गुना लोकसभा सीट मध्य प्रदेश के हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है. इस सीट पर 2019 तक सिंधिया परिवार के तीन पीढ़ियों का ही वर्चस्व रहा. लेकिन 2019 के चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी के कृष्णपाल यादव से एक लाख से ज्यादा वोटों से पराजित हो गए. ज्योतिरादित्य सिंधिया तब कांग्रेस के साथ थे लेकिन इस बार वह बीजेपी के टिकट पर यहां से ताल ठोक रहे हैं. इस सीट की चर्चा न सिर्फ मध्य प्रदेश में बल्कि पूरे देश में होती है. यहां से माधवराव सिंधिया, राजमाता विजयाराजे सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया चुनाव लड़ चुके हैं. यहां इस बार तीसरे चरण में 7 मई को चुनाव होना है. ऐसे में हम आपको इस सीट का इतिहास और चुनावी समीकरण बताते हैं.
लोकसभा चुनाव 2024 के लिए किस पार्टी ने किसे दिया टिकट
गुना सीट पर हमेशा से दो बड़ी पार्टी भाजपा और कांग्रेस के बीच ही टक्कर देखने को मिली है. 2019 में करीब सवा लाख वोटों से जीतने वाले कृष्ण पाल यादव का टिकट काट भाजपा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया पर भरोसा जताया है. वहीं कांग्रेस ने राव यादवेंद्र सिंह यादव को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेसी रहे माधवराव सिंधिया के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया मार्च 2020 में अपने समर्थकों और 28 विधायकों के साथ कांग्रेस को छोड़ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए थे. फिलहाल सिंधिया भाजपा से राज्यसभा सांसद हैं और उनके पास नागरिक उड्डयन मंत्रालय है. वहीं कांग्रेस के इस बार के उम्मीदवार यादवेंद्र सिंह प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे. राव यादवेंद्र सिंह अशोक नगर के रहने वाले हैं और फिलहाल जिला पंचायत सदस्य हैं. उनके पिता देशराज सिंह यादव 3 बार 1990, 1998 और 2008 में भाजपा से विधायक रह चुके हैं.
2019 लोकसभा चुनाव के नतीजे
2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के कृष्णपाल यादव ने ज्योतिरादित्य सिंधिया (तब कांग्रेस में थे) को 1 लाख 25 हजार 549 वोटों से पटखनी दी. कृष्ण पाल को 6 लाख 15 हजार 49 वोट मिले थे तो वहीं सिंधिया को 4 लाख 86 हजार 105 वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर बसपा के लोकेंद्र सिंह राजपूत को 37 हजार 381 वोट मिले थे. ये भाजपा के लिए बड़ी जीत और ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए बड़ी हार थी. क्योंकि 1999 के बाद यानी 20 साल बाद भाजपा ने इस सीट पर वापसी की थी तो वहीं 2002 से लगातार जीतते रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां से चुनाव हार गए थे. लगातार 14 बार यूं कहें दशकों से राजघराने को वोट देती आई गुना की जनता ने सिंधिया परिवार का साथ छोड़ दिया था. कांग्रेस के नेता रहे कृष्ण पाल यादव ने अपनी पार्टी में तवज्जो नहीं मिलने पर कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा से जा मिले थे और मोदी लहर में सिंधिया परिवार के राजनीति किले को ढाह दिया था. खास बात ये कि जिस कृष्ण पाल यादव ने मात दी वो कभी ज्योतिरादित्य सिंधिया के खासम खास हुआ करते थे.
जातीय समीकरण और विधानसभा सीटें
गुना लोकसभा सीट पर 18 लाख से ज्यादा वोटर हैं.लेकिन 2019 में 11 लाख 78 हजार 707 मतदाताओं ने वोट किया. इस सीट के अंतर्गत 8 विधानसभा क्षेत्र हैं- गुना, चंदेरी, शिवपुरी, कोलारस, मुंगावली, अशोकनगर, बमोरी और पिछोर. यहां अनुसूचित जनजाति की संख्या सबसे ज्यादा है लेकिन वोट में जातीय समीकरण ज्यादा काम नहीं करता. 17 बार हुए चुनाव में मतदाता ने 14 बार राजघराना को ही वोट किया है.
गुना सीट का इतिहास
इस सीट पर पहली बार 1957 में चुनाव हुआ था. और यहां से सबसे ज्यादा कांग्रेस ने 9 बार जीत दर्ज की है. वहीं बीजेपी ने 5 बार, 1 बार जनसंघ और 1 बार स्वतंत्रता पार्टी को जीत हासिल हुई है. 2019 तक इस सीट पर सिंधिया परिवार के तीन पीढ़ियों का राज रहा. भाजपा ने पहली बार इस सीट से 1989 में जीत दर्ज की थी. तब पार्टी के उम्मीदवार विजयाराजे सिंधिया थे. 1989 से 1998 तक विजयाराजे यहां के सांसद रहे. 1999 से लेकर 2019 तक कांग्रेस ही यहां से जीतती रही. 20 साल बाद 2019 में भाजपा की जीत का सूखा खत्म हुआ.
किस पार्टी को और किस उम्मीदवार को मिली जीत (1957- 2019)
1957: विजयाराजे सिंधिया, कांग्रेस
1962: रामसहाय यादव, कांग्रेस
1967: विजयाराजे सिंधिया, कांग्रेस
1971: माधवराव सिंधिया, भारतीय जनसंघ
1977: माधवराव सिंधिया, इंडिपेंडेंट
1980: माधवराव सिंधिया, कांग्रेस
1984: महेंद्र सिंह यादव, कांग्रेस
1989: विजयाराजे सिंधिया, भाजपा
1991: विजयाराजे सिंधिया, भाजपा
1996: विजयाराजे सिंधिया, भाजपा
1998: विजयाराजे सिंधिया, भाजपा
1999: माधवराव सिंधिया, कांग्रेस
2002: ज्योतिरादित्य सिंधिया,कांग्रेस
2004: ज्योतिरादित्य सिंधिया,कांग्रेस
2009 : ज्योतिरादित्य सिंधिया,कांग्रेस
2014: ज्योतिरादित्य सिंधिया,कांग्रेस
2019: कृष्ण पाल यादव, भाजपा