बेसिक मैथ्स जैसे जोड़ना-घटाना में कमजोर होते हैं तमिलनाडु के छात्र...बिहार, बंगाल इस लिस्ट में टॉप पर

कम से कम 11 प्रतिशत बच्चों में देखी गई बेसिक मैथ्स की कमी जबकि 37 प्रतिशत बच्चों के पास था सीमित ज्ञान और कौशल. इसे 20 भाषाओं में आयोजित किया गया था.

gnttv.com
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  • 08 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 11:50 AM IST
  • 20 भाषाओं में आयोजित किया गया था टेस्ट
  • सही डेटा निकालना था उद्देश्य

एनसीईआरटी (NCERT)के एक अध्ययन के अनुसार, तमिलनाडु में उन छात्रों की संख्या सबसे अधिक है, जिनमें बेसिक संख्यात्मक कौशल (numeracy skills)की कमी है. इसके बाद जम्मू और कश्मीर, असम और गुजरात का स्थान है. इस वजह से ये छात्र आमतौर पर बेसिक  ग्रेड-लेवल टास्क जैसे संख्याओं की पहचान, जोड़ना, घटाना आदि कामों को पूरा नहीं कर पाते हैं. वहीं दूसरी ओर पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में ऐसे छात्रों की संख्या सबसे अधिक है जिनके पास या तो पर्याप्त ज्ञान और कौशल है या जिन्होंने बेहतर ज्ञान और कौशल विकसित किया है. इस वजह से ये बच्चे कठिन से कठिन ग्रेड-लेवल टास्क पूरा कर लेते हैं. 

कुल मिलाकर, कम से कम 11 प्रतिशत शिक्षार्थियों के पास सबसे बुनियादी संख्यात्मक कौशल की कमी है, जबकि 37 प्रतिशत उस श्रेणी में हैं जो कहते हैं कि शिक्षार्थियों के पास सीमित ज्ञान और कौशल है और वे आंशिक रूप से बुनियादी ग्रेड-लेवल के टास्क को पूरा कर सकते हैं.

सही डेटा निकालना था उद्देश्य
इस डेटा का खुलासा राष्ट्रीय रिपोर्ट में 'पढ़ने की समझ और संख्यात्मकता 2022' के साथ मौखिक पठन प्रवाह के लिए बेंचमार्किंग पर किया गया था. एनसीईआरटी अध्ययन का उद्देश्य ग्रेड 3 के छात्रों के बारे में विश्वसनीय और वैध डेटा निकालना है ताकि यह पता चल सके कि वे मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता में क्या करने में सक्षम हैं. इसके अलावा सीखने के परिणाम भी लिए जा रहे हैं.

20 भाषाओं में आयोजित किया गया था टेस्ट
इसके लिए 10,000 राज्य सरकार के स्कूलों, सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों, निजी मान्यता प्राप्त और केंद्र सरकार के स्कूलों के कक्षा 3 के लगभग 86,000 छात्रों को बड़े पैमाने पर आधारभूत शिक्षण अध्ययन में शामिल किया गया था. यह 20 भाषाओं में आयोजित किया गया था, जिनका उपयोग विभिन्न राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में शिक्षा के माध्यम के रूप में किया जा रहा है. इसमें असमिया, बंगाली, बोडो, अंग्रेजी, गारो, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, खासी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, मिजो, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगु और उर्दू भाषा शामिल है.

अध्ययन में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया कि कक्षा 3 के लगभग एक चौथाई से अधिक बच्चों ने आठ भाषाओं में  मौखिक पढ़ने के लिए टेस्ट दिया और इनमें से अधिकतर ने बहुत अच्छा परफॉर्म नहीं किया. टेस्ट में नंबर आइडेंटिफिकेशन, नंबर डिस्क्रिमिनेशन, जोड़ना, घटाना, भाग, और गुणा,फ्रेक्शन और संख्याओं और आकृतियों वाले पहचान पैटर्न शामिल थे.


 

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