CBSE और ICSE की दसवीं और बारहवीं बोर्ड परीक्षा को सुप्रीम कोर्ट ने हाइब्रिड मोड में कराने से इनकार कर दिया. इस मामले में दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने गुरुवार को स्पष्ट कर दिया कि परीक्षा के मोड में कोई बदलाव नहीं होगा. इसका मतलब है कि अब परीक्षा केवल ऑफलाइन मोड में होगी.
सुप्रीम कोर्ट में 6 छात्रों की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं. इस समय बीच में खलल डालना सही नहीं होगा. कोर्ट ने कहा कि सरकार की तरफ से पहले से ही कोविड संकट और प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, जो सीबीएसई का प्रतिनिधित्व कर रहे थे उन्होंने कहा कि परीक्षा केंद्र 6,500 से बढ़ाकर 15,000 किए गए हैं. परीक्षा की अवधि भी 3 घंटे से घटाकर 1.5 घंटे की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि अगर कोविड उपायों में कोई कमी है तो उसे तुरंत दूर किया जाना चाहिए.
अधिकारियों से सावधानी बरतने की उम्मीद
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसे विश्वास है कि अधिकारी पूरी सावधानी बरतेंगे कि छात्रों और कर्मचारियों को किसी भी तरह की दिक्कत का सामना न करना पड़े. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था के साथ कोई खिलवाड़ न करे. अधिकारी अपना काम अच्छे से करें.अब बहुत देर हो चुकी है.ऐसे आखिरी मिनट में बदलाव नहीं किया जाना चाहिए. इस तरीके से 34 लाख बच्चों की परीक्षा कराना संभव नहीं.
छात्रों ने ऑफलाइन मोड के खिलाफ याचिका दाखिल की
दरअसल दसवीं और बारहवीं कक्षा के 6 छात्रों ने केवल ऑफलाइन मोड के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. छात्रों ने ऑनलाइन परीक्षा का विकल्प भी मांगा है. उन्होंने ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों के साथ हाइब्रिड मोड से परीक्षा आयोजित करने की मांग की थी. CBSE की परीक्षाएं जहां 16 नवंबर से शुरू हो चुकी हैं, वहीं ICSE बोर्ड परीक्षा 22 नवंबर से शुरू होगी.
याचिका में कहा गया है ऑफलाइन परीक्षा से कोविड-19 के संक्रमण का खतरा तेजी से बढ़ जाएगा. ये स्वास्थ्य के अधिकार का उल्लंघन है. बिना विकल्प दिए सहमति प्राप्त करना मनमाना और अवैध है. कई छात्रों ने बताया है कि गलत बयानों और जबरदस्ती का सहारा लेकर सहमति हासिल की जा रही है. याचिका में लिखा है कि हाइब्रिड मोड समय की मांग है. ये सोशल डिस्टेंसिंग को मेंटेन रखता है और लॉजिस्टिक बाधाओं पर बोझ कम करता है.
याचिका में कहा गया है कि दिसंबर 2021 में प्रमुख विषयों की परीक्षा तीन सप्ताह तक चलेगी. इससे याचिकाकर्ता संक्रमण के जोखिम में होंगे, जिसका असर बाद की परीक्षाओं पर पड़ सकता है. दिसंबर 2021 में प्रमुख विषयों की परीक्षा से पहले नवंबर 2021 में फिजिकल मोड में अन्य विषयों की परीक्षाएं हैं.
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