डिस्लेक्सिया, ऑटिज्म और एडीएचडी (अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर) सहित न्यूरोडायवर्सिटी के विविध स्पेक्ट्रम से संबंधित 500 से ज्यादा छात्रों को पुदुचेरी में नॉन-प्रॉफिट ब्रिजेज लर्निंग विद्यालय हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ाया जा रहा है. इस स्कूल को साल 1998 में स्थापित किया गया था. यह पुदुचेरी डिस्लेक्सिया एसोसिएशन की एक यूनिट है.
यह स्कूल न्यूरोडायवर्स व्यक्तियों, ड्रॉपआउट्स और कोविड-19 महामारी में अनाथ हुए बच्चों सहित 6,000 से ज्यादा छात्रों को मेनस्ट्रीम शिक्षा में लाने और उन्हें दुनिया का सामना करने के लिए तैयार करने में सफल रहा है. ब्रिजेज विद्यालय से निकलने के बाद कई छात्रों ने एमबीबीएस, इंजीनियरिंग, बी.कॉम, एमबीए, फोटोग्राफी और अन्य व्यावसायिक कोर्स पूरे किए हैं. कुछ को टीवीएस और लेनोवो जैसी टॉप कंपनियों में प्लेसमेंट मिली है.
कैसे हुई स्कूल की शुरुआत
ब्रिजेज लर्निंग विद्यालय की कहानी 25 साल पुरानी है जब स्पेशल टीचर और चिकित्सक डॉ भुवना वासुदेवन ने पुदुचेरी में लगभग 50 धीमी गति से सीखने वाले छात्रों को पढ़ाते हुए ऑक्यूपेशनल और स्पीच थेरेपी देना शुरू किया था. उन्होंने मीडिया को बताया कि जब कुछ माता-पिता ने अपने बच्चों में सुधार देखा तो उनसे एक स्कूल शुरू करने का आग्रह किया. उन्होंने सरकार और लोगों की वित्तीय मदद से 1998 में यह संस्था शुरू की.
यहां विभिन्न पृष्ठभूमियों के छात्र हैं, जिनमें पढ़ाई में रुचि की कमी वाले, धीमी गति से सीखने वाले, बचपन में आघात, व्यवहार संबंधी समस्याओं वाले और पुलिस द्वारा रेफर किए गए और निगरानी में रहने वाले छात्र भी शामिल हैं. वह आगे कहती हैं कि जागरूकता की कमी के कारण शुरुआती दिनों में माता-पिता के लिए स्कूल जाना मुश्किल हो जाता था लेकिन अब यह स्कूल ऐसे स्पेशल बच्चों के लिए वरदान साबित हो रहा है.
बच्चों को सिखाने का अलग है तरीका
वर्तमान में, थानथाई पेरियार नगर में 6,000 वर्ग फुट में बना यह स्कूल 500 से अधिक छात्रों को समावेशी शिक्षा प्रदान करता है. शिक्षकों को हर एक सत्र शुरू होने से पहले छात्रों के कोर्स के साथ-साथ प्रशिक्षण के संबंध में ओरिएंटेशन दिया जाता है. ब्रिजेज लर्निंग विद्यालय कक्षा I से XII तक के छात्रों के लिए पुदुचेरी बोर्ड सिलेबस का पालन करता है. स्कूल की शिक्षण पद्धति बाल-केंद्रित सुविधा पर फोकस्ड है, छात्रों से उनके स्तर पर जाकर पढ़ाया जाता है और सवालों को उनके दृष्टिकोण से समझा जाता है.
छात्रों को स्कूल में शामिल करने से पहले उनके आईक्यू (इंटेलिजेंस कोशेंट) का मूल्यांकन मालिन के इंटेलिजेंस स्केल की मदद से किया जाता है. पढ़ने, लिखने, विजुअल परस्पेक्टिव, स्पेलिंग, गणित, मेमोरी, कंसंट्रेशन और कई अन्य फैक्टर्स की जांच की जाती है ताकि यह देखा जा सके कि बच्चा किस स्तर पर है और किन क्षेत्रों में विशेष प्रशिक्षण की आवश्यकता है.
बच्चे की शैक्षणिक क्षमता के अनुसार, वे या तो हल्के, मध्यम या गंभीर श्रेणी में होते हैं.
इन बच्चों को पढ़ाने का तरीका मेनस्ट्रीम से अलग है. जैसे जोड़ सिखाने के लिए उंगलियों की काउंटिंग की जगह रंगीन मोतियों का इस्तेमाल करते हैं. नंबर टेबल को याद करने के लिए ऑडियो की मदद लेते हैं. पढ़ाते समय ऑडियो-विजुअल मीडियम का इस्तेमाल करते हैं. यहां शिक्षक सिलेबस को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित नहीं करते हैं, बल्कि यह देखते हैं कि बच्चों ने कितना सीखा है.
छात्रों के लिए है आर्ट थेरेपी
छात्रों को आर्ट थेरेपी भी दी जाती है और योग और ध्यान में प्रशिक्षित किया जाता है. नौवीं कक्षा से, उन्हें जैम और अचार बनाना, होटल प्रबंधन कौशल भी सिखाया जाता है और सड़क सुरक्षा जागरूकता और झील की सफाई जैसी सामाजिक कार्य गतिविधियों में भी शामिल किया जाता है. छात्रों को विषय को बेहतर ढंग से समझाने के लिए कई कला और शिल्प गतिविधियां शुरू की जाती हैं.
परीक्षा के दौरान, जब कोई छात्र संघर्ष करता है, तो शिक्षक उसके पास बैठने में संकोच नहीं करते और उसे समझाने के लिए प्रश्न को कई बार पढ़ते हैं. मार्च 2020 में, ब्रिजेज लर्निंग विद्यालय को कक्षा दस और बारह की बोर्ड परीक्षाओं में लगातार सफल परिणामों के लिए पुदुचेरी की पूर्व उपराज्यपाल किरण बेदी से 'सर्वश्रेष्ठ स्कूल पुरस्कार' मिला.