. इस स्कूल का नाम है School on Wheels. जिसके तहत गरीब बच्चों को शिक्षा से जोड़ा जा रहा है.

School on Wheels
gnttv.com
  • संगरूर,
  • 20 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 11:23 AM IST
  • पंजाब के संगरूर में स्कूल खुद बच्चों के घर तक जा रहा है
  • शहर में School on Wheels यानी कि चलते-फिरते स्कूल की शुरुआत की गई है

शिक्षा पर सबका अधिकार है. बच्चे पढ़े और देश को आगे बढ़ाएं , ये सिर्फ नारा नहीं बल्कि सबकी सोच होनी चाहिए. हर तबके के बच्चे तक शिक्षा की अलख पहुंचे इसलिए पंजाब के संगरूर में एक अनोखी पहल शुरू हुई है. इस शहर में School on Wheels यानी कि चलते-फिरते स्कूल की शुरुआत की गई है.
 
आमतौर पर बच्चे स्कूल तक जाते हैं लेकिन पंजाब के संगरूर में स्कूल खुद बच्चों के घर तक जा रहा है. इस खास स्कूल की शुरुआत पंजाब के मुख्यमंत्री सरदार भगवंत सिंह मान के अपने होम डिस्ट्रिक्ट से शुरू की है. इस स्कूल का आइडिया जिला प्रशासन का है. जिला प्रशासन की कोशिश है कि झुग्गी-झोपड़ियों या कच्ची बस्तियों में रहने वाले बच्चों को उचित शिक्षा मिल सके. 

क्या है यह पहल 
झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चे या तो कभी स्कूल जाते ही नहीं हैं और अगर जाते हैं तो कई बार उनकी पढ़ाई बीच में ही छूट जाती है. इसलिए जिला प्रशासन ने स्कूल ऑन व्हील्स नाम का यह प्रोजेक्ट शुरू किया है. जिसमें चलता-फिरता स्कूल एक बस में बनाया गया है. इस स्कूल में एक टीचर, दो आंगनवाड़ी वर्कर्स, और एक हेल्पर को नियुक्त किया गया है. 

साथ ही, वूमेन एंड चाइल्ड विभाग की ओर से अधिकारी को भी जिम्मेदारी दी गई है. यह बस एक चलता फिरता स्कूल है, जिसमें एक लाइब्रेरी है, बच्चों को पढ़ाने के लिए किताबें हैं. बस को अंदर से इस तरीके से डिजाइन किया गया है कि छोटे बच्चों को आराम से चित्रों के माध्यम से पढ़ाया जा सके. 

बच्चों के घर तक जाता है स्कूल 
हर सुबह 8:00 बजे यह स्कूल कम बस, स्लम एरिया में जाती है और वहां से बच्चों को बिठाया जाता है. बच्चों को सेटल करके उनकी पढ़ाई शुरू हो जाती है. स्कूल ऑन व्हील्स में 30 बच्चे हैं. और बच्चों के परिवार वाले भी बच्चों को स्कूल में जाने पर बेहद खुश हैं. स्लम एरिया में रहने वाले ये बच्चे पहले सड़कों पर भीख मांगते थे. पर अब पढ़ रहे हैं.  

ऐसे भी बहुत से बच्चे हैं जिनकी रुचि पढ़ाई में नहीं है. उनके लिए खास तरह से पढ़ाने का तरीका ढूंढा गया है. बच्चों को उनकी रुचि के हिसाब से कभी बस में. कभी सड़क के किनारे तो कभी बाग-बगीचों में ले जाकर पढ़ाया जाता है. 

जिले के डिप्टी कमिश्नर, जतिंदर योरवल ने बताया कि जिला प्रशासन का यह पहला पायलट प्रोजेक्ट है. जिसमें हमने एक ऐसा स्कूल तैयार किया है जो ऑन रोड है. बच्चों की सुरक्षा का खास ध्यान रखा जाता है. अगर यह प्रोजेक्ट हमारा कामयाब रहा तो हम आने वाले समय में संगरूर में पांच ऐसे और स्कूल लेकर आएंगे. 

(विक्की भुल्लर की रिपोर्ट)

 

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