Ballia Lok Sabha Seat: चंद्रशेखर फैमिली का दबदबा, पिता 8 बार, बेटा 2 बार सांसद... बलिया लोकसभा सीट का इतिहास जानिए

Lok Sabha Election 2024: बलिया लोकसभा सीट पर पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की फैमिली का दबदबा रहा है. पूर्व पीएम इस सीट से 8 बार सांसद रहे थे, जबकि उनके बेटे नीरज शेखर दो बार सांसद चुने गए थे. साल 2014 से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है. इस लोकसभा क्षेत्र में ब्राह्मण, राजपूत, यादव और दलित वोटर्स की बहुलता है.

Ballia Lok Sabha Seat
शशिकांत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 08 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 3:29 PM IST

बलिया लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल इलाके में बिहार बॉर्डर पर है. इस लोकसभा सीट पर  पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की फैमिली का दबदबा रहा है. पूर्व पीएम खुद 8 बार इस सीट से सांसद चुने गए थे. जबकि उनके बेट नीरज शेखर 2 बार सांसद चुने गए. इस सीट बीजेपी को पहली बार साल 2014 में जीत मिली. उसके बाद से लगातार बीजेपी का दबदबा कायम है. चलिए आपको राजपूत बहुल इस सीट का इतिहास बताते हैं.

किस पार्टी ने किसको बनाया उम्मीदवार-
उत्तर प्रदेश में एनडीए और इंडिया गठबंधन में मुकाबला है. जबकि बहुजन समाज पार्टी (BSP) अकेले चुनावी मैदान में है. एनडीए और इंडिया गठबंधन ने अब तक इस सीट पर प्रत्याशी घोषित नहीं किया है. इंडिया गठबंधन में ये सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई है. उधर, बीएसपी ने भी अब तक उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया है.

2019 आम चुनाव में किसको मिली जीत-
साल 2019 आम चुनाव में बीजेपी और समाजवादी पार्टी के बीच के मुकाबला था. बीजेपी उम्मीदवार वीरेंद्र सिंह मस्त ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार सनातन पांडे को 15 हजार 519 वोटों से हराया था. वीरेंद्र सिंह को 4 लाख 69 हजार 114 वोट मिले थे, जबकि सनातन पांडे को 4 लाख 53 हजार 595 वोट हासिल हुए थे. जबकि ओमप्रकाश राजभर की पार्टी एसबीएसपी के उम्मीदवार विनोद को 35 हजार 900 वोट मिले थे.

इस सीट पर चंद्रशेखर फैमिली का दबदबा-
बलिया लोकसभा सीट पर चंद्रशेखर फैमिली का दबदबा रहा है. इस सीट से पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर 8 बार सांसद रहे थे. पहली साल 1977 आम चुनाव में वो जनता पार्टी के टिकट पर सांसद चुने गए. इसके बाद साल 2004 तक वो सांसद चुने गए. हालांकि इस बीच सिर्फ एक बार साल 1984 आम चुनाव में चंद्रशेखर को हार का सामना करना पड़ा था. कांग्रेस के जगन्नाथ चौधरी ने चंद्रशेखर को हराया था. चंद्रशेखर ने साल 1997 आम चुनाव, साल 1980, साल 1989, साल 1991 आम चुनाव, साल 1996, साल 1999 और साल 2004 में जीत दर्ज की.

चंद्रशेखर ने साल 2004 चुनाव का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. उनका निधन हो गया. उसके बाद साल 2008 उपचुनाव में उनके बेटे नीरज शेखर ने जीत हासिल की. इसके बाद साल 2009 आम चुनाव में नीरज शेखर समाजवादी पार्टी के टिकट पर सांसद चुने गए.

बलिया लोकसभा सीट का इतिहास-
इस सीट पर पहली बार साल 1952 आम चुनाव में वोट डाले गए थे. सोशलिस्ट पार्टी के राम नगीना सिंह ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद साल 1957 आम चुनाव में कांग्रेस के राधा मोहन सिंह और साल 1962 आम चुनाव में कांग्रेस मुरली मनोहर सांसद चुने गए. इसके बाद साल 1967 और साल 1971 आम चुनाव में कांग्रेस को चंद्रिका प्रसाद सांसद चुने गए. साल 1977 आम चुनाव से लेकर 2004 आम चुनाव तक चंद्रशेखर सांसद चुने गए. इस बीच सिर्फ एक बार साल 1984 आम चुनाव में कांग्रेस के जगन्नाथ चौधरी ने जीत हासिल की थी. साल 2009 आम चुनाव में नीरज शेखर सांसद बने.

साल 2014 में बीजेपी को पहली बार बलिया लोकसभा सीट पर जीत का मौका मिला. बीजेपी के उम्मीदवार भरत सिंह सांसद चुने गए. जबकि साल 2019 आम चुनाव में वीरेंद्र सिंह मस्त ने जीत दर्ज की.

5 विधानसभा सीटों का गणित-
बलिया लोकसभा सीट गाजीपुर और बलिया जिले में है. इस लोकसभा सीट के तहत गाजीपुर की दो विधानसभाएं और बलिया की 3 विधानसभाएं आती हैं. गाजीपुर की मोहम्मादबाद और जहूराबाद के साथ बलिया की फेफना, बलिया नगर और बैरिया विधानसभाएं शामिल हैं. साल 2022 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सिर्फ एक सीट बलिया नगर में जीत मिली थी. जबकि तीन सीटों बैरिया, फेफना और मोहम्मदाबाद पर समाजवादी पार्टी को जीत मिली थी. जहूराबाद सीट एसबीएसपी के खाते में गई थी. फेफना से संग्राम सिंह यादव, बलिया नगर से दयाशंकर सिंह, बैरिया से जयप्रकाश अंचल, जहूराबाद से ओम प्रकाश राजभर और मोहम्मदाबाद से मुन्नू अंसारी विधायक चुने गए.

इस सीट का जातीय समीकरण-
बलिया लोकसभा क्षेत्र में ब्राह्मण, राजपूत, यादव बहुल है. इस सीट पर सबसे ज्यादा तीन लाख ब्राह्मण वोटर्स की संख्या है. जबकि राजपूत, दलित और यादव वोटर्स की संख्या ढाई-ढाई लाख से ज्यादा है. इस क्षेत्र में मुस्लिम वोटर भी एक लाख के करीब हैं. इस लोकसभा सीट पर भूमिहार वोटर्स की भी बहुलता है. गाजीपुर के जहूराबाद और मोहम्मदाबाद क्षेत्र में भूमिहार वोटर्स की संख्या ठीक-ठाक है. ये दोनों क्षेत्र बलिया लोकसभा सीट के तहत आ गए हैं. ऐसे में भूमिहार वोटर्स की भी अहम भूमिका है.

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