उत्तर प्रदेश (UP) की सियासत में कभी अपने दम पर जीत-हार दिलाने वाले बाहुबली भी लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election Result 2024) में कोई करिश्मा नहीं कर पाए. बीजेपी (BJP) के लिए तो बाहुबलियों का साथ घाटे का ही सौदा साबित हुआ.
वह फिर चाहे धनंजय सिंह का साथ हो या अभय सिंह का साथ हो. राज्यसभा चुनाव में मन की आवाज सुनकर बीजेपी के लिए वोट करने वाले राजा भैया भी लोकसभा चुनाव में बीजेपी के बजाय समाजवादी पार्टी के लिए ही लाभदायक साबित हुए. बृजभूषण शरण सिंह को छोड़कर कोई बाहुबली भाजपा की झोली में जीत नहीं दिला सका.
बीजेपी के खेमे में आ गए
धनंजय सिंह,अभय सिंह, बृजेश सिंह, राजा भैया, बृज भूषण शरण सिंह यह वह नाम है, जो उत्तर प्रदेश के हर चुनाव में हार और जीत तय करते हैं. बृजेश सिंह, बृज भूषण शरण सिंह तो पहले से ही भाजपा के खेमे में थे लेकिन राज्यसभा चुनाव के दौरान राजा भैया को भी बीजेपी ने अपने खेमे में कर लिया. राजा भैया की अगवाई में समाजवादी पार्टी के बाहुबली विधायक अभय सिंह भी बीजेपी के खेमे में आ गए. अभय सिंह के साथ-साथ राकेश प्रताप सिंह, राकेश पांडे भी बीजेपी और राम मंदिर के लिए बयान बाजी करने लगे.
नहीं दिला सके जीत
धनंजय सिंह भी एक राजनीतिक घटनाक्रम के बाद बीजेपी के साथ खड़े हो गए. लेकिन लोकसभा चुनाव में धनंजय सिंह, अभय सिंह, बृजेश सिंह जैसे बाहुबली कोई करिश्मा नहीं कर पाए. धनंजय सिंह के प्रभाव वाली जौनपुर और मछलीशहर लोकसभा सीट बीजेपी हार गई. अभय सिंह के प्रभाव वाली फैजाबाद और अंबेडकरनगर लोकसभा सीट पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. उधर, बृजेश सिंह के प्रभाव वाली चंदौली लोकसभा सीट से केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडे को हार का सामना करना पड़ा.
राजा भैया के समर्थकों ने इस पार्टी का दिया साथ
राज्यसभा चुनाव में राजा भैया की अगुवाई में सपा के विधायको की क्रॉस वोटिंग के दम पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी लेकिन राज्यसभा चुनाव से शुरू हुई राजा भैया की बीजेपी से दोस्ती लोकसभा चुनाव में खत्म हो गई. राजा भैया ने आधिकारिक तौर पर न्यूट्रल रहकर किसी भी पार्टी का समर्थन करने से मना कर दिया लेकिन उनके प्रभाव वाली प्रतापगढ़ और कौशांबी सीट पर राजा भैया के समर्थको ने खुलकर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी का समर्थन किया और नतीजा भाजपा दोनों ही सीट गंवा बैठी.
सिर्फ बृजभूषण शरण सिंह बचा सके अपनी किला
बृजभूषण शरण सिंह अकेले ऐसे बाहुबली नेता रहे जो अपने किले को बचा पाए. लेकिन उसके लिए भी उनको कड़ी मशक्कत करनी पड़ी. बीजेपी ने विवादों के चलते कैसरगंज लोकसभा सीट पर बृजभूषण के बजाय उनके बेटे करण भूषण को टिकट दिया था. करण भूषण चुनाव तो जीते लेकिन बृज भूषण शरण सिंह की जीत के बराबर वोट मार्जिन हासिल नहीं कर पाए यानी ब्रज भूषण शरण सिंह के लिए भी राहे आसान नहीं रही. तमाम सियासी उलट फेर के बीच इस बार के लोकसभा चुनाव ने उत्तर प्रदेश के बाहुबलियों के गणित को भी पलट कर रख दिया. जो बाहुबली कभी जीत-हार का फैसला करते थे. वे इस बार अपनी ही सीट को नही बचा पाए.
(संतोष कुमार की रिपोर्ट)