Godda Lok Sabha Seat: 6 बार कांग्रेस, 8 बार बीजेपी ने मारी है बाजी, हैट्रिक के बाद जीत का चौका लगाने के लिए तैयार Nishikant Dubey, गोड्डा लोकसभा सीट का जनिए इतिहास

Jharkhand Lok Sabha Election 2024: Godda Lok Sabha seat पर 2009 से लगातार बीजेपी का कब्जा है. भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार निशिकांत दुबे इस बार जीत का चौका लगाने की तैयारी में हैं. कांग्रेस ने यहां से प्रदीप यादव को चुनावी मैदान में उतारा है. अब देखना है कि बीजेपी के विजय रथ को क्या प्रदीप रोक पाते हैं या फिर निशिकांत कमल खिलाने में कामयाब होंगे. 

Godda Lok Sabha Seat
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 28 मई 2024,
  • अपडेटेड 5:59 PM IST
  • 1 जून को गोड्डा लोकसभा सीट पर डाले जाएंगे वोट 
  • बीजेपी और कांग्रेस में है सीधी टक्कर

Jharkhand Politics: लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) का बिगुल बज चुका है. छह चरणों का चुनाव संपन्न हो चुका है. सातवें और आखिरी चरण का चुनाव 1 जून 2024 को होना है. इसी फेज में झारखंड की सबसे हॉट सीटों में से एक गोड्डा लोकसभा सीट पर भी मतदान होना है. यहां एनडीए (NDA) और इंडिया गठबंधन (India Alliance) के बीच सीधी टक्कर है. आज हम आपको भारतीय जनता पार्ट (BJP) की गढ़ माने जाने वाली गोड्डा लोकसभा सीट (Godda Lok Sabha Seat) के चुनावी इतिहास और ताजा समीकरण के बारे में बताने जा रहे हैं. 

निशिकांत दुबे पर फिर जताया भरोसा
झारखंड की कुल 14 लोकसभा सीटों में गोड्डा लोकसभा सीट हर चुनाव में काफी चर्चा में रहती है. यह सीट इस बार भी बंटवारे के तहत एनडीए से जुड़ी बीजेपी के खाते में गई है. यहां से भारतीय जनता पार्टी ने मौजूदा सांसद  डॉ. निशिकांत दुबे पर ही अपना भरोसा जताया है. निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) इस सीट से जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं. वह चौथी बार जीत का स्वाद चखने के लिए बेताब हैं. उधर, इंडिया गठबंधन के तहत यह सीट कांग्रेस (Congress) के पास है. यहां से इस पार्टी ने पहले महागामा विधायक दीपिका पांडेय सिंह को टिकट दिया था. हालांकि बाद में दीपिका का टिकट काटकर पोड़ैयाहाट के विधायक प्रदीप यादव (Pradeep Yadav) को अपना प्रत्याशी बनाया है. प्रदीप यादव एक बार गोड्डा संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं.

AIMIM के उम्मीदवार ने अंतिम समय में छोड़ा मैदान
लोकसभा चुनाव 2024 में गोड्डा सीट से कुल 19 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM के उम्मीदवार ने अंतिम समय में अपना नाम वापस ले लिया. इससे अब सीधी टक्कर बीजेपी और कांग्रेस में हो गई है. इस सीट पर AIMIM के उम्मीदवार उतारे जाने से कांग्रेस उम्मीदवार की मुश्किलें बढ़ गई थी. हालांकि ओवैसी ने अपना समर्थन बहुजन समाज पार्टी को देने का फैसला किया है. इस बार चुनावी मैदान में गोड्डा से कुल दो मुस्लिम उम्मीदवार मो. नूर हसन और समता पार्टी और मो. मंसूर मंसूरी ने AIMIM से नामांकन किया था, जिनमें नूर हसन का पर्चा रद्द हो गया और ओवैसी की पार्टी उम्मीदवार ने पर्चा वापस ले लिया.

ऐसे में अब यहा कोई भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं है. ऐसे में माना जा रहा है कि मुस्लिम मतों का बिखराव नहीं होगा. इसका फायदा कांग्रेस प्रत्याशी को मिल सकता है. इससे निशिकांत दूबे की परेशानी थोड़ी बढ़ सकती है. उधर, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री विनोदानंद झा के पोते अभिषेक झा भी गोड्डा लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनावी मैदान में कूद गए हैं. अभिषेक झा और उनके परिवार का गोड्डा लोकसभा की राजनीति में दखल रहा है. अभिषेक झा कभी निशिकांत दुबे के करीबी और बीजेपी के कद्दावर नेता रह चुके हैं. ऐसे में अब देखना है कि इन सब चुनौतियों से निशिकांत दुबे कैसे पार पाते हैं.

प्रदीप यादव के सामने भी कम चुनौती नहीं
प्रदीप यादव के सामने भी कम चुनौती नहीं है.कांग्रेस पार्टी के विधायक इरफान अंसारी के पिता और पूर्व सांसद फुरकान अंसारी इस बार गोड्डा लोकसभा सीट के लिए प्रबल दावेदार माने जा रहे थे. लेकिन कांग्रेस ने उनकी जगह विधायक दीपिका पांडेय सिंह को चुनाव मैदान में उतारने का फैसला ले लिया. फिर तीन दिन बाद ही दीपिका की जगह प्रदीप यादव को टिकट दे दिया. ऐसे में प्रदीप यादव को कांग्रेस पार्टी के इरफान और दीपिका के समर्थकों से भी निपटना पड़ सकता है. हालांकि इन दोनों नेताओं ने खुलकर विरोध नहीं किया है. 4 जून को परिणाम आने के बाद पता चल जाएगा कि गोड्डा से जीत का सेहरा किसके सिर इस बार सजेगा. कभी इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा होता था लेकिन अभी गोड्डा सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है.

क्या है गोड्डा लोकसभा सीट का इतिहास
झारखंड पहले बिहार राज्य में शामिल था. गोड्डा लोकसभा सीट पर संयुक्त बिहार में पहला चुनाव 1962 में हुआ था. उस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार प्रभुदयाल हिम्मत सिंह ने जीत दर्ज की थी. लोकसभा चुनाव 1967 में भी कांग्रेस के टिकट पर प्रभु दयाल ने बाजी मारी थी. लोकसभा चुनाव 1971 में कांग्रेस के टिकट पर जगदीश मंडल ने जीत दर्ज की थी. 

कांग्रेस को मिली थी हार
लोकसभा चुनाव 1977 में गोड्डा सीट कांग्रेस उम्मीदवार को हार का समाना करना पड़ा था. उस चुनाव भारतीय लोकदल के प्रत्याशी जगदंबी प्रसाद यादव विजयी हुए थे. इसके बाद लोकसभा चुनाव 1980 में गोड्डा सीट से एक बार फिर कांग्रेस ने जीत दर्ज की. समीनउद्दीन सांसद चुने गए. लोकसभा चुनाव 1984 में भी कांग्रेस उम्मीदवार शमीमुद्दीन ने जीत दर्ज की थी. 

जब पहली बार खिला था बीजेपी का कमल
लोकसभा चुनाव 1989 में गोड्डा सीट से पहली बार बीजेपी का कमल खिला. इस सीट से बीजेपी उम्मीदवार जनार्दन यादव ने जीत दर्ज की थी. लोकसभा चुनाव 1991 में गोड्डा सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कब्जा जमाया था. 1996 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यहां से फिर जीत दर्ज की. इस चुनाव में जगदंबी प्रसाद यादव सांसद बने. 1998 के उप चुनाव में जगदंबी प्रसाद यादव दोबारा सांसद बने. इसके बाद लोकसभा चुनाव 1999 में भी बीजेपी के टिकट पर  जगदंबी प्रसाद यादव जीत दर्ज करने में सफल रहे.

बंटवारे के बाद पहले चुनाव में कांग्रेस ने मारी बाजी
बिहार से अलग होने के बाद झरखंड राज्य बनने के बाद गोड्डा लोकसभा सीट पर 2004 में चुनाव हुआ. इस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार फुरकान अंसारी ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद लोकसभा चुनाव 2009 में बीजेपी ने फिर वापसी की और डॉ. निशिकांत दुबे जीतकर लोकसभा पहुंचे. निशिकांत दुबे लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में भी बीजेपी के टिकट पर विजय प्राप्त करने में सफल रहे. 

गोड्डा से कब और किस पार्टी के बने सांसद
1962: प्रभु दयाल हिम्मत सिंह, कांग्रेस
1967: प्रभु दयाल हिम्मत सिंह, कांग्रेस
1971: जगदीश मंडल, कांग्रेस
1977: जगदंबी प्रसाद यादव, भारतीय लोकदल
1980: मौलाना समीनुद्दीन, कांग्रेस
1984: मौलाना समीनुद्दीन, कांग्रेस
1989: जनार्दन यादव, बीजेपी
1991: सूरज मंडल, झारखंड मुक्ति मोर्चा
1996: जगदंबी प्रसाद यादव, बीजेपी
1998: जगदंबी प्रसाद यादव, बीजेपी
1999: जगदंबी प्रसाद यादव, बीजेपी
2002: प्रदीप यादव, बीजेपी
2004: फुरकान अंसारी, कांग्रेस
2009: डॉ. निशिकांत दुबे, बीजेपी 
2014: डॉ. निशिकांत दुबे, बीजेपी
2019: डॉ. निशिकांत दुबे, बीजेपी

लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 में कैसा रहा जनादेश
लोकसभा चुनाव 2014 में गोड्डा सीट से बीजेपी उम्मीदवार डॉ. निशिकांत दुबे ने जीत दर्ज की थी. दुबे को  380500 लाख वोट मिले थे. कांग्रेस उम्मीदवार फुरकान अंसारी को 319818 लाख मत प्राप्त हुए थे. तीसरे नंबर पर रहे झामुमो के प्रदीप यादव को 1.93 वोटों से संतोष करना पड़ा था. इस सीट पर करीब 65 फीसदी मतदान हुआ था.

लोकसभा चुनाव 2019 में एक बार फिर बीजेपी के टिकट पर निशिकांत दुबे ने बाजी मारी. दुबे को इस चुनाव में 6,37,610 वोट मिले थे. दूसरे स्थान पर रहे जेवीएम(पी) उम्मीदवार प्रदीप यादव को 4,53,383 मतों से संतोष करना पड़ा था. बसपा उम्मीदवार जफर ओबैद को मात्र 17,583 वोट मिले थे. गोड्डा संसदीय सीट पर 68.96 फीसदी मतदान दर्ज किया गया था. 

किस विधानसभा सीट पर किसका कब्जा
गोड्डा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत कुल छह विधानसभा सीटें आती हैं. इसमें गोड्डा के अलावा दुमका और देवघर भी शामिल है. मौजूदा समय में गोड्डा विधानसभा सीट, महागामा, पोड़ैयाहाट, जरमुंडी, मधुपुर और देवघर कुल 6 विधानसभा सीटों में से चार पर इंडिया गठबंधन का कब्जा है, वहीं दो पर भाजपा के विधायक हैं. इंडिया ब्लॉक से महगामा की विधायक दीपिका पांडेय सिंह है. पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव खुद इस साल लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार हैं. जरमुंडी से महागठबंधन के बादल पत्रलेख और मधुपुर से हफीजुल अंसारी विधायक हैं. एनडीए की ओर से गोड्डा विधायक अमित मंडल और देवघर विधायक नारायण दास शामिल हैं.

क्या है जातीय समीकरण 
गोड्डा लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 15.90 लाख से ऊपर है. बात जातीय समीकरण की करें तो यहां पिछड़ी जातियों और मुस्लिमों का दबदबा है. अनुमान के मुताबिक सर्वाधिक साढ़े तीन लाख मुस्लिम मतदाताओं की आबादी है. इसके अलावा 2.5 लाख से अधिक आदिवासी मतदाओं की भी संख्या है.

ढाई-ढाई लाख यादव, ब्राह्मण और वैश्य आबादी है.अनुसूचित जाति की आबादी करीब 11 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति की आबादी करीब 12 प्रतिशत है. राजपूत, भूमिहार और कायस्थ जैसी सवर्ण जातियों की आबादी भी एक लाख के करीब है.वोटिंग पैटर्न की बात करें तो ब्राह्मण और वैश्य बीजेपी के कोर वोटर माने जाते हैं. इसके अलावा पिछड़ी जातियों पर पकड़ के कारण बीजेपी यहां शानदार प्रदर्शन करती है. वहीं यादव और मुस्लिम वोटर महागठबंधन उम्मीदवार के साथ जाते हैं.

 

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