Inspiring Story: मां के अधूरे सपने को बेटे ने किया पूरा, गरीब बच्चों के लिए Jamui के Kaushal Kishore ने खोली डिजिटल लाइब्रेरी

ग्रामीण इलाकों में शिक्षा का अलख जगाने और अपनी मां के अरमानों को पूरा करने के लिए कौशल किशोर ने डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना की है. प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्र घंटो डिजिटल लाइब्रेरी में बैठकर पढ़ाई करते हैं.

Libbrary (Representative Image/Unsplash)
gnttv.com
  • जमुई,
  • 25 जून 2024,
  • अपडेटेड 10:08 AM IST

कहते हैं कि मां बाप के अधूरे सपने को संतान ही पूरा करता है. कुछ ऐसा ही जमुई में देखने को मिला. एक समय था जब शिक्षिका मां होनहार और गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा देती थी लेकिन मां के गुजरने के बाद बेटा उनके अरमानों और अधूरे सपने को पूरा करने में लगा है. बात कर रहे हैं जमुई के कौशल किशोर की. कौशल जिले के बरहट प्रखंड के ग्रामीण इलाका मलयपुर के रहने वाले हैं. उन्होंने गांव में ही डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना की है. यहां काफी संख्या में छात्र सुबह से लेकर देर रात कर पढ़ाई करते हैं. 

बता दें कि कौशल ने फिलहाल दो कमरों के लाइब्रेरी का निर्माण किया है. जिसमें एक साथ 18 छात्रों के बैठने की व्यवस्था है. चिलचिलाती धूप में छात्रों को पढ़ाई करते समय गर्मी का एहसास न हो इसके लिए उन्होंने कमरे में एसी भी लगा रखा है.

मां के सपने को कर रहे पूरा

कौशल किशोर की माने तो उनकी मां भी एक शिक्षिका थी और वो भी अपने समय में गरीब बच्चों को घर पर ही मुफ्त में शिक्षा प्रदान करती थी. लेकिन उनके गुजर जाने के बाद उनके अधूरे सपनों को पूरा करने के उद्देश्य से उन्होंने अपनी मां के नाम पर डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना की. कौशल किशोर का मानना है कि ग्रामीण इलाकों में प्रतिभा की कमी नहीं है, बल्कि ग्रामीण इलाकों के प्रतिभावान छात्रों की पहचान कर उसे प्लेटफार्म देने के साथ-साथ सहूलियत देने की जरूरत है. 

लाइब्रेरी को सभी सुविधाओं से करेंगे लैस  

उनका ये भी कहना है कि उनके गांव से जिला मुख्यालय की दूरी सात किलोमीटर है. और इस वजह से गरीब छात्रों को जिला मुख्यालय जाकर पढ़ने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था. इसलिए उन्होंने गांव में ही लाइब्रेरी की स्थापना की. उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में इस लाइब्रेरी को और कई तरह की सुविधाओं से लैस किया जाएगा ताकि छात्र संसाधन के अभाव में प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होने से वंचित न रह जाएं.

एक शिफ्ट में 18 छात्रों के पढ़ने की व्यवस्था

मां डिजिटल लाइब्रेरी में छात्र सुबह 7 बजे से लेकर रात के 11 बजे तक पढ़ाई करते देखे जा सकते हैं. यहां पर चार-चार घंटों के चार शिफ्ट में 18-18 छात्र एक साथ पढ़ाई करते हैं. यहां पढ़ाई कर रहे छात्रों का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में इस तरह के लाइब्रेरी खुल जाने से पढ़ने वाले छात्रों को काफी सहूलियत मिल रही है और वो शांत वातावरण में पढ़ पा रहे हैं. उनका कहना है घर में मन से लगातार पढ़ाई नहीं हो पाती थी. कारण कि जब भी वो पढ़ने बैठते तो कोई न कोई काम आ ही जाता था. उनका कहना है कि उन्हें उम्मीद ही नहीं भरोसा है कि यहां पढ़ाई कर छात्र आने वाले दिनों में प्रतियोगी परीक्षाओं में निश्चित रूप से सफलता हासिल करेंगे. 

(राकेश कुमार सिंह की रिपोर्ट)
 

 

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