Smartphone Ban in Schools: UNESCO ने की स्कूलों में स्मार्टफोन पर ग्लोबल बैन की मांग, क्या है कारण? 

यूनेस्को की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल एक टूल की तरह ही किया जाए. लेकिन इसके साथ ही यह भी कहा गया कि पारंपरिक शिक्षण विधियों को पीछे न किया जाए.

Smartphone Ban in Schools
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 26 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 5:12 PM IST
  • छात्रों की सीखने की क्षमता होती है प्रभावित 
  • आमने-सामने शिक्षा हो 

यूनेस्को (UNESCO) ने वैश्विक स्तर पर सभी स्कूलों में स्मार्टफोन को बैन (Global Ban) करने की मांग की है. इसको लेकर शिक्षा, विज्ञान और संस्कृति पर ध्यान केंद्रित करने वाली संयुक्त राष्ट्र संस्था यूनेस्को की एक रिपोर्ट भी जारी की है. यूनेस्को का कहना है कि स्कूलों को कई मुद्दों के समाधान के लिए स्मार्टफोन पर प्रतिबंध लगाना चाहिए. 

छात्रों की सीखने की क्षमता होती है प्रभावित 

दरअसल, यूनेस्को की रिपोर्ट इस बात पर प्रकाश डालती है कि मोबाइल फोन का ज्यादा उपयोग छात्रों की सीखने नहीं देगा और यह उनकी क्रिएटिविटी को भी एक हद तक मारने का काम करता है. यह शिक्षकों के साथ छात्रों के मानवीय संपर्क को भी कम कर देता है. हालांकि, रिपोर्ट में स्मार्टफोन को केवल एक टूल की तरह ही इस्तेमाल करने के महत्व पर जोर दिया गया है. 

यूनेस्को की रिपोर्ट में क्या कहा गया है? 

यूनेस्को की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल एक टूल की तरह ही किया जाए. लेकिन इसके साथ ही यह भी कहा गया कि पारंपरिक शिक्षण विधियों को पीछे न किया जाए. हालांकि टेक्नोलॉजी के बारे में सभी को पता होना चाहिए. इसे एक बेहतर विकल्प के रूप में इस्तेमाल न करें, बल्कि टूल की तरह करें. 

आमने-सामने शिक्षा हो 

जैसे-जैसे शिक्षा तेजी से ऑनलाइन हो रही है, रिपोर्ट में नीति निर्माताओं से आग्रह किया गया है कि वे आमने-सामने शिक्षण के महत्व को नजरअंदाज न करें. प्रभावी शिक्षण के लिए छात्रों और शिक्षकों के बीच सामाजिक संपर्क जरूरी है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. 

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि देशों को यह सुनिश्चित करना चाहिए शिक्षा में डिजिटल तकनीक फायदेमंद है और नुकसान से बचाती है. लेकिन इसमें भी छात्रों को अपनी प्राइवेसी के बारे में पता होना चाहिए.

रिपोर्ट में यह भी माना गया है कि कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन शिक्षण जरूरीथा, लेकिन इसने समान शैक्षिक अवसरों की आवश्यकता पर बल देते हुए इंटरनेट पहुंच के बिना लाखों छात्रों के सामने आने वाली चुनौतियों पर भी प्रकाश डाला गया है. 

 

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