Normalization System: क्या है UPPSC का नॉर्मलाइजेशन सिस्टम, जिसके विरोध में उतर गए हैं छात्र

उत्तर प्रदेश संघ लोक सेवा आयोग ने प्रतियोगी परीक्षाओं में नॉर्मलाइजेशन सिस्टम लागू करने का नोटिस जारी किया है. आयोग ने इस सिस्टम को पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा 2024 और RO/ARO 2023 भर्ती परीक्षाओं में लागू किया है. छात्र इसका ही विरोध कर रहे हैं. छात्रों का तर्क है कि इस प्रोसेस को अपनाने से अच्छे छात्रों को नुकसान उठाना पड़ेगा.

Students Protest in Prayagraj
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 13 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 1:31 PM IST

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में छात्र संघ लोक सेवा आयोग के बाहर धरना दे रहे हैं. छात्रों का प्रदर्शन PCS 2024 और RO/ARO 2023 प्रारंभिक परीक्षा को 2 दिन में आयोजित करने के फैसले के खिलाफ है. छात्र आयोग के फैसले के खिलाफ धरना दे रहे हैं. छात्रों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होती है, तब तक वो पीछे नहीं हटेंगे. छात्र नॉर्मलाइजेशन सिस्टम को खत्म करने की मांग कर रहे हैं.

आयोग के इस नोटिफिकेशन पर हंगामा-
5 नवंबर को पीसीएस और आरओ/एआरओ परीक्षाओं के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया. आयोग के मुताबिक पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा 7 और 8 दिसंबर को 2-2 सत्र में होगी. नोटिफिकेशन के मुताबिक पहला सत्र सुबह साढ़े 9 बजे से 11.30 बजे तक और दूसरा सत्र दोपहर 2.30 बजे से 4.30 बजे तक तक होनी है. आयोग का कहना है कि 19 जून के आदेश के मुताबिक सेंटर उपलब्ध नहीं होने की वजह से परीक्षा 2 दिन में कराई जाएगी. ये परीक्षा 41 जिलों में होगी.

आयोग ने RO/ARO की परीक्षा के लिए भी नोटिफिकेशन जारी किया. इसके मुताबिक 411 पदों के लिए 22 और 23 दिसंबर को परीक्षा होगी. इसमें भी 2 पाली में परीक्षा होगी. 22 दिसंबर को सुबह 9 बजे से 12 बजे तक और 2.30 बजे से 5.30 बजे तक परीक्षा होगी. जबकि 23 दिसंबर को 9 बजे से 12 बजे तक परीक्षा होगी. छात्र आयोग के इस फैसले से नाराज हैं और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.

नॉर्मनलाइजेशन से होगी परीक्षा-
छात्रों को आयोग के एक और फैसले से नाराजगी है. आयोग ने नॉर्मलाइजेशन को लेकर एक नोटिस जारी किया. आयोग के मुताबिक पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा 2024 और RO/ARO 2023 भर्ती परीक्षाओं में नॉर्मलाइजेशन प्रोसेस होगा. इसमें बताया गया है कि दो से ज्यादा दिनों में होने वाली परीक्षाओं के मूल्यांकन के लिए परसेंटाइल विधि का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके लिए इस्तेमाल होने वाले फॉर्मूले को पब्लिक भी कर दिया गया है.

क्या होता है नॉर्मलाइजेशन-
कोई पेपर कितना मुश्किल है. इसके हिसाब से अंक मिलने के प्रोसेस को नॉर्मलाइजेशन सिस्टम कहा जाताा है. इसके जरिए परीक्षा में मिले अंकों के आधार पर उम्मीदवारों का प्रतिशत स्कोर निकाला जाता है. इस फॉर्मूले के मुताबिक किसी उम्मीदवार का प्रतिशत स्कोर जानने के लिए उनको मिले अंकों के बराबर या उससे कम अंक पाने वाले सभी उम्मीदवारों की संख्या को उस शिफ्ट में मौजूद कुल उम्मीदवारों की संख्या से विभाजित किया जाता है और उसमें 100 से गुणा किया जाता है.

नॉर्मलाइजेशन के विरोध में क्यों हैं छात्र-
छात्र नॉर्मलाइजेशन प्रोसेस का विरोध कर रहे हैं. छात्रों का तर्क है कि 2 शिफ्ट में परीक्षा होने से नॉर्मलाइजेशन लागू होगा. जिसका नुकसान योग्य उम्मीदवारों को भुगतना पड़ेगा. छात्रों का कहना है कि पीसीएस परीक्षाओं में अक्सर गलत प्रश्न पूछे जाते हैं. ऐसे में पहली शिफ्ट की तुलना में दूसरी शिफ्ट में पूछे गए प्रश्न अधिक गलत हो गए तो उम्मीदवारों को कैसे पता चलेगा कि उनको कितने अंक मिले, क्योंकि परसेंटाइल किसी भी शिफ्ट में शामिल छात्रों की संख्या के आधार पर निर्भर होगा. ऐसे में ज्यादा अंक लाने वाले छाात्र का परसेंटाइल भी कम होगा.

आयोग का कहना है कि ये नॉर्मलाइजेशन का प्रोसेस कई जगहों पर इस्तेमाल होता है. इसको लागू करने का फैसला विशेषज्ञों की टीम की समीक्षा के बाद लिया गया है.

उधर, सुप्रीम कोर्ट ने भर्ती परीक्षाओं को लेकर बड़ा फैसला दिया है. जिसमें कोर्ट ने कहा है कि चयन और भर्ती प्रक्रिया के नियम बीच में नहीं बदले जा सकते. जबकि आयोग ने RO/ARO और सब ऑर्डिनेट परीक्षा को लेकर बीच में नियम बदले हैं. इसलिए नियम बदलना सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है.

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