Positive Story: गरीब और जरूरतमंद बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दे रहा है यह रेलवे इंजीनियर, शुरू की निर्भेद फाउंडेशन

यह कहानी है गाज़ियाबाद के सुशील कुमार मीना की जो भारतीय रेलवे में बतौर रेलवे इंजीनियर कार्यरत हैं. इसके साथ ही, वह एक सामाजिक संस्था, Nirbhed Foundation चला रहे हैं, जिसके जरिए झुग्गी-बस्ती में रहने वाले बच्चों को शिक्षा से जोड़ रहे हैं.

Sushil Kumar Meena with students (Photo: Nirbhed Foundation)
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 25 जून 2024,
  • अपडेटेड 12:43 PM IST

आज का समय ऐसा है जहां हर इंसान को अपनी जिंदगी जीने के लिए दूसरे इंसान के साथ और मदद की जरूरत है. आज जहां प्रतिस्पर्धा हर जगह है, लगभग हर कोई पैसे कमाने के लिए दिन-ब-दिन संघर्ष कर रहा है. और इस सबके बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने से पहले दूसरों के लिए काम कर रहे हैं. आज ऐसे ही एक नेक इंसान के बारे में हम आपको बता रहे हैं. 

यह कहानी है उत्तर प्रदेश में गाज़ियाबाद के रहने वाले सुशील कुमार मीना की, जिन्हें शिक्षा और सामाजिक परिवर्तन के लिए जाना जाता है. निर्भेद फाउंडेशन के संस्थापक, सुशील ने हजारों गरीब और वंचित बच्चों के जीवन में उजाला लाकर उन्हें शिक्षा का महत्व समझाया और उन्हें एक बेहतर भविष्य की राह दिखाई है. 

रेलवे इंजीनियर हैं सुशील 
आपको बता दें कि सुशील का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था. अपनी मेहनत और दृढ़ निश्चय के चलते उन्होंने रेलवे में इंजीनियर की जॉब हासिल की. सफल करियर के बावजूद, सुशील जिंदगी में कुछ और भी करना चाहते थे. कुछ ऐसा जो उनके जीवन को सफल बनाएं. वह जब भी बच्चों को सड़कों पर भीख मांगते या कूड़ा बीनते देखते तो उन्हें लगता कि स्थिति को बदलना चाहिए. 

मीडिया को दिए इंटरव्यूज में सुशील ने कई बार बताया है कि कॉलेज के दिनों से ही वह ऐसे बच्चों को देखते थे जो शिक्षित होने के बजाय थोड़े से पैसे कमाने के लिए बाल मजदूरी करते थे. ये चीज उन्हें बहुत प्रभावित करती थी. जब वह सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे थे, तो उन्होंने ठान लिया कि अगर उनकी सरकारी नौकरी लगी तो वह ऐसे छात्रों की मदद जरूर करेंगे जो कोचिंग की फीस नहीं दे सकते. उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह एक दिन कोई NGO चलाएंगे. 

साल 2015 में शुरू की निर्भेद फाउंडेशन
साल 2015 में सुशील ने निर्भेद फाउंडेशन की स्थापना की. निर्भेद का मतलब है " बिना किसी भेदभाव के - सभी के लिए समानता". इस फाउंडेशन की शुरुआत गरीब और वंचित बच्चों को शिक्षित करने के उद्देश्य से की गयी थी. फाउंडेशन ने शुरुआत में सिर्फ पांच बच्चों के साथ काम किया. लेकिन धीरे-धीरे और भी बच्चे इससे जुड़ने लगे. आज यह फाउंडेशन लगभग 4000 बच्चों को शिक्षा प्रदान करने वाला एक बड़ा संगठन बन गई है. 

शिक्षा के साथ-साथ सुशील ने बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य पर फोकस करना शुरू किया. उनके अलग-अलग सेंटर्स पर पढ़ने वाले बच्चों को पोषण से भरपूर खाना भी दिया जाता है. साथ ही, इन छात्र-छात्राओं के स्वास्थ्य का भी पूरा ध्याव रखा जाता है. खास मौके जैसे दीवाली, स्वतंत्रता दिवस आदि पर बच्चों के लिए सांस्कृतिक उत्सव भी आयोजित किए जाते हैं. सुशील का उद्देश्य बच्चों के पूर्ण विकास पर हैं ताकि ये बच्चे अपने पैरों पर खड़े होकर न सिर्फ अपना बल्कि अपने परिवार का भविष्य भी बदल पाएं.  

 

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