भारत के स्कूल लगभग एक जैसे होते हैं. बच्चों को किताबों से टीचर पढ़ाते हैं और फिर होमवर्क देते हैं. बच्चे होमवर्क कर बैग में नोटबुक लेकर आते हैं. ज्यादातर लोगों ने ऐसे ही स्कूल में पढ़ाई है लेकिन देश में एक अलग तरह का स्कूल है.
इस स्कूल में बच्चे न बैग लाते हैं, न नोटबुक लाते हैं और न ही कोई होमवर्क मिलता है. इस स्कूल में पढ़ाई किताबों से नहीं फिल्मों से होती है. इस स्कूल के बच्चे स्कूल के बाहर कहीं और से ट्यूशन भी नहीं पढ़ सकते हैं. आइए इस अनोखे स्कूल के बारे में जानते हैं.
कहां हैं ये स्कूल?
बिना कॉपी-किताबों के बच्चों को पढ़ाने वाले इस स्कूल का नाम द लेवलफील्ड स्कूल है. लेवलफील्ड स्कूल (The Levelfield School Bengal) कोलकाता से लगभग 200 किमी. दूर सिउड़ी शहर के पास हुसनाबाद गांव में है. हुसनाबाद पश्चिम बंगाल के वीरभूमि जिले में आता है.
द लेवलफील्ड स्कूल लंदन की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से एफिलेटेड है. इस स्कूल में बच्चों को किताबी और रटी हुई पढ़ाई नहीं कराई जाते हैं. लेवलफील्ड स्कूल बच्चों को अच्छे भविष्य के लिए लायक बनाने पर जोर देता है.
फिल्मों से पढ़ाई
बंगाल के द लेवलफील्ड स्कूल में डिस्कशन के जरिए सिलेबस को पूरा किया जाता है. इसके अलावा ज्यादातर पढ़ाई टेक्नोलॉजी से होती है. इस स्कूल में ब्लैकबोर्ड की जगह प्रोजेक्टर है. कंप्यूटर के जरिए गणित और रीजनिंग को पूरा किया जाता है. टीचर बच्चों को सवाल हल करने में मदद करते हैं.
इस स्कूल में बच्चों की अंग्रेजी अच्छी कराने पर जोर दिया जाता है. बच्चों को फिल्मों के जरिए अंग्रेजी और दूसरे देश की संस्कृति सिखाई जाती है. इसके अलावा बच्चों को कंप्यूटर से ट्विटर पर जरूरी खबरों की जानकारी दी जाती है. बच्चों को हर रोज 150 शब्दों में बताना होता है कि उन्होंने आज स्कूल में क्या सीखा?
स्कूल में नहीं बजती घंटी
बंगाल के इस स्कूल में बच्चों की आवाज कम सुनाई देगी. द लेवलफील्ड स्कूल पूरी तरह से साइलेंस जोन में है. स्कूल में बच्चे और टीचर क्लास रूम और डाइनिंग रूम को छोड़कर कहीं और बात करते हुए नहीं दिखाई देते हैं.
इस स्कूल साइलेंस जोन का इस कदर ध्यान रखा जाता है कि घंटी भी नहीं बजती है. क्लास खत्म होने पर स्कूल में बेल भी नहीं बजाई जाती है. क्लास का टाइम पूरा होने पर स्टाफ का कोई व्यक्ति टीचर को बता देता है. तब टीचर क्लास को पूरा कर बाहर निकल आते हैं.