कर्ज में डूबे किसान की बेटी अरुणा ने UPSC में हासिल की 308 वीं रैंक, बोलीं- हमेशा देश के किसान के चेहरे पर देखना चाहती हूं मुस्कान

अपनी 7-8 सालों की मेहनत के बाद यूपीएससी की ट्रेनिंग कराने में एक्सपर्ट बन गई थी अरुणा महालिंगप्पा. इसलिए उन्होंने बाकी बच्चों की मदद करने के लिए ट्रेनिंग एकेडमी भी खोली

UPSC
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 31 मई 2022,
  • अपडेटेड 4:04 PM IST
  • अरुणा ने बाकी बच्चों की मदद के लिए खोली ट्रेनिंग एकेडमी
  • अरुणा ने पिता की मौत के बाद UPSC को चुनौती की तरह लिया

2021 यूपीएससी (UPSC )में 308वीं रैंक हासिल करने के बाद, अरुणा महालिंगप्पा उन किसानों के बच्चों के लिए एक प्रेरणा बन गई हैं, कर्ज में डूबे हुए हैं. अपने कर्ज में डूबे पिता को खोने के बाद अरुणा ने यूपीएससी को एक चुनौती की तरह लिया और हर हाल में इसे हासिल करना चाहा. चूंकि उसने जनरल क्वालिफिकेशन कोटे में परीक्षा लिखी थी, इसलिए उसे आईआरएस मिलने की संभावना है, जिससे वह संतुष्ट है. 

दरअसल, अनाज की कीमतों में गिरावट और अन्य कारणों से अरुणा के पिता पूरी तरह कर्ज में डूब चुके थे.  उनके पास कर्ज लौटाने के लिए पैसे नहीं थे और उन्होंने खुदखुशी कर ली. जब यह हादसा हुआ तब अरुणा सिद्धगंगा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में बीई इंस्ट्रुमेंटेशन टेक्नोलॉजी के दूसरे सेमेस्टर में थी. 

ट्रेनिंग एकेडमी खोल बाकी बच्चों को भी किया गाइड  

अरुणा को अपने इस सफर में बहुत कुछ देखना पड़ा और कई परेशानियों का सामना करना पड़ा. सेहत को लेकर भी कई बार उसे दिक्कतें होती. कोरोना महामारी के कारण भी एक बार उसकी मेहनत बर्बाद हुई थी.  अपने 7-8 सालों के प्रयासों के दौरान, वह यूपीएससी में एक एक्सपर्ट बन गई और दो महीने पहले बाकी कैंडिडेट्स को गाइड करने के लिए उन्होंने एक ट्रेनिंग एकेडमी शुरू की. 

किसानों के चेहरे पर मुस्कान देखना चाहती हैं अरुणा

अरुणा ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्होंने अपने पिता को कर्ज में खो दिया, क्योंकि रेशम कोकून की कीमतें गिर गईं, और इसने हमारी आय के स्रोत को प्रभावित किया. इन सबके जरिए उन्होंने अपनी चार बेटियों और बेटे को पढ़ाया. उन्होंने कहा कि अब वह देश के सभी किसानों के चेहरे पर मुस्कान देखना चाहती हैं. 

परिवार ने धीरे-धीरे कर पिता के आत्महत्या के सदमे से पार पा लिया था लेकिन, एक कमी हमेशा रहती है. मां विमलाक्षी ने एसएसएलसी की पढ़ाई की है, उन्होंने कृषि और परिवार की जिम्मेदारी उठाई. स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण कुछ समय बाद परिवार ने एक बेटी को भी खो दिया, जो एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही थी. अरुणा कर्नाटक-आंध्र प्रदेश सीमा पर सिरा तालुक के सुदूर तडकालुरु गांव की रहने वाली है. 

ये भी पढ़ें : 

Read more!

RECOMMENDED