चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) की तारीखों का ऐलान कर दिया है. इसके साथ ही सोमवार शाम को बिहार में बीजेपी (BJP) की अगुवाई वाली एनडीए (NDA) में सीटों के बंटवारे को लेकर सहमति बन गई. बीजेपी के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े ने एनडीए नेताओं के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एनडीए गठबंधन की सभी सीटों का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि एक फॉर्मूले पर चर्चा हुई और एनडीए गठबंधन में शामिल सभी दलों ने इसे स्वीकार कर लिया.
इस फार्मूले के तहत भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को 17 सीटें, उसके बाद नीतीश की जेडीयू को 16 सीटें, चिराग पासवान (Chirag Paswan) की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास LJP (RV) को 5 सीटें, जीतन राम मांझी की पार्टी हम (HAM) को एक सीट, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) को एक सीट दी गई है.सीट बंटवारे में पशुपति पारस की पार्टी लोक जनशक्ति को एक भी सीट नहीं मिली है. पशुपति पारस की जगह चिराग पासवान को तवज्जो दी गई है.
कहां से कौन पार्टी चुनाव मैदान में
1. बीजेपीः आरा, बक्सर, सासाराम, पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, औरंगाबाद, मधुबनी, अररिया, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, महराजगंज, सारण, उजियारपुर, बेगुसराय, नवादा, पटना साहिब और पाटलिपुत्र.
2. जेडीयू: वाल्मीकि नगर, सीतामढ़ी, झंझारपुर, सुपौल, किशनगंज, कटिहार, पुर्णिया, मधेपुरा, गोपालगंज, सीवान, भागलपुर, बांका, मुंगेर, नालंदा, जहानाबाद और शिवहर
3. लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास): हाजीपुर, वैशाली, समस्तीपुर, खगड़िया और जमुई.
4. हम: गया सीट.
5. राष्ट्रीय लोकमोर्चा: काराकाट.
एनडीए सभी 40 सीटों पर जीत करेगा हासिल
चिराग पासवान की पार्टी के नेता राजू तिवारी ने कहा, 'बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से बातचीत के बाद हमें पांच सीटें मिली हैं. मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम न केवल सभी पांच सीटें जीतेंगे बल्कि बिहार की सभी 40 सीटों पर जीत हासिल करेंगे.' जेडीयू नेता संजय झा ने कहा कि बिहार में इस बार एकतरफा चुनाव है और एनडीए सभी 40 सीटों पर जीत हासिल करेगा. वहीं राज्य के उप मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सम्राट चौधरी ने कहा कि 40 सीट बिहार में जीतने का लक्ष्य है. पिछले बार के 3 घटक दल के अतिरिक्त जीतन राम मांझी और कुशवा जी की RLM भी एनडीए में है.
भाजपा के लिए चिराग क्यों जरूरी
चिराग पासवान को युवा नेता माना जाता है. उनकी बिहार में युवाओं के बीच अच्छी पकड़ है. हाजीपुर से कहने को तो सांसद पशुपति पारस हैं लेकिन जमीनी स्तर पर देखा जाए तो वोटर्स का एक बड़ा तबका चिराग पासवान के साथ है. इसके देखते हुए भाजपा पारस से कन्नी काट चिराग को अपने साथ लेने की योजना बनाई थी. इतना ही नहीं चिराग क्षेत्र में अपने चाचा पारस से ज्यादा सक्रिय रहते हैं.
रामविलास पासवान के 2019 में लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष रहते पार्टी का सारा काम चिराग ही देखा करते थे. पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ उनका जुड़ाव अच्छा है. रामविलास पासवान के साथ जुड़े लोग पारस को नहीं बल्कि चिराग को ही उनका उत्तराधिकारी मानते हैं. चिराग एनडीए में रहते हुए हाजीपुर से चुनाव लड़ते हैं तो इसका फायदा बीजेपी को जरूर मिलेगा.
कई दलों से आ चुके थे ऑफर
चिराग पासवान को महागठबंधन के दलों आरजेडी, कांग्रेस और अन्य से कई बार ऑफर आ चुके थे. अभी हाल ही में तेजस्वी यादव ने चिराग से मुलाकात की थी और उन्हें सीटों को लेकर बड़ा ऑफर दिया था. रामविलास पासवान दलितों के नेता माने जाते थे. बिहार में दलित-ओबीसी वोट का एक बड़ा तबका चिराग के समर्थन में है.
बीजेपी को डर था कि यदि चिराग इंडिया गठबंधन में चले गए तो दलित-ओबीसी वोट बंटेगा. इससे भाजपा को नुकसान हो सकता है. यही सोचकर बीजेपी ने नीतीश कुमार को भी अपने पाले में शामिल किया है. बीजेपी को चिराग को अपने साथ लेने का एक कारण यह भी है कि वह पिता के निधन के बाद पार्टी टूटने पर भी बीजेपी के प्रति वफादार बने रहे. जबकि बीजेपी ने पारस को सरकार में शामिल कर लिया था.