शिक्षा निदेशालय (डीओई) के अनुसार, दिल्ली सरकार ने अपने स्कूलों में छात्र सलाहकार बोर्ड की शुरुआत की है, जिसमें स्कूली बच्चे विभिन्न नेतृत्व भूमिकाओं के लिए अपने खुद के सलाहकार बोर्ड का चुनाव करेंगे.
डीओई के एक सर्कुलर में कहा गया है कि छात्र सलाहकार बोर्ड (एसएबी) छात्रों की आवाज के रूप में कार्य करेगा और विभिन्न स्कूल गतिविधियों को डिजाइन, प्रबंधन और क्रियान्वित करके छात्रों में स्वामित्व की भावना विकसित करने में योगदान देगा.
चुनाव के समय इन बातों का रखें ध्यान
स्कूलों को सख्त दिशा-निर्देश दिए गए हैं कि इन बोर्डों को समान रूप से विभाजित किया जाना चाहिए. चुनाव से पहले, छात्रों को बोर्ड के प्रतिनिधियों को चुनते समय कुछ बातों का ध्यान रखने के लिए कहा गया है. उदाहरण के लिए, वह छात्र लगातार अपने सहपाठियों की मदद करता हो, कभी दूसरों को परेशान न करता हो आदि.
इस परियोजना को पहले प्रायोगिक आधार पर 20 स्कूलों में शुरू किया जाएगा, और बोर्ड में ग्रेड 7, 8, 9 और 11 के प्रत्येक सेग्मेंट से दो बच्चे शामिल होंगे, जिन्हें अंतर-अनुभागीय चुनावों (इंट्रा-सेक्शन इलेक्शन) के माध्यम से चुना जाएगा.
छात्रों की होगी ट्रेनिंग
डीओई, स्कूल सलाहकार बोर्ड के प्रतिनिधि छात्रों को ट्रेनिंग देगा. ताकि उनमें जिम्मेदारी की एक भावना हो और साथ ही, अपना एक विजन हो. डीओई ने आगे कहा कि एसएबी सदस्यों के लिए प्रशिक्षण कुल मिलाकर दो बार होगा.
बताया जा रहा है कि कक्षा 11 से दो महासचिव SAB का नेतृत्व करेंगे, और इनका चुनाव कक्षा 7, 8, 9 और 11 के SAB सदस्य करेंगे. महासचिव बनने के योग्य होने के लिए, छात्र को SAB का सदस्य होना चाहिए.
शिक्षकों की भी होगी अहम भूमिका
डीओई के अनुसार, एक स्कूल के दो शिक्षकों (एक टीजीटी और एक पीजीटी) को शिक्षक समन्वयक के रूप में नामित किया जाएगा, जिन्हें स्कूल के प्रमुख द्वारा नामित किया जाएगा.
ये शिक्षक, ट्रेनिंग का हिस्सा होंगे और पायलट परियोजना की नियमित प्रतिक्रिया प्रदान करेंगे. डीओई ने कहा कि वे विचारों, डिजाइन कार्यक्रमों और गतिविधियों पर विचार-मंथन करेंगे और एसएबी के छात्रों को विभिन्न कौशल सिखाने के लिए प्रशिक्षण आयोजित करेंगे. यह परियोजना 3 सितंबर से शुरू हुई है, और 11 मई, 2023 तक जारी रहेगी.