Lok Sabha Election की तारीखों का ऐलान होते ही देश में आचार संहिता लागू, क्या है Code Of Conduct, किन चीजों पर लगेगी पाबंदी, आम लोगों पर क्या होगा असर, समझें हर एक जरूरी बात

Election Code Of Conduct: आचार संहिता के तहत बताया जाता है कि राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को चुनाव के दौरान क्या करना है और क्या नहीं करना है. ये ऐसे काम होते हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मतदान को प्रभावित कर सकते हैं. आचार संहिता लागू होते ही सरकारी कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक निर्वाचन आयोग के कर्मचारी बन जाते हैं.

Code Of Conduct
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 16 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 4:04 PM IST
  • आचार संहिता लागू होने पर सरकार नई योजना और नई घोषणाएं नहीं कर सकती
  • किसी भी प्रत्याशी या पार्टी पर निजी हमले नहीं किए जा सकते 

चुनाव आयोग (Election Commission) आज दोपहर यानी 16 मार्च 2024 को लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) की तारीखों का ऐलान कर दिया. इसके साथ ही ओडिशा, आंध्र प्रदेश, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों की तारीखों की भी घोषणा कर दी गई. चुनाव आयोग की ओर से चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद से नतीजों के आने तक पूरे देश में आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) लागू रहेगी. इससे कई चीजों पर पाबंदी लग गई हैं. इसका आम लोगों पर भी असर पड़ेगा.

क्या होती है आचार संहिता
चुनाव आयोग ने देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए कुछ नियम बनाए हैं. इन्हीं नियमों को आचार संहिता कहते है. लोकसभा/विधानसभा चुनाव के दौरान इन नियमों का पालन करना सरकार, नेता और राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी होती है. चुनाव आयोग की ओर से जिस दिन चुनाव की तारीखों की घोषण की जाती है, उसी समय से आदर्श संहिता लगा दी जाती है.

निर्वाचन आयोग हमारे संविधान के अनुच्छेद 324 के अधीन संसद और राज्य विधान मंडलों के लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण निर्वाचनों के आयोजन के लिए अपने सांविधिक कर्तव्यों के निर्वहन में केंद्र और राज्यों में सत्तारूढ़ दल (दलों) और निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों से इसका अनुपालन सुनिश्चित करता है. आचार संहिता लागू होते ही सरकारी कर्मचारी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक निर्वाचन आयोग के कर्मचारी बन जाते हैं. आचार संहिता सभी राजनीतिक दलों की सर्वसहमति से लागू व्यवस्था है.

आचार संहिता की शुरुआत कब हुई 
सबसे पहले 1960 में केरल विधानसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता की शुरुआत हुई थी. इसमें बताया गया था कि उम्मीदवार क्या कर सकते हैं और क्या नहीं. इलेक्शन कमीशन ने 1962 के लोकसभा चुनाव में पहली बार इसके बारे में सभी राजनीतिक दलों को अवगत कराया था. 1967 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों से आचार संहिता की व्यवस्था लागू हुई.

उस समय से लेकर अब तक नियमित इसका पालन हो रहा है. हालांकि समय-समय पर इसके दिशा-निर्देशों में बदलाव होते रहा है. आचार संहिता के तहत बताया जाता है कि राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को चुनाव के दौरान क्या करना है और क्या नहीं करना है. ये ऐसे काम होते हैं जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मतदान को प्रभावित कर सकते हैं.

आचार संहिता में किन-किन कामों पर होती है पाबंदी
1. आचार संहिता लागू होने पर सरकार नई योजना और नई घोषणाएं नहीं कर सकती. भूमिपूजन और लोकार्पण भी नहीं हो सकते.
2. दीवारों पर लिखे गए सभी तरह के पार्टी संबंधी नारे व प्रचार सामग्री हटा दी जाती है. होर्डिंग, बैनर व पोस्टर भी हटा दिए जाते हैं.
3. चुनाव प्रचार के लिए सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. सरकारी गाड़ी, बंगला, हवाई जहाज का उपयोग वर्जित होता है.
4. राजनीतिक दलों को रैली, जुलूस या फिर मीटिंग के लिए चुनाव आयोग से परमिशन लेनी होती है.
5. धार्मिक स्थलों और प्रतीकों का इस्तेमाल चुनाव के दौरान नहीं किया जाता है. 
6. मतदाताओं को किसी भी तरह से रिश्वत नहीं दी जा सकती है.
7. किसी भी चुनावी रैली में धर्म या जाति के नाम पर वोट नहीं मांगे जाएंगे.
8. किसी भी प्रत्याशी या पार्टी पर निजी हमले नहीं किए जा सकते हैं.
9. मतदान केंद्रों पर वोटरों को लाने के लिए गाड़ी मुहैया नहीं करवा सकते हैं.
10. मतदान के दिन और इसके 24 घंटे पहले किसी को शराब वितरित नहीं की जा सकती है.
11. चुनाव कार्यों से जुड़े किसी भी अधिकारी को किसी भी नेता या मंत्री से उसकी निजी यात्रा या आवास में मिलने की मनाही होती है.
12. सरकारी खर्चे पर किसी नेता के आवास पर इफ्तार पार्टी या अन्य पार्टियों का आयोजन नहीं कराया जा सकता है.
13. विधायक, सांसद या विधान परिषद के सदस्य लोकल एरिया डेवलपमेंट फंड से नई राशि जारी नहीं कर सकते हैं.
14. आदर्श आचार संहिता लगने के बाद पेंशन फॉर्म जमा नहीं हो सकते और नए राशन कार्ड भी नहीं बनाए जा सकते.
15. हथियार रखने के लिए नया आर्म्स लाइसेंस नहीं बनेगा. BPL के पीले कार्ड नहीं बनाए जाएंगे.
16. कोई भी नया सरकारी काम शुरू नहीं होगा. किसी नए काम के लिए टेंडर भी जारी नहीं होंगे.
17. आदर्श आचार संहिता लगने के बाद बड़ी बिल्डिंगों को क्लियरेंस नहीं दी जाती है.
18. मतदान के दिन मतदान केंद्र से सौ मीटर के दायरे में चुनाव प्रचार पर रोक और मतदान से एक दिन पहले किसी भी बैठक पर रोक लग जाती है.
19. आचार संहिता लागू होने के बाद किसी भी सरकारी अधिकारी, कर्मचारी की ट्रांसफर-पोस्टिंग सरकार नहीं कर सकती है. 
20. प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या किसी अन्य मीडिया की ओर से किसी भी जनमत सर्वेक्षण या एक्जिट पोल के परिणाम को प्रकाशित, प्रचारित या प्रसारित नहीं किया जाएगा.
21. जन सभाएं सुबह 6.00 बजे से पहले और शाम 10 बजे के बाद आयोजित नहीं की जा सकती हैं. 
22. उम्मीदवार मतदान के समापन के लिए निर्धारित समय के साथ समाप्‍त होने वाले 48 घंटे की अवधि के दौरान जनसभाएं और जुलूस नहीं निकाल सकते. 

इन कामों पर नहीं लगता ब्रेक
1. जिस सरकारी योजना पर काम शुरू हो गया है. वो आचार संहिता लागू होने के बावजूद जारी रहती है.
2. जिन योजनाओं में आचार संहिता लागू होने से पहले किसे लाभ मिलेगा, इसकी पहचान हो गई हो, वो योजनाएं चालू रहेंगी.
3. पहले से चल रही मनरेगा जैसी योजनाएं जारी रहती हैं.
4. नई योजनाओं को मंजूरी मिल चुकी है और उसके लिए राशि भी स्वीकृत हो चुकी हो तो वो चलती रहेंगी.
5. ड्राइविंग लाइसेंस, जाति-निवास प्रमाण पत्र, जमीन की रजिस्ट्री जैसे काम आचार संहित के दौरान भी जारी रहते हैं.

ऐसा करने पर आप पर भी हो सकती है कार्रवाई
आदर्श आचार संहिता का कोई आम आदमी भी उल्लंघन करते पाया जाता है तो उस पर सख्त कार्रवाई हो सकती है. यदि आप अपने किसी नेता के प्रचार में लगे हैं तब भी आपको आचार संहिता के नियमों को लेकर जागरूक रहना होगा. यदि कोई राजनेता आपको इन नियमों के इतर काम करने के लिए कहता है तो आप उसे आचार संहिता के बारे में बताकर ऐसा करने से मना कर सकते हैं. क्योंकि ऐसा करते पाए जाने पर तत्काल कार्रवाई होगी. ज्यादातर मामलो में आपको हिरासत में लिया जा सकता है.

निकटतम थाने में देनी होगी जानकारी
आचार संहिता लागू होने के बाद किसी भी सरकारी अधिकारी, कर्मचारी की ट्रांसफर-पोस्टिंग सरकार नहीं कर सकती है. ट्रांसफर कराना बेहद जरूरी हो गया हो तब भी सरकार बिना चुनाव आयोग की सहमति के ये फैसला नहीं ले सकती है. इस दौरान राज्य के मुख्य चुनाव आयुक्त जरूरत के हिसाब से अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग कर सकते हैं. उम्मीदवार और पार्टी को जुलूस निकालने या रैली और बैठक करने के लिए चुनाव आयोग से अनुमति लेनी होती है. इसकी जानकारी निकटतम थाने में भी देनी होती है. सभा के स्थान व समय की पूर्व सूचना पुलिस अधिकारियों को देना होती है.


 

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