चुनावी किस्से: जब पहले आम चुनाव में लिस्ट से हटा दिए गए थे 28 लाख महिला वोटर्स के नाम

Lok Sabha Election 2024: अब बात जब आम चुनाव की हो रही है तो पहले आम चुनाव का जिक्र करना भी जरूरी हो जाता है. आजाद भारत के पहले आम चुनाव में लगभग 28 लाख महिलाएं सिर्फ इसलिए वोट नहीं दे सकीं क्योंकि देश के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन ने उन्हें वोट देने की अनुमति नहीं दी.

first general elections/GettyImages
अपूर्वा राय
  • नई दिल्ली,
  • 02 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 10:42 AM IST
  • देश की 543 लोकसभा सीटों पर 7 फेज में वोटिंग होगी.
  • पहले चुनाव में वोट नहीं डाल सकीं 28 लाख महिलाएं

देश की 543 लोकसभा सीटों पर 7 फेज में वोटिंग होगी. पहले फेज की वोटिंग 19 अप्रैल को और आखिरी फेज की वोटिंग 1 जून को होगी. रिजल्ट 4 जून को घोषित किया जाएगा. 2024 लोकसभा चुनाव में 97 करोड़ लोग वोटिंग कर सकेंगे. 2019 लोकसभा चुनाव के मुकाबले वोटर्स की संख्या में 6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

97 करोड़ वोटर्स में से 49.7 करोड़ पुरुष, 47.1 करोड़ महिलाएं और 48 हजार ट्रांसजेंडर शामिल हैं. आकड़ों पर गौर करें तो पिछले एक दशक में महिला वोटरों की संख्या लगातार बढ़ रही है. 2024 के आम चुनाव में देश के कुल वोटरों की संख्या में लगभग आधी संख्या महिलाओं की है.

28 लाख नाम वोटर लिस्ट से हटाए गए थे
लेकिन एक समय ऐसा था जब 28 लाख महिलाएं सिर्फ इसलिए वोट नहीं दे सकीं क्योंकि देश के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन ने उन्हें वोट देने की अनुमति नहीं दी. चुनावी किस्से में आइए जानते हैं पहले आम चुनाव में आखिर क्यों 28 लाख महिला वोटर्स नाम लिस्ट से हटा दिए गए.

महिलाओं ने खुद को बताया था फलाने की बहू-बेटी...
दरअसल, पहले आम चुनाव के दौरान जब चुनाव आयोग के प्रतिनिधियों ने चुनावी डेटा इकट्ठा करने के लिए गांवों का दौरा किया, तो बड़ी संख्या में महिलाओं ने अजनबियों के साथ अपना नाम साझा करने से इनकार कर दिया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनकी पहचान "फलाने की मां, फलाने की पत्नी आदि" के रूप में की जाए.. क्योंकि उस दौर में महिलाओं की पहचान उनके नाम से नहीं बल्कि पिता और पति...के नाम से होती थी. ऐसे में महिलाओं ने अधिकारियों को अपना नाम न बताकर फलाने की मां, फलाने की जोरू बताया. फिर क्या था चुनाव आयोग ने ऐसे 28 लाख नामों को लिस्ट से बाहर कर दिया.

women voters/PTI

 

 

नाम हटाने पर हुआ बवाल
ज्यादा से ज्यादा महिलाएं मतदान करें, इसके लिए सार्वजनिक अपीलें जारी की गईं. बिहार में वोटिंग लिस्ट में अपना नाम जुड़वाने के लिए एक महीने का ज्यादा समय दिया गया ताकि जिन महिला मतदाताओं के नाम सूची से हटाए गए हैं वे दोबारा जोड़े जा सके. लेकिन महिलाओं ने अपने नाम शामिल नहीं कराए. परिणाम ये हुआ कि ऐसी महिला मतदाताओं के नाम लिस्ट से हटा दिए गए. नाम हटाने पर जमकर बवाल हुआ लेकिन पहले मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन ने ये नाम वापस नहीं जुड़वाए, बल्कि ये कह दिया कि अगले चुनाव तक लोग इस तरह की मूर्खतापूर्ण हरकतें नहीं करेंगे. यहां रोचक बात ये भी है कि उस वक्त 21 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकता था. लेकिन 85 फीसदी आबादी अशिक्षित थी.

बता दें, आजाद भारत का पहला आम चुनाव 25 अक्टूबर 1951 से 21 फरवरी 1952 तक 68 चरणों में कराए गए थे. इसमें करीब 17 करोड़ लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. कुल 2 लाख 24 हजार मतदान केंद्र बनाए गए थे.

 

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