Relation of planets with Education: आपके बच्चों की शिक्षा का किन ग्रहों से है संबंध, कैसे पा सकते हैं पढ़ाई में सफलता, यहां जानिए सबकुछ 

बच्चे का जीवन मुख्य रूप से चंद्रमा से संचालित होता है. इसके अलावा बच्चे पर कुछ प्रभाव बुध का भी होता है. बच्चे का स्वास्थ्य और एकाग्रता सूर्य से भी संबंध रखती है. बच्चे पर चंद्र, सूर्य और बुध गहरा असर डालते हैं. बच्चे का खान-पान और पारिवारिक माहौल भी बच्चे की शिक्षा पर असर डालता है.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 23 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 1:55 AM IST
  • ग्रहों को मजबूत बनाकर बच्चों को सफलता का चखा सकते हैं स्वाद 
  • बच्चे का जीवन मुख्य रूप से चंद्रमा से होता है संचालित 

जब संतान होती है सफल, तब माता पिता को सुकून मिलता है. जब औलाद कामयाब होती है तो पूरे परिवार को खुशियां बेहिसाब मिलती हैं. हर मां-बाप चाहते हैं संतान की सफलता. संतान की अच्छी शिक्षा. संतान के लिए बेहतरीन करियर और जीवन. संतान का आगे का जीवन बेहतर हो उसके लिए जरूरी है कि उसे अच्छी शिक्षा मिले लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आपके बच्चों और उनकी शिक्षा का भी ग्रहों से संबंध है. आइए जानते हैं बच्चों की शिक्षा का ग्रहों से क्या संबंध है? 

बच्चे की शिक्षा का किन ग्रहों से है संबंध 
बच्चे का जीवन मुख्य रूप से चंद्रमा से संचालित होता है. इसके अलावा बच्चे पर कुछ प्रभाव बुध का भी होता है. बच्चे का स्वास्थ्य और एकाग्रता सूर्य से भी संबंध रखती है. बच्चे पर चंद्र, सूर्य और बुध गहरा असर डालते हैं. बच्चे का खान-पान और पारिवारिक माहौल भी बच्चे की शिक्षा पर असर डालता है. इसका मतलब है कि इन ग्रहों की स्थिति ही बताती है कि बच्चे शिक्षा में किस तरह आगे बढ़ेंगे. ज्योतिष के अनुसार अब पहले ये समझिए कि शिक्षा के मामले में बच्चे कब सफल होते हैं और कब नहीं.

शिक्षा में कब मिलती है सफलता और असफलता
पंचम भाव के मजबूत होने पर शिक्षा में सफलता आसान हो जाती है. वायु तत्त्व की प्रधानता होने पर शनि या बृहस्पति के मजबूत होने पर आधी रात या मध्य दोपहर का जन्म होने पर बिना कोशिश के ही बहुत ज्ञान मिलता है. जब संतान सफल होती है तो पूरा परिवार हर्ष से भर जाता है लेकिन संतान के विफल होने पर खुशियों पर ग्रहण लग जाता है. आइए जानते हैं आखिर कब संतान को शिक्षा में विफलता हाथ लगती है. पंचम भाव खराब होने पर बृहस्पति के दूसरे या पांचवे भाव में होने पर अग्नि तत्त्व की मात्रा ज्यादा होने पर यानी सूर्य या मंगल की खराब स्थिति होने पर बच्चों को शिक्षा में असफलता मिलती है. ज्योतिषी कहते हैं ग्रहों की स्थिति का बच्चे के सफल होने या असफल होने में बहुत बड़ा हाथ है. ग्रहों को मजबूत बनाकर बच्चों को सफलता का स्वाद चखाया जा सकता है.

अपने बच्चे का पढ़ाई में ऐसे लगाएं मन 
1. बच्चे के पढ़ने की एक ही जगह निश्चित कीजिए. 
2. वहां पर चन्दन की सुगंध का प्रयोग करें.
3. वहां भगवान कृष्ण का चित्र भी लगाएं.
4. बच्चे के पढ़ने के स्थान पर खूब प्रकाश का प्रयोग करें.
5. बच्चे को पढ़ाते समय मन को शांत रखें. 

बच्चा पढ़ा हुआ याद न कर पा रहा हो तो क्या करें 
1. बच्चे को रोज प्रातः गायत्री मंत्र पढ़कर सुनाएं.
2. बच्चे के माथे या कंठ पर चन्दन का तिलक लगाएं.
3. बच्चे को एक साथ बहुत सारा खाना न खिलाएं.
4. बच्चे को अखरोट जरूर खिलाएं. 

परीक्षा में सफलता के लिए कारगर उपाय
यदि आपका बच्चा परीक्षा के नाम से घबराता हो और परीक्षा से पहले उसे उसका एग्जाम बिगड़ने का डर सताता हैं आइए जानते हैं क्या करें. बच्चे को नित्य प्रातः सूर्य को प्रणाम करना सिखाएं. बच्चा 9 या 27 बार गायत्री मंत्र पढ़ सके तो उत्तम होगा. बच्चे के पेंसिल बॉक्स का रंग पीला या हरा रखें. बच्चे को चन्दन की सुगंध लगा रुमाल दें. ज्योतिष शास्त्र में हर समस्या के लिए एक महाउपाय बताया गया है. ऐसा ही एक उपाय संतान को आत्मविश्वास से भरने के लिए भी है. जानकार बताते हैं कि परीक्षा से पहले इन उपायों को अपनाकर आप अपनी संतान का करियर संवार सकते हैं. 

परीक्षा के समय में किन बातों का रखें ध्यान 
परीक्षा को लेकर बच्चे के ऊपर बहुत ज्यादा दबाव न बनाएं. बच्चे को बहुत ज्यादा तेल मसाला और फ़ास्ट फूड न खिलाएं. बच्चा यदि केला और हरी सब्जियां खाए तो अच्छा होगा. बच्चे से दिन में एक बार थोड़ी प्रार्थना करवाएं. परीक्षा के ठीक पहले बच्चे को कोई नया रत्न धारण न करवाएं. सनातन संस्कृति में हर शुभ कार्य को करने से पहले भगवान की उपासना करने की परंपरा रही है. चाहे चुनौती कैसी भी हो ईश्वर की आराधना और मन में सकारात्मक सोच रखने से बड़ी से बड़ी मुसीबत भी चुटकियों में हल की जा सकती है. संतान संबंध समस्या को खत्म करने के लिए आप इन उपायों को अपना सकते हैं. आपकी संतान की शिक्षा के साथ जुड़ा है एक महामंत्र भी. जिसे सबसे चमत्कारी, सबसे प्रभावशाली माना गया है. कौन सा है वो महामंत्र हम बता रहे हैं. कहते हैं कि जब देवताओं को पाना होता है वरदान वो भी करते हैं मां गायत्री के दिव्य मंत्र का आह्वान. बच्चों के लिए सौगात है गायत्री मंत्र का नियमित जाप. गायत्री मंत्र शुद्धता, शक्ति और संयम का मंत्र है. शास्त्रों में ऐसा वर्णन मिलता है कि आकाशवाणी से ही सृष्टि के रचयिता को गायत्री मंत्र प्राप्त हुआ था. 

कब करें गायत्री मंत्र का जाप 
पौराणिक मान्यताओं के आधार पर ब्रह्म देव जब सृष्टि की रचना के प्रारंभ में थे, तब उन पर गायत्री मंत्र प्रकट हुआ था. उन्होंने ही सर्वप्रथम गायत्री माता का आह्वान किया. अपने मुख से गायत्री मंत्र की व्याख्या की. इस तरह से गायत्री माता का प्रकाट्य हुआ. गायत्री माता से ही चारों वेद, शास्त्र आदि पैदा हुए. गायत्री मंत्र की शक्ति का सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चों के मन पर होता है. विद्यार्थि अगर इस मंत्र का नियम अनुसार 108 बार जाप करें तो उन्हें सभी प्रकार की विद्या प्राप्त करने में आसानी होती है. बच्चे की शिक्षा में सुधार के लिए गायत्री मंत्र का जाप सुबह के समय करना लाभदायक होगा. चन्दन या गुगुल की सुगंध का प्रयोग करें. धीरे धीरे बोल-बोलकर इसका जाप करें. कम से कम 27 या 108 बार जाप करें. यदि कोई बच्चा छोटा है और इसका जाप नहीं कर सकता तो उसके समक्ष मंत्र का जाप करें. प्रसाद में केसर या मिसरी अर्पित करें. बच्चे को खाने के लिए दें. माना जाता है कि गायत्री मंत्र इतना असरदार है कि अगर इसका नियमित जाप मानसिक रुप से कमजोर बच्चे के सामने भी किया जाए तो उसका मस्तिष्क भी सामान्य बच्चों की तरह हो सकता है. उसकी वाणी में भी निखार आ सकता है.
 

 

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