चित्तौड़गढ़ लोकसभा सीट राजस्थान में है. इस सीट पर बीजेपी को 8 बार जीत मिली है. जबकि कांग्रेस को 7 बार जीत हासिल हुई है. इस बार बीजेपी ने जीत की हैट्रिक लगाई है. ये लोकसभा सीट 8 विधानसभा सीटों को मिलाकर बनी है. इसमें ज्यादातर सीटों पर बीजेपी के विधायक हैं. चित्तौड़गढ़ सीट को ब्राह्मण और राजपूत बहुल्य माना जाता है. चलिए आपको इस सीट का समीकरण और इतिहास बताते हैं.
चंद्र प्रकाश ने लगाई जीत की हैट्रिक-
आम चुनाव 2024 में बीजेपी के चंद्र प्रकाश जोशी को जीत मिली है. बीजेपी उम्मीदवार ने कांग्रेस उम्मीदवार अंजाना उदयलाल को 3.89 लाख वोटों से हराया है. चंद्र प्रकाश को 8.88 लाख वोट मिले और कांग्रेस उम्मीदवार को 4.98 लाख वोट हासिल हुए.
2019 आम चुनाव के नतीजे-
साल 2019 आम चुनाव में बीजेपी के सीपी जोशी ने जीत हासिल की थी. उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार गोपाल सिंह शेखावत को 5 लाख 76 हजार 247 वोटों के बड़े अंतर से हराया था. सीपी जोशी को 9 लाख 82 हजार 942 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार को 4 लाख 6 हजार 695 वोट हासिल हुए थे. नोटा पर 17 हजार 528 लोगों ने बटन दबाया था. इस सीट से बीएसपी उम्मीदवार डॉ. जगदीश चंद्र शर्मा क 13 हजार के आसपास वोट मिले थे.
चित्तौड़गढ़ सीट का इतिहास-
चित्तौड़गढ़ लोकसभा सीट पर पहली बार साल 1952 आम चुनाव में वोट डाले गए थे. उस चुनाव में भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार उमाशंकर त्रिवेदी ने जीत हासिल की थी. हालांकि साल 1957 आम चुनाव में कांग्रेस ने ये सीट जीत ली. कांग्रेस के उम्मीदवार माणिक्य लाल वर्मा सांसद चुने गए. माणिक्य लाल साल 1962 में भी सांसद चुने गए. साल 1967 आम चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस उम्मीदवार की जीत हुई. कांग्रेस उम्मीदवार ओंकार लाल बोहरा ने जीत हासिल की.
साल 1971 आम चुनाव में जनसंघ ने वापसी की और जीत हासिल की. जनसंघ के उम्मीदवार बिश्वनाथ झुनझुनवाला सांसद बने. साल 1977 आम चुनाव में जनता पार्टी के श्याम सुंदर सोमानी ने जीत हासिल की. साल 1980 चुनाव में कांग्रेस (आई) की निर्मला कुमारी शक्तावत सांसद बनीं. निर्मला कुमारी ने साल 1984 आम चुनाव में भी जीत हासिल की.
चित्तौड़गढ़ लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी को पहली बार साल 1989 आम चुनाव में जीत मिली. महेंद्र सिंह मेवाड़ सांसद चुने गए. लगातार तीन बार बीजेपी ने जीत हासिल की. साल 1991 में बीजेपी के जसवंत सिंह ने जीत हासिल की. इसके बाद जसवंत सिंह ने साल 1991 और साल 1996 आम चुनाव में सांसद चुने गए.
साल 1998 आम चुनाव में कांग्रेस के उदय लाल आंजना सांसद चुने गए.लेकिन साल 1999 आम चुनाव में बीजेपी ने फिर से ये सीट छीन ली. बीजेपी उम्मीदवार श्रीचंद कृपलानी सांसद चुने गए. साल 2004 चुनाव में भी श्रीचंद कृपलानी ने ही जीत दर्ज की. साल 2009 आम चुनाव में कांग्रेस के गिरिजा व्यास सांसद चुनी गईं.
साल 2014 आम चुनाव में बीजेपी ने वापसी की और पार्टी उम्मीदवार सीपी जोशी सांसद चुने गए .सीपी जोशी 10 साल से सांसद हैं. साल 2019 आम चुनाव में भी उन्होंने जीत दर्ज की थी.
8 विधानसभा सीटों का गणित-
चित्तौड़गढ़ लोकसभा सीट 8 विधानसभा सीटों से मिलकर बनी है. इसमें मावली, वल्लभनगर, कपासन, चित्तौड़गढ़, निम्बाहेड़ा, बड़ीसादड़ी, बेगूं और प्रतापगढ़ सीटें शामिल हैं. राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 में चित्तौड़गढ़ की 6 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है, जबकि कांग्रेस एक सीट और एक सीट पर आईएनडी को जीत मिली है. मावली से कांग्रेस उम्मीदवार पुष्कर लाल दांगी विधायक चुने गए हैं और चित्तौड़गढ़ से चंद्रभान सिंह आईएनडी के टिकट पर विधायक बने हैं. इसके अलावा सभी सीटों पर बीजेपी को जीत मिली है. वल्लभनगर से उदयलाल दांगी, कपासन से अर्जुन लाल जीनगर, बेंगू से सुरेश धाकड़, निंबाहेड़ा से श्रीचंद कृपलानी, बड़ीसादड़ी से गौतम कुमार और प्रतापगढ़ से हेमंत मीना ने जीत दर्ज की है.
चितौड़गढ़ सीट का समीकरण-
चित्तौड़गढ़ लोकसभा सीट पर कुल वोटर 21.70 लाख हैं. इसमें से 10.92 लाख पुरुष और 10.77 लाख महिला वोटर हैं. इस सीट पर ब्राह्मण और राजपूत वोटर हार-जीत में अहम भूमिका निभाते हैं. साल 2011 जनगणना के मुताबिक चित्तौड़गढ़ लोकसभा सीट पर अनुसूचित जाति के वोटर्स की संख्या 2 लाख 60 हजार है. ये कुल वोटर्स का 13 फीसदी हैं. जबकि अनुसूचित जनजाति वोटर 23.3 फीसदी हैं. इनकी संख्या 4 लाख 66 हजार 269 है. चित्तौड़गढ़ सीट पर मुस्लिम वोटर 1 लाख 82 हजार 774 यानी 9.1 फीसदी हैं.
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