बच्चों को नहीं लगेगा संस्कृत से डर! दिल्ली सरकार स्कूलों में चला रही समर वर्कशॉप, खेल-खेल में सीख सकेंगे ये भाषा

भारतीय संस्कृति से जुड़ी संस्कृत भाषा का ज्ञान छात्रों में पिरोने के लिए दिल्ली संस्कृत अकादमी अलग अलग स्कूलों में खास तरह के वर्कशॉप चला रहा है. ये वर्कशॉप सामान्य क्लासरूम जैसे नहीं है क्योंकि इसमें शिक्षक का पढ़ाने का तरीका भी काफी अलग है.

Masti Ki Pathshala
नीतू झा
  • नई दिल्ली,
  • 02 जून 2023,
  • अपडेटेड 5:07 PM IST
  • खेल-खेल में सिखाई जा रही संस्कृत
  • बच्चों के साथ टीचर भी कर रहे मेहनत

गर्मी की छुट्टियों में बच्चे कुछ नया सीख सकें इसे ध्यान में रखते हुए दिल्ली सरकार के स्कूलों में समर वर्कशॉप का आयोजन किया है. इसमें बच्चे पढ़ने लिखने के साथ तरह-तरह की एक्टिविटी में हिस्सा ले सकते हैं. ये वर्कशॉप तब तक चलाया जाएगा जब तक बच्चों की छुट्टियां चल रही हैं. अलग-अलग स्कूलों में अलग-अलग एक्टिविटी सिखाई जा रही है. इसके तहत दिल्ली संस्कृत अकादमी के जरिए एक खास और मस्ती से भरा वर्कशॉप चलाया जा रहा है. अक्सर जहां बच्चे संस्कृत पढ़ने से डरते हैं, वहीं इस वर्कशॉप के जरिए वो हंसते खेलते संस्कृत भाषा को सीख रहे हैं.

खेल-खेल में सिखाई जा रही संस्कृत
भारतीय संस्कृति से जुड़ी संस्कृत भाषा का ज्ञान छात्रों में पिरोने के लिए दिल्ली संस्कृत अकादमी अलग अलग स्कूलों में खास तरह के वर्कशॉप चला रहा है. ये वर्कशॉप सामान्य क्लासरूम जैसे नहीं है क्योंकि इसमें शिक्षक का पढ़ाने का तरीका भी काफी अलग है. बच्चों को यहां कहानी, डांस, गानों और कविताओं के करिए संस्कृत भाषा सिखाई जा रही है. इस वर्कशॉप में बच्चे भी उत्साह के साथ हिस्सा ले रहे हैं. बच्चों के उत्साह और पढ़ाने के इस खास तरीके के बारे में जब गुड न्यूज टुडे की टीम ने वर्कशॉप में बच्चों से बात कि तो उन्होंने बताया कि पहले उन्हें संस्कृत बहुत कठिन लगती थी, संस्कृत की क्लासरूम में कुछ समझ नहीं आता था लेकिन अब इस वर्कशॉप में वो खेल-खेल में संस्कृत सीख रहे हैं.

बच्चों के साथ टीचर भी कर रहे मेहनत
संस्कृत में अपना परिचय देते हुए प्रतिभा विकास विद्यालय की दसवीं कि एक छात्रा ने बताया, पहले उसके लिए संस्कृत किसी चुनौती से कम नहीं था लेकिन आज वो संस्कृत को बहुत पसंद करने लगी है और उम्मीद है कि दसवीं में उनके संस्कृत में अच्छे नंबर आएंगे. दरअसल बच्चों को खेल खेल में संस्कृत सिखाने के लिए उन्हें पढ़ाने वाले शिक्षक भी काफी मेहनत कर रहे हैं.

30 जून तक चलेगी वर्कशॉप
इस वर्कशॉप में पढ़ाने वाली टीचर ने गुड न्यूज टुडे को बताया कि आमतौर पर बच्चों को ब्लैक बोर्ड के जरिए पढ़ाया जाता है. जोकि एक पुराना तरीका है. इसमें बदलाव करके उन्होंने मस्ती की पाठशाला में मस्ती के जरिए बच्चों को संस्कृत सिखाने की शुरुआत की है. बच्चों को संस्कृत समझ आ सके और वो संस्कृत को अपनी रोजमर्रा कि जिंदगी में अपना लें, इसलिए उन्हें आम दिनों में इस्तेमाल होने वाले शब्द खासतौर पर सिखाए जा रहे हैं. खेल-खेल में संस्कृत सिखाने का प्रयास दिल्ली के कई सरकारी स्कूलों में किया जा रहा है. मस्ती की पाठशाला में मस्ती करवाते हुए संस्कृत भाषा सिखाई जा रही है. इसकी शुरुआत 22 मई से की गई है और ये 30 जून तक चलने वाला है.

 

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