आधार की तरह ही अब छात्रों की भी एक अलग आइडेंटिटी यानी पहचान होगी. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री 'एपीएएआर' बनाने की योजना बनाई है. मंत्रालय ने सभी राज्यों को एपीएआर नामांकन प्रक्रिया शुरू करने के लिए छात्रों के अभिभावकों की सहमति लेने का निर्देश दिया है. प्री-प्राइमरी से लेकर हायर एजुकेशन तक के सभी छात्रों के लिए ये आईडी कार्ड बनाए जाएंगे.
क्या है APAAR?
ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री- APAAR (वन नेशन, वन स्टूडेंट आईडी) एक एजुकेशन इकोसिस्टम रजिस्ट्री या 'एडुलॉकर' है. इसके तहत सभी छात्रों का एक 12 अंकों का एक यूनिक कोड होगा. यह पूरी तरह से आधार कार्ड की तरह होगा, जिस पर छात्रों का यूनिक कोड प्रिंट होगा.
इस साल मई की शुरुआत में एनईटीएफ ( नेशनल एजुकेशनल टेक्नोलॉजी फोरम) के प्रमुख डॉ. अनिल सहस्रबुद्धे ने एक ऐसा सिस्टम के बनने की बात कही थी जिसमें पूरा एजुकेशन सिस्टम समाहित हो. एनईटीएफ एक autonomous body है, जिसे एनईपी 2020 के तहत स्थापित किया गया था.
कुछ मिनटों में मिलेगी पूरी जानकारी
आधार आईडी पर लिया गया डेटा एपीएएआर आईडी का आधार होगा. इसके जरिए स्टूडेंट से रिलेटेड सारा डेटा एक ही जगह पर मिल जाएगा. इस आईडी के लिए माता-पिता की सहमति की आवश्यकता होगी. इसका डेटा गोपनीय रहेगा और जरूरत के वक्त ही केवल सरकारी एजेंसियों के साथ साझा किया जाएगा.
बच्चों को इससे क्या फायदा होगा?
APAAR या EduLocker छात्रों के लिए एजुकेशन जर्नी और उपलब्धियों की ट्रैकिंग के लिए बनाया गया एक यूनीक आईडी नंबर होगा. वे अपने रिजल्ट, अचीवमेंट, ओलंपियाड में रैंकिंग या स्किल ट्रेनिंग जैसी चीजों के रिकॉर्ड यहां मौजूद रहेंगे. इसके अलावा, एक स्कूल से दूसरे स्कूल में स्थानांतरित होने वाले छात्रों को देश के किसी भी हिस्से में नए संस्थान में प्रवेश पाने में कम परेशानी का सामना करना पड़ेगा. साथ ही 18 साल पूरे होने पर उनका नाम खुद मतदाता पहचान पत्र के लिए शामिल किया जा सकता है. अपार आईडी की मदद से विद्यार्थियों को क्रेडिट स्कोर मिलेगा. इसका फायदा उन्हें उच्च शिक्षा और नौकरी के समय पर होगा.