त्रिशूर लोकसभा सीट केरल में है और यह चुनाव लिहाज से काफी महत्वूर्ण मानी जाती है. इसे सूबे की सांस्कृतिक राजधानी कहा जाता है. त्रिशूर मलयालम शब्द त्रिस्सिवपेरुर से निकला है, जिसका अर्थ शिव का पवित्र घर होता है. इस लोकसभा सीट पर कांग्रेस और सीपीआई का कब्जा रहा है. सीपीआई ने इस सीट पर 10 बार और कांग्रेस ने 7 बार जीत हासिल की है. चलिए इस सीट के जातीय समीकरण और इतिहास के बारे में बताते हैं.
किस पार्टी ने किसको बनाया उम्मीदवार-
बीजेपी ने इस सीट से मलयालम एक्टर सुरेश गोपी को उम्मीदवार बनाया है. जबकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI)ने वीएस सुनील कुमार को मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने के. मुरलीधरन को उम्मीदवार बनाया है. साल 1999 से लेकर अब तक इस सीट पर कांग्रेस और सीपीआई को बदल-बदलकर जीत मिलती रही है. लेकिन इस बार बीजेपी के उम्मीदवार भी चुनाव में टक्कर दे रहे हैं.
2019 आम चुनाव में कांग्रेस को जीत-
पिछले आम चुनाव यानी साल 2019 में कांग्रेस को उम्मीदवार टीएन प्रतापन ने सीपीआई के उम्मीदवार राजाजी मैथ्यू थॉमस को 93 हजार 633 वोटों से हराया था. कांग्रेस उम्मीदवार को 4 लाख 15 हजार 89 वोट मिले थे, जबकि सीपीआई उम्मीदवार को 3 लाख 21 हजार 456 वोट मिले थे. इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार को भी 2 लाख 93 हजार 822 वोट हासिल हुए थे.
त्रिशूर सीट का इतिहास-
त्रिशूर लोकसभा सीट पर 7 बार कांग्रेस को जीत मिली है. जबकि सीपीआई को 10 बार जीत मिली है. साल 1952 आम चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार इयुन्नी चलक्का को जीत हासिल हुई थी. उसके बाद से लगातार 6 चुनावों में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी को जीत मिली. साल 1957 और साल 1962 चुनाव में सीपीआई के के. कृष्णन वारियर को जीत मिली तो साल 1967 और साल 1971 आम चुनाव में सी. जनार्दन विजयी हुए. साल 1977 और साल 1980 आम चुनाव में सीपीआई के केए राजन को जीत मिली.
साल 1984 आम चुनाव में कांग्रेस ने वापसी की और लगातार 3 चुनावों में जीत हासिल की. साल 1984 आम चुनाव में कांग्रेस के पीए एंटनी को जीत मिली. उन्होंने साल 1989 आम चुनाव में भी इस जीत को बरकरार रखा. लेकिन साल 1991 में कांग्रेस कए उम्मीदवार पीसी चाको को जीत हासिल हुई.
इसके बाद दो चुनावों में वामदलों की जीत मिली. सीपीआई के वीवी राघवन को साल 1996 आम चुनाव और साल 1998 आम चुनाव में जीत मिली थी. लेकिन साल 1999 के चुनाव में कांग्रेस के एसी जोस ने जीत हासिल की. साल 2004 में सीपीआई के सीके चंद्रप्पन को जीत मिली. साल 2009 आम चुनाव में कांग्रेस के पीसी चाको और साल 2014 आम चुनाव में सीपीआई के सीएन जयदेवन को जीत मिली. साल 2019 आम चुनाव में कांग्रेस के टीएन प्रतापन विजयी हुए.
7 विधानसभा सीटों का गणित-
त्रिशूर लोकसभा सीट के तहत 7 विधानसभा सीटें आती हैं. इसमें गुरूवायूर, मनालूर, ओल्लुर, त्रिशूर, नटिका, पुथुक्कड़ और इरिंजलाकुडा विधानसभा सीट शामिल है. इसमें से 4 सीटों पर सीपीएम और 3 सीटों पर सीपीआई को जीत मिली है. सीपीएम को गुरूवायुर, मनालूर, इरिंजलाकुडा और पुथुक्कड में जीत मिली है. जबकि ओल्लुर, त्रिशूर और नटिका में सीपीआई को जीत हासिल हुई. गुरूवायुर से एनके अकबर, मनालूर से मुरली पेरुनेली, औल्लुर से के. राजन, त्रिशूर से पी. बालचंद्रन, नटिका से सीसी मुकुंदन, इरिंजलाकुडा से आर. बिंदु और पुथुक्कड से केके रामचंद्रन विधायक चुने गए हैं.
त्रिशूर का जातीय समीकरण-
2011 की जनगणना के मुताबिक त्रिशूर सीट पर एक लाख 20 हजार 233 यानी 9.1 फीसदी अनुसूचित जाति (SC) के वोटर हैं. जबकि अनुसूचित जनजाति (ST) के 5 हजार 285 यानी 0.4 फीसदी वोटर हैं. इस सीट पर मुस्लिम वोटर्स की संख्या 2 लाख 3 हजार 472 यानी 15.4 फीसदी वोट है. त्रिशूर लोकसभा सीट पर ईसाई वोटर्स की संख्या 2 लाख 82 हजार 746 यानी 21.4 फीसदी है. जबकि इस सीट पर हिंदू वोटर्स की संख्या 8 लाख 35 हजार 26 यानी 63.2 फीसदी है.
बीजेपी के लिए क्या है चांस-
त्रिशूर लोकसभा सीट पर हमेशा से कांग्रेस और सीपीआई के बीच मुकाबला होता रहा है. लेकिन इस बार बीजेपी के लिए भी मौका है. बीजेपी ने पूर्व राज्यसभा सांसद सुरेश गोपी को उम्मीदवार बनाया है. साल 2019 आम चुनाव में बीजेपी ने सुरेश गोपी को ही मैदान में उतारा था. सुरेश गोपी ने उस चुनाव में 2 लाख 93 हजार यानी 28.2 फीसदी वोट हासिल किए थे. कुछ दिनों पहले ही पीएम मोदी त्रिशूर के गुरुवायुर मंदिर में दर्शन के लिए गए थे. त्रिशूर में करीब 63 फीसदी हिंदू वोटर हैं. बीजेपी ने इस पर पूरी ताकत लगा दी है.
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