Water Borewell Recharge: मुफ्त में कराए स्कूलों के 30 से ज्यादा सूखे हुए बोरवेल रिचार्ज, 10000 से ज्यादा बच्चों को मिली मदद

कर्नाटक के कई शहरों में तापमान बहुत ज्यादा बढ़ चुका है और कोप्पल जैसी जगहों पर इस समय सूखे की स्थिति बनी हुई है. इस शहर के कई स्कूलों और किसानों को लिए सिकंदर मीरानायक आशा की किरण लेकर आए हैं.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 20 मई 2024,
  • अपडेटेड 1:20 PM IST

भीषण गर्मी के बावजूद कर्नाटक के कोप्पल में स्कूल पानी और हरियाली से भरपूर हैं और इसका श्रेय जाता है बोरवेल रिचार्ज विशेषज्ञ सिकंदर मीरानायक को, जिन्होंने पिछले डेढ़ साल में स्कूलों में 30 से अधिक सूखे बोरवेलों में पानी पहुंचाया है. सिकंदर का एनजीओ, संकल्प ग्रामीण विकास सोसायटी किसानों की उनके बोरवेल को रिचार्ज करने में मदद करती है.  

इसी काम के लिए वह कोप्पल में थे, जब उन्हें जानकारी मिली कि जिले के कई स्कूलों में पीने का पानी नहीं है और कुछ स्कूलों में बोरवेल हैं, लेकिन वे सूख गए हैं. तब उन्होंने एक माइक्रोफाइनेंस कंपनी से संपर्क किया और सीएसआर पहल के माध्यम से फंड इकट्ठा किया, और कोप्पल के स्कूलों में बोरवेल को रिचार्ज करने का काम शुरू किया. यह सारा काम उन्होंने मुफ्त में किया है. 

नहीं मिली सरकारी मदद तो सिकंदर बने मसीहा 
कोप्पल जिला एक सूखा क्षेत्र है और इस क्षेत्र के कई स्कूलों ने बोरवेल की मरम्मत के लिए सरकारी मदद लेने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली. बोरवेल सूख जाने के कारण स्कूल अधिकारियों ने मदद मांगना बंद कर दिया. भूमिगत जलस्तर गिरने से बोरवेल सूखने लगे हैं. किसानों ने 2022 और 2023 में अपनी फसलों को बचाने के लिए टैंकर लाने की कोशिश की, लेकिन कई अन्य लोगों की फसल बर्बाद हो गई. 

साल 2022 के अंत के आसपास, सिकंदर को इसके बारे में पता चला और उसने कोप्पल में फिनकेयर स्मॉल फाइनेंस बैंक से संपर्क किया और स्कूलों की स्थिति के बारे में बात की. मैनेजमेंट सहमत हो गया और इस संयुक्त उद्यम से 10,000 से ज्यादा छात्रों को मदद मिली. 

छात्रों और किसानों के मिली आशा 
सिकंदर का कहना है कि जब उन्हें सूखे बोरवेल के बारे में पता चला तो उन्होंने कुछ स्कूलों का दौरा किया और एक सूची बनाई. रिचार्ज किए गए सभी बोरवेल अब काम कर रहे हैं. उनके प्रयासों से स्कूलों में 30 से ज्यादा बोरवेल और यहां परेशान किसानों के 10 बोरवेल को सफलतापूर्वक रिचार्ज किया गया है. इस प्रयास से न सिर्फ तात्कालिक जल संबंधी समस्या का समाधान हुआ बल्कि किसानों और स्कूली बच्चों में आशा भी जगी. 

एक बार बारिश के पानी से रिचार्ज होने के बाद, ये बोरवेल एक स्थायी जल स्रोत बने रहेंगे. आपको बता दें कि कोप्पल एक गर्म स्थान है और इस बार तापमान 41 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया. इस स्थान के चारों ओर चट्टानी पहाड़ियां हैं, इसलिए यहां गर्मी अधिक होती है. 

 

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