World Student Day: छोटी उम्र के बड़े कारनामे! Solar Powered Iron Cart से लेकर Seed Sowing Shoes तक... दुनिया बदल सकते हैं इन छात्रों के इनोवेशन

Student's Innovations: भारत में हर साल 15 अक्टूबर को World Student Day मनाया जाता है. यह दिन पूर्व राष्ट्रपति और प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. अब्दुल कलाम के जन्मदिन के सम्मान में मनाया जाता है.

Vinisha Umashankar and Nikhiya Shamsher (Photo: Instagram and X)
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 14 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 3:38 PM IST

भारत के पूर्व राष्ट्रपति और प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. अब्दुल कलाम के जन्मदिन के सम्मान में हर साल 15 अक्टूबर को विश्व छात्र दिवस मनाया जाता है. डॉ. कलाम शिक्षा के प्रबल समर्थक थे और मानते थे कि छात्रों में दुनिया में बड़ा बदलाव लाने की शक्ति है. वह विज्ञान और प्रौद्योगिकी, विशेषकर मिसाइल विकास और अंतरिक्ष अनुसंधान में अपने काम के लिए जाने जाते थे, लेकिन उनमें युवाओं को पढ़ाने और प्रेरित करने का भी विशेष जुनून था. 

आज इस मौके पर हम आपको बता रहे हैं कुछ इनोवेटिव छात्रों के बारे में, जिन्होंने ऐसे आविष्कार किए हैं जिनमें समाज में बदलाव लाने की झमता है. 

विनिशा उमाशंकर, सोलर पावर्ड आयरन कार्ट 
तमिलनाडु में तिरुवन्नामलाई की विनिशा उमाशंकर ने एक सोलर पावर्ड आयरन कार्ट बनाई है. विनिशा 12 साल की थीं जब उन्होंने एक दिन स्कूल से घर जाते समय, एक इस्त्री करने वाले वेंडर को कूड़े में लकड़ी का कोयला फेंकते हुए देखा. उन्होंने चारकोल के प्रभाव पर शोध करना शुरू किया. उसने देखा कि कैसे कोयले वाली प्रेस इस्तेमाल करने वालों को फेफड़ों की बीमारी का कारण होने का खतरा रहता है. साथ ही, वह लकड़ी के कोयले और वनों की कटाई के बीच संबंध के बारे में जानकर हैरान रह गई - हर साल लकड़ी का कोयला बनाने के लिए औद्योगिक मात्रा में पेड़ काटे जाते हैं. 

इस सब रिसर्च के बाद विनिशा ने इसके समाधान पर काम किया. उन्होंने सौर ऊर्जा से चलने वाली आयरन कार्ट बनाई. इस कार्ट में सोलर एनर्जी का इस्तेमाल करके वेंडर कपड़े आयरन कर सकते हैं. इससे उन्हें कोयले वाली प्रेस इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इस तरह यह आयरन कार्ट संयुक्त राष्ट्र के 15 सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स में से 13वें गोल को हासिल करने में मदद करती है. इस इनोवेशन ने उन्हें 2020 में चिल्ड्रन क्लाइमेट पुरस्कार दिलाया, जिससे उन्हें 2021 में क्लीन अवर एयर श्रेणी में द अर्थशॉट पुरस्कार में फाइनलिस्ट के रूप में जगह बनाने में मदद मिली. 

शुभाश्री साहू, मल्टी फंक्शनल एग्रो मशीन 


तेलंगाना में करीमनगर के पारमिता हेरिटेज स्कूल की छात्रा शुभाश्री साहू ने एक मल्टी-फंक्शन इको-फ्रेंडली कृषि मशीन डिजाइन की है जो कृषि क्षेत्र के लिए फायदेमंद है. उन्हें सीबीएसई राष्ट्रीय प्रदर्शनी 2022-2023 में इस इनोवेशन के लिए सम्मानित किया गया था. उनके प्रोजेक्ट को देश भर के सीबीएसई स्कूलों के बीच पर्यावरण चिंता विषय के तहत सर्वश्रेष्ठ प्रोजेक्ट का पुरस्कार दिया गया. 

सोलर एनर्जी से चलने वाली एग्रो मशीन भारत के किसानों के लिए किफायती और पोर्टेबल समाधान है. भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने व्यापक शोध और परीक्षण के बाद शुभाश्री के मशीन के प्रोटोटाइप की दक्षता की पुष्टि की है, और इसका सफल क्षेत्रीय परीक्षण हुआ है. इस परियोजना में पर्याप्त सामाजिक प्रभाव डालने, किसानों और पर्यावरण को समान रूप से मदद करने की क्षमता है. 

निखिया शमशेर, क्विटपफ्फ
अंडरग्रेजुएट स्कॉलर निखिया शमशेर सिर्फ 14 साल की थी जब उन्होंने अस्पताल में एक दौरे के दौरान एक ऐसे आदमी को देखा जिसका मुंह के कैंसर के कारण आधा जबड़ा काट दिया गया था. उन्हें यह देखकर बहुत हैरानी हुआ और उन्होंने ओरल कैंसर पर रिसर्च की. निखिया के सामने चौंका देने वाले आंकड़े आए. मुंह के कैंसर के कारण हर घंटे पांच लोगों की मौत हो जाती है और दुनिया के लगभग एक-तिहाई मामले भारत में ही होते हैं. देर से बीमारी का पता लगना उच्च मृत्यु दर का कारण बनता है. 

मरीजों की स्थिति से परेशान होकर, निखिया ने क्विटपफ बनाया. यह एक डायग्नोसिस टूल है जो ओरल कैंसर और कैंसर के शुरुआती रिस्क का पता लगाने में मदद कर सकता है. इसके काम करने की प्रक्रिया के बारे में बताते हुए निखिया ने फोर्ब्स इंडिया को बताया, “यह एक सरल सिद्धांत है, यह लार में मौजूद बायोमार्कर का पता लगाता है और रंग बदलता है. जितना ज्यादा बायोमार्कर होगा, रंग उतना ही गहरा होगा, जिसका अर्थ है कि ओरल कैंसर होने का खतरा उतना अधिक होगा." डिवाइस में क्विटपफ रिएजेंट होता है और जब कोई व्यक्ति इसमें थूकता है तो इसके बाद यह रंग बदलता है और इसे 15 मिनट तक गर्म करता है. रिस्क स्टेज को समझने के लिए कोई भी इसके कलर की तुलना कलर चार्ट से कर सकता है. 

पल्लवी और भवानी, सीड सोइंग शूज 


तेलंगाना की दो छात्राओं ने खेतों में बीज बोने के काम को कम करने के लिए इनोवेशन किया. उन्होंने ऐसे जूते बनाए हैं जिनकी मदद से कोई भी खेत में बीज बो सकता है. इन जूतों में सीड स्टोरेज बैग है जिससे एक लीवर मैरकेनिज्म जुड़ा है और जब आप इन जूतों को पहनकर खेत में चलते हैं तो इनसे खेत में छेद होता है, इसमें बीज जाता और फिर यह मिट्टी से ढक जाता है. इन इनोवेशन के लिए उन्हें पिछले साल तेलंगाना स्कूल इनोवेशन चैलेंज में पहला प्राइज मिला था. 

 

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