देशभर में चुनावी माहौल है. पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को होनी है. जैसे-जैसे मतदान नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों को लेकर चर्चा तेज हो गई है. अब सुप्रीम कोर्ट ने इसको लेकर आई याचिकाओं को संबोधित करने के अपने इरादे की घोषणा की है.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने डाली याचिका
मार्च 2023 में, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी. इसमें चुनावों की अखंडता को बनाए रखने के लिए VVPAT के साथ इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) को क्रॉस-वेरीफाई करने के महत्व को को लेकर अपनी बात कही थी. एडीआर ने इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए वीवीपैट पर्चियों पर बारकोड के उपयोग का प्रस्ताव रखा.
क्या है VVPAT सिस्टम?
वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) सिस्टम, चुनावी प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग है. ये वोटर्स को उनके वोट ऑप्शन का एक ठोस वेरिफिकेशन देता है. ईवीएम से जुड़ा हुआ, VVPAT ये दिखाता है कि वोटर्स ने किसे चुना है. और इसे एक पेपर स्लिप पर प्रिंट कर देता है. इस प्रिंट को बाद में वेरिफिकेशन के लिए एक सुरक्षित डिब्बे में जमा कर दिया जाता है.
2010 में हुई थी इसकी शुरुआत
VVPAT की शुरुआत 2010 में हुई थी. इसका उद्देश्य भारत के चुनाव आयोग और राजनीतिक हितधारकों के बीच ईवीएम-आधारित चुनावों की पारदर्शिता को बढ़ाना था. कई टेस्टिंग और रिसर्च के बाद, चुनाव आयोग ने चुनावी प्रक्रिया में VVPAT को अनिवार्य कर दिया. जून 2017 तक इसे पूरे देश में व्यापक रूप से अपनाया जा चुका था.
VVPAT वेरिफिकेशन से जुड़ी हैं कई चुनौतियां
चुनावी पारदर्शिता को बढ़ावा देने में इसके महत्व के बावजूद, VVPAT वेरिफिकेशन कानूनी विवादों और बहस का विषय रहा है. सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारत चुनाव आयोग जैसी कानूनी लड़ाइयों ने VVPAT वेरिफिकेशन की लिमिट को लेकर एक बहस खड़ी कर दी. यही वजह है कि कोर्ट पारदर्शिता और तार्किक बाधाओं के बीच संतुलन बनाने के लिए इसमें हस्तक्षेप कर रहा है.
विपक्षी दलों की मांग
लेकिन अब जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं विपक्षी दलों ने VVPAT वेरिफिकेशन के लिए अपनी मांग तेज कर दी है. वीवीपैट पर्चियों के 50% से लेकर 100% तक सत्यापन की मांग की गई है.
हालांकि, पारदर्शिता के महत्व को स्वीकार करते हुए, चुनाव आयोग ने 100% वीवीपैट वेरिफिकेशन के खिलाफ वकालत में तार्किक चुनौतियों दी हैं. चुनाव आयोग का कहना है कि इससे परिणाम घोषणा में देरी हो सकती है.