किताब पढ़कर ऑडियो रिकार्डिंग करते थे माता-पिता ताकि दिव्यांग बेटी आईएएस बन सके, हासिल की 48वीं रैंक

आयुषी की इस जर्नी में उनकी मां ने उसका बहुत साथ दिया. आयुषी कहती हैं कि हमारा सपना तो सच हुआ ही है लेकिन आसपास के लोगों ने इस मौके को और खास बना दिया. लोग लगातार मिलने आ रहे हैं, फोन कर रहे हैं. लेकिन असल में मेरी सफलता के पीछे पूरी फैमली ने एक टीम की तरह काम किया.

अपने परिवार के साथ आयुषी
मनीष चौरसिया
  • नई दिल्ली,
  • 02 जून 2022,
  • अपडेटेड 4:57 PM IST
  • बुक पढ़कर ऑडियो रिकार्डिंग करते थे मम्मी पापा
  • एजुकेशन फॉर ऑल है आयुषी का मिशन

मन मजबूत और हौसले बुलंद हो तो सबकुछ संभव हो जाता है. दिल्ली की आयुषी ने ये करके दिखाया है. आयुषी दिव्यांग हैं देख नहीं सकतीं.आयुषी ने UPSC के एग्जाम में 48वीं रैंक हासिल की है. बड़ी बात ये भी है कि आयुषी ने ये उपलब्धि सामान्य कैटेगरी में हासिल की है.

'सपने आंखों से नहीं मन से देखे जाते हैं'
आयुषी कहती हैं कि सपने आंखों से नहीं मन से देखे जाते हैं. मेरे लिए ये सपना मेरी मां ने देखा था. पूरी जर्नी में मां ने बहुत साथ दिया. आयुषी कहती हैं कि हमारा सपना तो सच हुआ ही है लेकिन आसपास के लोगों ने इस मौके को और खास बना दिया. लोग लगातार मिलने आ रहे हैं, फोन कर रहे हैं. लेकिन असल में मेरी सफलता के पीछे पूरी फैमली ने एक टीम की तरह काम किया. कोई स्कूल छोड़ने जाता था कोई कोचिंग. माता-पिता, भाई दिन रात मेरे लिए मेरे हर निर्णय में खड़े रहते थे.

'मम्मी पापा बुक पढ़कर ऑडियो रिकार्डिंग करते थे'
आयुषी कहती हैं कि उन्होंने ठान तो लिया था कि आईएएस बनना है लेकिन 2015 में जब तैयारी शुरू की तो सोशल मीडिया में ज्यादा कंटेट नहीं था. ऐसे में मम्मी पापा मुझे किताब पढ़कर सुनाते थे. मैं उसकी ऑडियो रिकार्डिंग कर लेती थी, फिर उसे बार-बार सुनती थी. इसी तरह मैंने यूपीएससी की तैयारी की. आयुषी ने पहले भी 4 बार कोशिश की थी लेकिन वो सफल नहीं हो पाई थीं. हालांकि आयुषी ने हिम्मत नहीं हारी और 5वीं कोशिश में सफलता हासिल की.

'एजुकेशन फॉर ऑल होगा मिशन'
आयुषी बताती हैं कि जब उनके आसपास के लोगों को यह मालूम हुआ कि वह आईएएस बनना चाहती हैं तो कई लोगों ने उन्हें डिमोटिवेट भी किया. आयुषी पहले ही दिल्ली सरकार के स्कूल में इतिहास की लेक्चरर हैं. ऐसे में कई लोग यह भी कहते थे कि नौकरी तो है ही फिर क्या करना है. हालांकि आयुषी बताती है कि उन्होंने कभी भी लोगों की निगेटिव बातों को दिल से नहीं लगाया. आयुषी कहती हैं कि एक टीचर होने के नाते मैं जानती हूं की शिक्षा का कितना महत्व है. ऐसे में आईएएस बनने के बाद 'एजुकेशन फॉर ऑल' मेरा मिशन होगा.


 

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