अमेठी लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश में है. सूबे की राजधानी लखनऊ से इसकी दूरी करीब 130 किलोमीटर और दिल्ली से करीब 685 किलोमीटर है. ये लोकसभा सीट 1967 में अस्तित्व में आई. उसके बाद से ही इस सीट पर कांग्रेस (Congress) का दबदबा रहा है. उत्तर प्रदेश में कई बार सरकार बना चुकी समाजवादी पार्टी (SP) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) को इस सीट पर अब तक एक बार भी सीट नहीं मिली है. बीजेपी (BJP) को मुश्किल से 2 बार इस सीट पर जीत नसीब हुई है. चलिए आपको कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जानी वाली अमेठी लोकसभा सीट का जातीय समीकरण और इतिहास बताते हैं.
किस पार्टी ने किसे बनाया उम्मीदवार-
अमेठी लोकसभा सीट के लिए कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है. इंडिया गठबंधन (INDIA Alliance) में ये सीट कांग्रेस के खाते में गई है. जबकि एनडीए गठबंधन (NDA Alliance) में ये सीट बीजेपी के पास है. बीजेपी ने स्मृति जुबिन ईरानी को मैदान में उतारा है. लेकिन कांग्रेस की तरफ से अभी तक उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं की है. बहुजन समाज पार्टी ने भी अभी तक उम्मीदवार नहीं उतारा है.
गांधी फैमिली की परंपरागत सीट-
अमेठी की सियासत के 57 सालों के इतिहास में कांग्रेस का दबदबा रहा है. इस सीट पर गांधी परिवार की तरफ से संजय गांधी, राजीव गांधी, मेनका गांधी और राहुल गांधी तक ने चुनाव लड़ा है. साल 1967 में अमेठी लोकसभा सीट अस्तित्व में आई. उसके बाद से इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है. इस सीट से संजय गांधी को साल 1977 चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. लेकिन 1980 आम चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की. राजीव गांधी इस सीट से 4 बार चुनाव जीते. साल 1999 में सोनिया गांधी को इस सीट से जीत मिली. उसके बाद राहुल गांधी 4 बार इस सीट से सांसद चुने गए.
साल 2019 आम चुनाव के नतीजे-
आम चुनाव 2019 में बीजेपी ने अमेठी लोकसभा सीट पर कांग्रेस को बड़ा झटका दिया था. बीजेपी ने कांग्रेस समेत सभी को हैरान कर दिया था. बीजेपी उम्मीदवार स्मृति ईरानी ने कांग्रेस उम्मीदवार राहुल गांधी को 55 हजार 120 वोटों से हराया था. स्मृति ईरानी को 4 लाख 68 हजार 514 वोट मिले थे, जबकि राहुल गांधी को 4 लाख 13 हजार 394 वोट मिले थे.
अमेठी लोकसभा सीट का इतिहास-
पहली बार अमेठी लोकसभा सीट पर साल 1967 में चुनाव हुए. इस चुनाव में कांग्रेस के विद्याधर बाजपेयी ने जीत हासिल की. विद्याधर बाजपेयी ने साल 1971 आम चुनाव में भी जीत का परचम लहराया. लेकिन आपातकाल के बाद साल 1977 में हुए आम चुनाव में जनता पार्टी के रवींद्र प्रताप सिंह को जीत मिली. उन्होंने संजय गांधी को हराया था. रवींद्र सिंह ने 75 हजार 844 वोटों से जीत हासिल की थी.
साल 1980 आम चुनाव में संजय गांधी ने हार का बदला लिया. संजय गांधी ने रवींद्र सिंह को एक लाख 28 हजार 545 वोटों से हराया था. लेकिन विमान हादसे में संजय गांधी की मौत के बाद साल 1981 में उपचुनाव में राजीव गांधी इस सीट से चुनाव जीते. इसके बाद साल 1984, 1989 और 1991 आम चुनाव में राजीव गांधी ने इस सीट से जीत हासिल की. लेकिन साल 1991 में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई. उसके उपचुनाव में कांग्रेस के सतीश शर्मा ने बीजेपी उम्मीदवार एमएम सिंह को हराया था. साल 1996 आम चुनाव में सतीश शर्मा एक बार फिर चुने गए. लेकिन साल 1998 में बीजेपी को पहली बार इस सीट पर सीट मिली. बीजेपी उम्मीदवार संजय सिंह ने जीत दर्ज की.
साल 1999 में एक बार फिर गांधी फैमिली की अमेठी में एंट्री हुई. सोनिया गांधी ने इस सीट से जीत दर्ज की. साल 2004 में सोनिया गांधी ने इस सीट को राहुल गांधी के लिए छोड़ दिया. राहुल गांधी ने इस सीट से 2004, 2009 और 2014 में जीत हासिल की. लेकिन साल 2019 आम चुनाव में बीजेपी की स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को हरा दिया.
5 विधानसभा सीटों का गणित-
अमेठी लोकसभी सीट के तहत 5 विधानसभा सीटें आती हैं. इसमें तिलोई, सैलून, जगदीशपुर, गौरीगंज और अमेठी शामिल हैं. साल 2022 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 3 सीटों और समाजवादी पार्टी को 2 सीटों पर जीत मिली थी. लेकिन बाद समाजवादी पार्टी की विधायक राकेश प्रताप सिंह बीजेपी में शामिल हो गए. तिलोई से बीजेपी के मयंकेश्वर शरण सिंह, सैलून से बीजेपी के अशोक कुमार, जगदीशपुर से बीजेपी के सुरेश कुमार, अमेठी से समाजवादी पार्टी के महाराज प्रजापति और गौरीगंज से राकेश प्रताप सिंह विधायक हैं.
क्या है सीट का जातीय समीकरण-
अमेठी लोकसभा सीट पर ब्राह्मण और राजपूता को बोलबाला है. इस सीट पर 18 फीसदी वोटर ब्राह्मण समुदाय से हैं. जबकि राजपूत समुदाय के 11 फीसदी वोटर हैं. इस सीट पर सबसे ज्यादा 26 फीसदी दलित वोटर्स हैं. इसके अलावा मुस्लिम वोटर्स की संख्या 20 फीसदी है.
ये भी पढ़ें: