विदेशों में पढ़ाई करने वाले या करने की इच्छा रखने वाले भारतीय छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है. पहले सिर्फ, अमीर परिवारों के बच्चे बाहर पढ़ने जाते थे लेकिन अब एजुकेशन लोन, स्कॉलरशिप आदि की मदद से सामान्य परिवारों के बच्चे भी दूसरे देशों में पढ़ने के सपने को साकार कर रहे हैं.
विदेश मंत्रालय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, कोविड-19 के कारण 2019 में 5,86,337 की तुलना में, 2020 में सिर्फ 2,59,655 भारतीय छात्रों ने विदेश यात्रा की. 2021 में यह संख्या बढ़कर 4,44,553 हो गई. वहीं, साल 2022 की पहली छमाही में विदेशी विश्वविद्यालयों में 2,45,601 छात्रों का नामांकन हुआ.
विदेश में दाखिले के लिए देने पड़ते हैं ये टेस्ट-
TOEFL iBT टेस्ट
भारत से हर साल बहुत से बच्चे दूसरे देशों में पढ़ने जाता है. अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सॉर्स देश है, जहां ग्लोबल आउटफ्लो 7.6 प्रतिशत है. आंकड़ों के अनुसार, लगभग 74% भारतीय छात्र अंग्रेजी बोलने वाले देशों में जाते हैं. जिससे TOEFL iBT उनके लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा बन गई है.
इस टेस्ट को व्यापक रूप से एक प्रमुख अंग्रेजी भाषा की परीक्षा (English Language Test) के रूप में मान्यता दी गई है. इस टेस्ट में अंग्रेजी में छात्रों के पढ़ने, सुनने, बोलने और लिखने की क्षमताओं का आकलन किया जाता है. परीक्षार्थियों को अपने TOEFL iBT स्कोर से अंग्रेजी में आत्मविश्वास से खड़े होने का हौसला मिलता है.
आपको बता दें कि टीओईएफएल आईबीटी टेस्ट संयुक्त राज्य अमेरिका में 100% विश्वविद्यालयों द्वारा स्वीकार किए जाते हैं. साथ ही साथ 160 से अधिक देशों में 11,500 से अधिक विश्वविद्यालयों और अन्य संस्थानों द्वारा कनाडा, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, और यूनाइटेड किंगडम में स्वीकार किया जाता है.
इस टेस्ट का स्कोर दो साल के लिए वैध हैं, और यदि छात्र अपने परिणामों से असंतुष्ट हैं तो वे फिर से परीक्षा दे सकते हैं. इसके अलावा, आप यह टेस्ट घर पर (टीओईएफएल आईबीटी होम वर्जन), या घर पर स्पीकिंग सेक्शन (टीओईएफएल आईबीटी पेपर एडिशन) के बाद परीक्षण केंद्र में व्यक्तिगत रूप से दिया जा सकता है. ।
GRE जनरल टेस्ट
जीआरई जनरल टेस्ट दुनिया भर में ग्रेजुएशन और प्रोफेशनल स्कूलों के लिए सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली प्रवेश परीक्षा है, जिसमें बिजनेस और लॉ प्रोग्राम भी शामिल हैं. इसे अर्जेंटीना से लेकर जिम्बाब्वे तक अंग्रेजी बोलने वाले देशों और उससे आगे के संस्थानों द्वारा मान्यता प्राप्त है, और भारत में भी इसकी स्वीकृति बढ़ रही है. इस परीक्षा को भारत में लगभग 100 ग्रेजुएट मैनेजमेंट प्रोग्राम्स द्वारा स्वीकार किया जाता है, जिसमें भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) जैसे प्रतिष्ठित संस्थान शामिल हैं.
जीआरई टेस्ट विदेशों में पढ़ने के इच्छुक छात्रों के लिए बहुत से विकल्प देता है. क्योंकि इस टेस्ट को न केवल विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित के क्षेत्र में, बल्कि व्यवसाय और कानून में भी स्वीकार किया जाता है. टेस्ट का रिजल्ट पांच साल के लिए वैध होता है.