लखनऊ के लोकबंधु अस्पताल में लगी आग की घटना हो या बीते नवंबर महीने में झांसी मेडिकल कॉलेज में आग लगने से मासूम बच्चों की मौत, ऐसी तमाम घटनाओं पर विराम लगाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने एक नई पहल की है.
उत्तर प्रदेश पुलिस का अग्निशमन विभाग प्रदेश के नौजवानों को फायर सेफ्टी ऑफिसर के पद पर निजी संस्थानों में नौकरी के लिए ट्रेनिंग देगा. इस ट्रेनिंग के बाद प्रदेश के मॉल, हॉस्पिटल, स्कूल और बड़े व्यावसायिक भवनों में नौकरी का अवसर मिलेगा. इस तरह से यूपी पहला राज्य बनेगा, जहां युवाओं को अग्निशमन का प्रशिक्षण लेकर रोजगार का मौका मिलेगा.
कार्ययोजना की गई है तैयार
अग्निशमन विभाग की एडीजी पद्मजा चौहान के अनुसार प्रदेश के निजी भवनों में सिक्योरिटी गार्ड की तरह अनिवार्य रूप से अग्नि सुरक्षा अधिकारी और अग्नि सुरक्षा कर्मियों को तैनात करने की कार्ययोजना तैयार की गई है. इसके लिए योग्यता के मानक भी तय कर लिए गए हैं. विभाग द्वारा प्रदेश के इच्छुक युवाओं को एक हफ्ते से लेकर चार हफ्ते की ट्रेनिंग दी जाएगी. इसके बाद उन्हें विभाग की ओर से सर्टिफिकेट प्रदान किया जाएगा. फिर प्रदेश के निजी भवनों जैसे मॉल/मल्टीप्लेक्स, 100 या उससे अधिक बेड की क्षमता वाले हॉस्पिटल, 24 मीटर से अधिक ऊंचाई के गैर आवासीय भवन, 45 मीटर से अधिक ऊंचाई के आवासीय भवन, 10,000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल वाले औद्योगिक भवनों में नौकरी के अवसर प्राप्त होंगे.
तैनाती करना है अनिवार्य
उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र के मॉडल फायर सर्विस बिल-2019 को स्वीकार करते हुए उत्तर प्रदेश अग्निशमन तथा आपात सेवा अधिनियम-2022 लागू किया है. इस अधिनियम के तहत निजी भवनों में प्रशिक्षित अग्नि सुरक्षा अधिकारियों के साथ अग्नि सुरक्षाकर्मियों की तैनाती अनिवार्य है. इन भवनों में अग्नि सुरक्षा अधिकारियों और अग्नि सुरक्षा कर्मियों को तैनात करने वाला देश का पहला राज्य (उत्तर प्रदेश) बन जाएगा. उत्तर प्रदेश में लागू उत्तर प्रदेश अग्निशमन तथा आपात सेवा अधिनियम-2022 और अग्निशमन नियमावली-2024 को अन्य राज्य भी अध्ययन कर रहे हैं और अपने यहां इसी तरह की व्यवस्था लागू करने की दिशा में प्रयासरत हैं.
रीजनल ट्रेनिग सेंटरों की स्थापना का लक्ष्य
इच्छुक युवाओं को प्रशिक्षण देने के लिए अग्निशमन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को उच्च तकनीकी ज्ञान के साथ-साथ अत्याधुनिक उपकरणों का गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण देने के लिए उन्नाव स्थित ट्रेनिंग सेंटर की क्षमता 196 से बढ़ाकर 600 की जा रही है. रीजनल ट्रेनिग सेंटरों की स्थापना का भी लक्ष्य है, जिससे आम नागरिकों और विभिन्न कंपनियों/संस्थाओं के कर्मियों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त हो सके.
...तो ऐसे बन सकेंगे फायर सेफ्टी ऑफिसर और अग्नि सुरक्षाकर्मी
निर्धारित हुई नई नियमावली में विभिन्न श्रेणियों के भवनों के लिए निर्धारित न्यूनतम अर्हता और अनुभव प्राप्त महिला-पुरुष, जिसकी न्यूनतम आयु 18 वर्ष हो, अपने जनपद के किसी भी फायर स्टेशन पर एक सप्ताह के अनुकूलन/प्रशिक्षण कार्यक्रम के बाद फायर सेफ्टी ऑफिसर हो सकेगा. इसी प्रकार अग्नि सुरक्षा कर्मी के लिए कक्षा-10 उत्तीर्ण कोई भी महिला या पुरुष, किसी फायर स्टेशन से 4 सप्ताह का प्रशिक्षण प्राप्त करके या अग्नि सचेतक/फायर वॉलंटियर के रूप में लगातार 2 वर्ष तक पंजीकृत रहकर योगदान देने के बाद अग्नि सुरक्षा कर्मी बन सकेगा.
(संतोष कुमार की रिपोर्ट)