Bihar Politics: 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव 19 अप्रैल 2024 से होना है. कुल सात चरणों में वोट डाले जाएंगे. भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व में जहां एनडीए (NDA) जीत की हैट्रिक लगाने की तैयारी में है, वहीं इंडिया (INDIA) गठबंधन के दल भी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. बिहार में भी चुनावी सरगर्मी तेज हो गई है. यहां कि कुल 40 लोकसभा सीटों में से पहले चरण में चार सीटों औरंगाबाद, गया, नवादा और जमुई पर वोटिंग होगी. आज हम आपको औरंगाबाद लोकसभा सीट का सियासी समीकरण और इतिहास बताने जा रहे हैं.
सुशील कुमार सिंह ने खोला था बीजेपी का खाता
राजपूत बहुल क्षेत्र होने के कारण औरंगाबाद को बिहार का चित्तौड़गढ़ कहा जाता है. लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) में इस सीट से अभी तक सिर्फ राजपूत उम्मीदवारों को ही जीत मिल पाई है. बिहार के पहले उप मुख्यमंत्री अनुग्रह नारायण सिन्हा के बेटे सत्येंद्र नारायण सिन्हा (Satyendra Narayan Singh) ने भी यहीं से चुनाव जीता था.
सत्येंद्र नारायण सिन्हा 1989 में बिहार के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. यहां के वर्तमान सांसद बीजेपी के सुशील कुमार सिंह (Sushil Kumar Singh) हैं. सुशील सिंह ने ही पहली बार इस सीट से कमल खिलाया था. भाजपा ने फिर उन्हें चुनावी मैदान में उतारा है. सुशील सिंह को औरंगाबाद की जनता चार बार अपना सांसद बना चुकी है. उधर, इंडिया गठबंधन में शामिल लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी (RJD) ने अपना उम्मीदवार जदयू के पूर्व विधायक अभय कुमार सिंह को टिकट दिया है, जो कुशवाहा समाज से हैं.
ये उम्मीदवार भी इस बार ठोक रहे ताल
औरंगाबाद लोकसभा सीट से इस बार चुनाव में सुशील कुमार सिंह और अभय कुमार सिंह के अलावा सात और उम्मीदवार ताल ठोक रहे हैं. बहुजन समाज पार्टी से सुनेश कुमार, अखिल हिंद फॉरवर्ड ब्लॉक (क्रांतिकारी) से शैलेश राही, राष्ट्रीय जनसंभावना पार्टी से रामजीत सिंह, पीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया (डेमोक्रेटिक) से प्रतिभा रानी चुनावी मैदान में हैं. मोहम्मद वली उल्लाह खान, राज बल्लभ सिंह और सुरेश प्रसाद वर्मा निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपनी किस्मत अजमा रहे हैं.
कभी कांग्रेस का था दबदबा
औरंगाबाद लोकसभा सीट पर कभी कांग्रेस का दबदबा रह चुका है. कांग्रेस के उम्मीदवार को यहां से छह बार जीत मिल चुकी है. औरंगाबाद के पहले सांसद सत्येंद्र नारायण सिन्हा थे. जनता ने उन्हें सबसे अधिक 6 बार अपना सांसद चुना है. वह यहां से 1952, 1957, 1972, 1977, 1980 और 1984 तक लगातार चुनाव जीतते रहे. उन्हें पहली बार जनता दल के प्रत्याशी राम नरेश सिंह उर्फ लूटन बाबू ने हराया और 1989 के चुनाव को जीत कर सांसद बन गए.
लोकसभा चुनाव 1991 में भी राम नरेश सिंह ने जीत अपने नाम की थी. लोकसभा चुनाव में इस सीट पर अधिकतर मौकों पर सत्येंद्र नारायण सिन्हा और लूटन बाबू का परिवार आमने-सामने रहा है. अभी तक दोनों परिवारों ने 17 लोकसभा चुनावों में से 14 बार औरंगाबाद सीट से जीत दर्ज की है. रामनरेश सिंह मौजूदा सांसद सुशील कुमार सिंह के पिता हैं.
कब और किस पार्टी के उम्मीदवार ने दर्ज की जीत
1952: सत्येन्द्र नारायण सिन्हा, कांग्रेस
1957: सत्येन्द्र नारायण सिन्हा, कांग्रेस
1962: ललिता राज्य लक्ष्मी, स्वतंत्र
1967: मुंद्रिका सिंह, कांग्रेस
1972: सत्येन्द्र नारायण सिन्हा, भारतीय लोक दल
1977: सत्येन्द्र नारायण सिन्हा, भारतीय लोक दल
1980: सत्येन्द्र नारायण सिन्हा, जनता पार्टी
1984: सत्येन्द्र नारायण सिन्हा, कांग्रेस
1989: राम नरेश सिंह, जनता दल
1991: राम नरेश सिंह, जनता दल
1996: वीरेन्द्र कुमार सिंह, जनता दल
1998: सुशील कुमार सिंह, समता पार्टी
1999: श्यामा सिंह, कांग्रेस
2004: निखिल कुमार, कांग्रेस
2009: सुशील कुमार सिंह, जदयू
2014: सुशील कुमार सिंह, बीजेपी
2019: सुशील कुमार सिंह, बीजेपी
लोकसभा चुनाव 2019 में कैसा रहा था जनादेश
लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी प्रत्याशी सुशील कुमार सिंह ने जीत दर्ज की थी. सुशील कुमार सिंह को कुल 427721 मत प्राप्त हुए थे. इस चुनाव में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (एस) के प्रत्याशी उपेंद्र प्रसाद दूसरे स्थान पर रहे थे उन्हें 357169 वोट मिले थे. बसपा के नरेश यादव को 34,033 वोट मिले थे. इस सीट पर आम चुनाव 2019 में जीत का अंतर 70552 रहा था.
2014 में सुशील सिंह ने कांग्रेस उम्मीदवार को दी थी मात
16वीं लोकसभा के लिए 2014 में लोकसभा चुनाव हुए थे. औरंगाबाद लोकसभा सीट से बीजेपी के सुशील कुमार सिंह ने जीत दर्ज की थी. वह जेडीयू से बीजेपी में आए थे. सुशील कुमार सिंह को 307941 वोट मिले थे और उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार निखिल कुमार को हराया था. निखिल कुमार को 241594 वोट मिले थे. जेडीयू के बागी कुमार वर्मा 136137 मतों के तीसरे स्थान पर रहे थे.
कुल इतनी हैं विधानसभा सीटें
औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र में विधानसभा की कुल 6 सीटें आती हैं. कुटुम्बा, औरंगाबाद, रफीगंज, गुरुआ, इमामगंज और टिकारी. इनमें से दो सीटें कुटुम्बा और इमामगंज रिजर्व सीटें हैं. औरंगाबाद लोकसभा सीट पर मतदाताओं की कुल संख्या 17,37,821 है. इनमें पुरुष वोटर 9,15,930 और महिला मतदाताओं की संख्या 8,21,793 है. इसके अलावा थर्ड जेंडर के 98 वोटर हैं.
क्या है जातीय समीकरण
औरंगाबाद के जातीय समीकरण की बात करें तो यहां सबसे ज्यादा वोटर राजपूत जाति से हैं. राजपूत वोटर्स की संख्या दो लाख के आसपास है. इसके बाद यादवों की संख्या लगभग 1.90 लाख, मुस्लिम की संख्या लगभग 1.25 लाख, कुशवाहा की संख्या लगभग 1.25 लाख है. भूमिहार जाति को वोटरों की संख्या लगभग एक लाख है. दलित और महादलित की संख्या 2 लाख के पार है. इसके साथ ही अति पिछड़ा वर्ग के मतदाता भी यहां के चुनावी परिणाम पर खासा असर डालते हैं.