लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर जहां भाजपा 'अबकी बार 400 पार, तीसरी बार मोदी सरकार' का नारा दे चुकी है, वहीं, विपक्षी गठबंधन आई.एन.डी.आई.ए. (INDIA) के बीच सीट शेयरिंग को लेकर उलझन बनी हुई है. पश्चिम बंगाल, बिहार समेत कई राज्यों में विपक्षी गुटों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर घमासान मचा हुआ है. इसी बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक बड़ी बात कह दी है. आइए जानते हैं खड़गे ने क्या कहा और किस राज्य में सीट बंटवारे को लेकर उलझन क्या है?
कांग्रेस सभी लोकसभा सीटों पर दे रही ध्यान
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) में शामिल घटक दलों के नेता गठबंधन में पदों के आवंटन पर 10 से 15 दिनों के भीतर निर्णय लेंगे. खड़गे की यह टिप्पणी उन अटकलों के बीच आई है कि गठबंधन लोकसभा चुनाव से पहले एक संयोजक चुन सकता है. खड़गे ने कहा कि विपक्षी गठबंधन इंडिया में सीट बंटवारे सहित अन्य सभी मामलों को जल्द ही सुलझा लिया जाएगा. खड़गे ने कहा कि कांग्रेस सभी 545 लोकसभा क्षेत्रों के संबंध में काम कर रही है और सभी सीट के लिए पर्यवेक्षक नियुक्त किए हैं, लेकिन कौन सी पार्टी किस सीट पर चुनाव लड़ेगी और कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, इसका फैसला विपक्षी गठबंधन के सभी घटकों के साथ विचार-विमर्श के बाद किया जाएगा.
गठबंधन का संयोजक कौन होगा, इस पर दिया यह जवाब
कांग्रेस पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इस पर खड़गे ने कहा कि हमने पहले ही सभी निर्वाचन क्षेत्रों के लिए संसदीय पर्यवेक्षकों को तय कर लिया है. हम प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में जाकर आकलन करेंगे. उन्होंने कहा, जब विपक्षी गठबंधन में प्रत्येक राज्य को लेकर बातचीत होगी, तो सटीक संख्या सामने आ जाएगी. लेकिन, हम हर जगह अपने प्रयास करने की कोशिश कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि यदि किसी उम्मीदवार के चयन को लेकर साझेदारों के बीच कोई असहमति होती है तो संसदीय पर्यवेक्षक भी हस्तक्षेप करेंगे. उन्होंने कहा कि हम ऐसा सोच रहे हैं कि हमें ए सीट मिल रही है और मान लीजिए हमारा गठबंधन सहयोगी सहमत नहीं है तो और कहता है कि सी सीट ले लो. इसलिए हम सभी सीटों पर काम कर रहे हैं. गठबंधन का संयोजक कौन होगा, इस पर खड़गे ने कहा, यह सवाल वैसे ही है जैसे यह पूछना कि कौन बनेगा करोड़पति. उन्होंने कहा कि हम बैठक के 10-15 दिन में तय कर लेंगे कि कौन सा पद कौन संभालेगा.
कांग्रेस सहयोगी दलों के साथ तीन दिनों तक करेगी मंथन
लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी कांग्रेस रविवार से तीन दिनों तक दिल्ली में सहयोगी दलों के साथ मंथन करेगी. इस दौरान लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग पर बात होगी. हालांकि इससे पहले इंडिया ब्लॉक की चार बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन कई सवाल ऐसे हैं जिनका अब तक कोई जवाब नहीं मिला है.
आसान नहीं है शीट शेयरिंग
इंडिया ब्लॉक के कुनबे में पूरी 19 पार्टियां जुट तो गई हैं लेकिन सहमति नहीं बन पा रही है. कभी यूपी में खींचतान नजर आती है तो कभी बंगाल में. न चेहरा तय हो पाया है ना मुद्दे. पिछली बैठक में तय हुआ था कि 31 दिसंबर तक सीटों शेयरिंग पर आखिरी फैसला हो जाएगा लेकिन नए साल के आज सात दिन गुजर चुके हैं लेकिन इंडिया ब्लॉक में सीटों पर कोई फैसला नहीं हो पाया है. लोकसभा में 136 सीट और राज्यसभा में 90 सीटों का दम रखने वाले इंडिया ब्लॉक में लगातार मतभेद निकलकर सामने आ रहे है.
बिहार में सीट बंटवारों को लेकर घटक दलों का धैर्य देने लगा है जवाब
बिहार में सीट बंटवारे में देरी के चलते घटक दलों का धैर्य जवाब देने लगा है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तीन सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा भी कर दी. बिहार सरकार के मंत्री विजय चौधरी ने विलंब के लिए नाराजगी भी जताई है. कांग्रेस अध्यक्ष की प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह कहने पर कि सीट बंटवारे पर 15-20 दिनों में बात होगी, जदयू के एक नेता ने कहा कि कांग्रेस क्षेत्रीय दलों को कमजोर कर रही है.
कांग्रेस के राज्य के नेता दबाव बना रहे हैं कि उनको ज्यादा सीटें मिलें आरजेडी और जेडीयू कांग्रेस को चार सीटें ही देने का इरादा रखती है लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कहते हैं कि अगर हम चार सीटों पर लड़े तो उलटा हमारे सहयोगियों को नुकसान होगा. जेडीयू उन 17 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, जिन पर उसने पिछली बार चुनाव लडा था. आरजेडी भी वो सीटें नहीं छोडेगी जहां वो पहले लड़े थे. ऐसे में बिहार में पेंच फंस सकता है. बिहार में कुल 40 लोकसभा सीटें हैं.
यूपी में सपा और कांग्रेस के बीच बसपा का फंसा पेंच
यूपी में सपा और कांग्रेस के बीच बसपा का पेंच फंसा हुआ है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय मायावती से गठबंधन में शामिल होने के लिए गंभीरता से विचार करने का आग्रह कर रहे हैं और सपा प्रमुख अखिलेश यादव बसपा को जगह देने के लिए बिल्कुल राजी नहीं हैं. इसी क्रम में मायावती ने अपने विकल्प खुले रखने का बयान देकर कांग्रेस की उलझन के साथ सपा का संदेह भी बढ़ा दिया है.
इस प्रदेश में बीजेपी ने एकछत्र राज कायम कर लिया है. समाजवादी पार्टी से लेकर बसपा तक यहां वापसी के लिए जोर लगा रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस के लिए गुंजाइस कम बचती है, लेकिन कांग्रेस की उम्मीदें काफी ज्यादा है. यहां कांग्रेस 40 सीटों की मांग कर सकती है जबकि समाजवापी पार्टी 10 से 15 सीटों से ज्यादा देने के मूड में नहीं लगती. यूपी में कुल 80 लोकसभा सीटें हैं.
बंगाल में कांग्रेस और टीएमसी के बीच नहीं बन पा रही बात
पश्चिम बंगाल में सीट बंटवारे को लेकर कांग्रेस और टीएमसी के बीच बात नहीं बन पा रही है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीक रंजन चौधरी ने कुछ दिनों पहले कहा था कि सीएम ममता बनर्जी लोकसभा चुनाव के लिए राज्य की सीट का ईमानदारी से बंटवारा नहीं कर रही हैं. बंगाल में सीट बंटवारे को लेकर ममता बनर्जी ने कांग्रेस को दो सीटें देने की बात कही थी, जिससे कांग्रेस पार्टी नाराज है. पश्चिम बंगाल में कुल 42 सीटें हैं. यहां कांग्रेस 6-10 सीटें चाहती है. सीट शेयरिंग का मसला सबसे ज्यादा पेचीदा बंगाल में ही है. टीएमसी की दलील है कि 2019 के चुनाव में जिसको जितने वोट मिले उसके आधार पर ही बंगाल में सीटों का बंटवारा हो. लेकिन कांग्रेस को ये मंजूर नहीं है.
पंजाब तालमेल की संभावना लगभग खत्म, दिल्ली में भी भारी जिच
पंजाब में कांग्रेस के साथ आप के तालमेल की संभावना लगभग खत्म हो गई है और दिल्ली में भी भारी जिच है. कुल सीटों की तादाद पंजाब में 10 और दिल्ली में 7 है, यानी दोनों राज्यों में कुल मिलाकर 17 सीटें हैं. कांग्रेस 2019 के प्रदर्शन के आधार पर हिस्सेदारी चाहती है. तब पांच सीटों पर वह दूसरे नंबर पर थी. इस आधार पर दिल्ली में कांग्रेस को पांच और आप को दो सीटें मिलनी चाहिए, किंतु आप चार सीटों से कम पर तैयार नहीं है.
पंजाब में कांग्रेस अपनी जमीन छोड़ने के लिए तैयार नहीं है. पिछली बार 13 में उसे आठ सीटों पर जीत मिली थी, जबकि आप शून्य पर आउट हो गई थी. बाद में उप चुनाव में एक सीट जीतने से उसका खाता खुला था. पंजाब में तो कांग्रेस के नेता नहीं चाहते कि आप के साथ कोई गठबंधन हो. उधर विधानसभा चुनाव जीतने का बाद आप की कोशिश है कि पंजाब की लोकसभा सीटों में भी ज्यादा पर वो ही लड़े. खटास इतनी ज्यादा है कि आम आदमी पार्टी कह रही है कि हो सकता है कि किसी एक राज्य में कांग्रेस और आप अलग-अलग लडे़.
महाराष्ट्र में भी सीट बंटवारे के लेकर खींचतान
महाराष्ट्र में भी कांग्रेस और शिवसेना उद्धव गुट के नेताओं के बयानों से घमासान छिड़ा हुआ है. उद्धव ठाकरे नरम रुख दिखा रहे हैं लेकिन उनके सिपहसालार संजय राउत आग उगल रहे है. उद्धव ठाकरे को लग रहा है कि महाराष्ट्र में सीटों की खींचतान होगी. हालांकि वो सब कुछ दिल्ली मे बात करके सुलझाना चाहते हैं. पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र कांग्रेस के लिए दिक्कत है. यहां भी कांग्रेस की जमीन छिनी है. यहां से शिवसेना 23 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है, जबकि कांग्रेस यहां 16-20 सीटें चाहती है. एनसीपी भी ज्यादा सीटे लेने की कोशिश करेगी यानी सब कुछ आसान नहीं है. महाराष्ट्र में लोकसभा की कुल सीटों की संख्या 48 है.