विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने बुधवार को विदेशी विश्वविद्यालयों के लिए भारत में अपने परिसर स्थापित करने और उन्हें चलाने के लिए कई सारे नियम बनाए हैं. इन नियमों का उद्देश्य एनईपी सिफारिशों के अनुरूप भारत में विदेशी उच्च शैक्षणिक संस्थानों (एफएचईआई) के प्रवेश को सुविधाजनक बनाना और भारत में उच्च शिक्षा को एक अंतरराष्ट्रीय आयाम प्रदान करना है. इसके मुताबिक वैश्विक रैंकिंग में शीर्ष 500 में शामिल संस्थान ही भारत में अपना कैंपस खोल पाएंगे.
यूजीसी के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार ने कहा, "इन नियमों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि (भारत) परिसर में दी जाने वाली शिक्षा मूल देश के मुख्य परिसर के बराबर है और इसका संचालन लागू कानूनों और विनियमों का अनुपालन करता है." यूजीसी का कहना है कि विदेशी विश्वविद्यालय चाहें तो भारत में एक से अधिक कैंपस शुरू कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें अलग से आवेदन करना होगा. यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के नियमों के मुताबिक भारत में विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस में फैकल्टी और कर्मचारियों की भर्ती यूजीसी के भर्ती मानदंडों के तहत की जाएगी.
स्टाफ चुनने की स्वतंत्रता
इन संस्थानों को अपनी फैकल्टी और स्टाफ चुनने की स्वायत्ता दी जाएगी. संस्थानों को पारदर्शी तरीके से शुल्क संरचना घोषित करने की अनुमति होगी. इसकी जानकारी दाखिल प्रक्रिया से 60 दिन पहले देनी होगी. यूजीसी के अध्यक्ष एम.जगदीश कुमार ने कहा कि नियमों का उद्देश्य एनईपी सिफारिशों के अनुरूप भारत में विदेशी उच्च शैक्षणिक संस्थानों (एफएचआई) के प्रवेश को सुविधाजनक बनाना और भारत में उच्च शिक्षा के अंतरराष्ट्रीय आयाम प्रदान करना है. नियमों के अनुसार किसी विशेष क्षेत्र में उत्कृष्ट विशेषज्ञता वाले संस्थानों को भी परिसर खोलने की अनुमति दी जाएगी. यूजीसी ने कहा कि यदि कोई एफएचईआई विदेशी योगदान प्राप्त करना या उसका उपयोग करना चाहता है, तो उसे विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 के तहत पंजीकरण या पूर्व अनुमति प्राप्त करनी होगी और एफसीआरए के तहत कानूनी आवश्यकता का अनुपालन करना होगा.
ऑनलाइन क्लास की इजाजत नहीं
नियमों के मुताबिक फॉरेन यूनिवर्सिटी को भारत में कैंपस लगाने के लिए सभी पात्रता मानदंडों को पूरा करना होगा. इसके अलावा विदेशी विश्वविद्यालय को ऑनलाइन कोर्स, ऑनलाइन क्लास और डिस्टेंस लर्निंग जैसे प्रोग्राम चलाने की भी इजाजत नहीं होगी. नियमों में कहा गया कि विदेशी विश्वविद्यालय ऐसे शिक्षण केंद्र, अध्ययन केंद्र या फ्रेंचाइजी नहीं खोल सकते हैं जो अपने गृह क्षेत्राधिकार या भारत के बाहर किसी अन्य क्षेत्राधिकार में अपने कार्यक्रमों के लिए प्रचार गतिविधियों को करने के लिए मूल इकाई के प्रतिनिधि कार्यालयों के रूप में कार्य कर सकते हैं. भारत में अपने परिसर में कोई भी नया कार्यक्रम शुरू करने से पहले उन्हें आयोग इजाजत लेनी होगी.
अगर नया कोर्स शुरू करना है तो
नियमों के अनुसार भारत में कैंपस शुरू करने वाली फॉरेन यूनिवर्सिटीज को नए कोर्स शुरू करने से पहले यूजीसी से इजाजत लेनी होगी. इसके अलावा कोई भी विदेशी विश्वविद्यालय भारत में लर्निंग सेंटर, स्टडी सेंटर या कोई भी फ्रेंचाइजी नहीं खोल सकता. अपने भारतीय परिसरों में, विदेशी विश्वविद्यालयों को स्नातक, स्नातकोत्तर, डॉक्टरेट और पोस्ट-डॉक्टरेट स्तरों पर प्रमाणपत्र, डिप्लोमा, डिग्री, अनुसंधान और अन्य कार्यक्रमों के पुरस्कार के लिए अध्ययन कार्यक्रम पेश करने की अनुमति दी जाएगी. इसके अलावा दो या दो से अधिक विश्वविद्यालय भारत में परिसर स्थापित करने के लिए सहयोग कर सकते हैं, बशर्ते प्रत्येक संस्थान व्यक्तिगत रूप से पात्रता मानदंडों को पूरा करता हो. प्रत्येक विदेशी विश्वविद्यालय भारत में एक से अधिक परिसर स्थापित कर सकता हैय हालांकि, उन्हें प्रत्येक प्रस्तावित परिसर के लिए आयोग को एक अलग आवेदन करना होगा.
क्या है यूजीसी?
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की स्थापना 1956 में संसद के एक अधिनियम के जरिए की गई थी. इसका मुख्य काम यूनिवर्सिटी एजुकेशन को बढ़ावा देना, विश्वविद्यालयों में शिक्षण, परीक्षा और रिसर्च स्टैंडर्ड को निर्धारित करना है. इसके अलावा यह कॉलेजिएट और यूनिवर्सिटी एजुकेशन के क्षेत्र में होने वाले विकास की निगरानी भी करती है. साथ ही विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के लिए अनुदान भी जारी करती है.
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