Loksabha Elections 2024: बाहरी और सिलेब्रिटी नहीं... उत्तर पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट पर लोकल फैक्टर हावी, क्या इस बार भी करेगी कमाल?

मुंडका और कंझावला में पानी की निकासी एक बड़ी समस्या है. बारिश का पानी भर जाने से सड़कों का बुरा हाल है अनऑथराइज्ड कॉलोनी और गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों की अच्छी खासी तादाद है. बीजेपी के प्रत्याशी योगेंद्र चांदोलिया का दावा है कि बवाना इंडस्ट्रियल एरिया, टिंबर मार्केट को दिल्ली सरकार की वजह से बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

Elections (Photo: Getty Images)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 08 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 12:36 PM IST
  • दिल्ली देहात की जनता के बीच ये हैं मुद्दे
  • राजधानी में मेट्रो का जाल लेकिन नरेला कोसों दूर

उत्तर पश्चिमी दिल्ली सीट (North West Delhi Lok Sabha Seat) दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में से एक सुरक्षित सीट है जो 2008 में अस्तित्व में आई. बीजेपी ने इस बार मौजूदा सासंद हंसराज हंस का टिकट काटकर दलित चेहरे और करोलबाग के रैगरपुरा के रहने वाले योगेंद्र चांदोलिया को दिया है. साल 2019 में बीजेपी के हंसराज हंस, साल 2014 में  बीजेपी के उदित राज और साल 2009 में  कांग्रेस की कृष्णा तीरथ ने इस सीट से जीत हासिल की है. इस सीट पर विधानसभा की 10 सीटें आती हैं. जिसमें रिठाला, बवाना, नरेला और रोहिणी जैसी सीटें शामिल हैं.

इस सीट पर SC वोटर्स का रहा दबदबा

साल 1997 में दिल्ली में 9 जिले थे.  साल 2012 में दिल्ली को जिन 11 जिलों में बांटा गया उनमें से एक उत्तर पश्चिमी दिल्ली जिला है. नार्थ वेस्ट लोक सभा सीट पर 25 लाख 5 हजार 82 वोट हैं. करीब 8 फीसदी मु्स्लिम आबादी है और 18 फीसदी SC वर्ग के लोग रहते हैं. विधानसभा की नरेला, बादली, रिठाला, बवाना, मुंडका, किराड़ी, सुल्तानपुर माजरा, नांगलोई जट, मंगोलपुरी और रोहिणी सीटें आती हैं.

दिल्ली देहात एक बड़ा जिताऊ फैक्टर

ग्राउंड रिपोर्ट से साफ पता चलता है कि मुंडका और कंझावला में पानी की निकासी एक बड़ी समस्या है. बारिश का पानी भर जाने से सड़कों का बुरा हाल है. अनऑथराइज्ड कॉलोनी और गरीबी रेखा के नीचे रहने वालों की अच्छी खासी तादाद है. बीजेपी के प्रत्याशी योगेंद्र चांदोलिया का दावा है कि बवाना इंडस्ट्रियल एरिया, टिंबर मार्केट को दिल्ली सरकार की वजह से बहुत-सी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. डीएसआईडीसी ने बवाना में कोई गाड़ी एंट्री होने पर उसका टोल टैक्स लगा दिया था, उसे हटवाया गया. प्रशासन की कई प्रकार की दिक्कतें व्यापारियों को तंग करने लगी हैं. गांव के अंदर पीने के पानी की बड़ी समस्या है नल से जल पहुंचने का काम पीएम मोदी ने किया है. बवाना इंडस्ट्री के चलते कामगार आबादी की संख्या ज्यादा है. दलित, मुस्लिम, पूर्वांचली, रेहड़ी-पटरी वालों की तादाद काफी है. सबसे बड़ा जिताई फैक्टर दलित और दिल्ली देहात के वोट हैं.

15 साल लगातार देवनगर से निगम के मेंबर, दो साल यूनिफाइड कारपोरेशन के अध्यक्ष  रहे हैं. योगेंद्र चांदोलिया का दावा है कि अयोध्या का राम मंदिर धारा 370, 35 A और मोदी की गारंटी की वजह से 10% वोट बढ़ेगा और 70% वोट शेयर हो जाएगा. पिछली बार बीजेपी के कैंडिडेट को 60% वोट मिला था. बता दें कि इस, सीट पर गठबंधन कैंडीडेट कांग्रेस के उदितराज और रामकुमार का नाम रेस में है, आधिकारिक घोषणा अभी बाकी है.

उत्तर पश्चिमी दिल्ली सीट का इतिहास

एक वक्त था जब पार्टी के काडर और इलाके में मतदाताओं पर बीजेपी की हवा नहीं थी. साल 2009 इस सीट पर पहला चुनाव हुआ था. तब कांग्रेस की कृष्णा तीरथ ने बीजेपी की मीरा कंवारिया को हराया था. साल 2009 से पहले इसी सीट से  किशन लाल शर्मा इस सीट से दो बार चुनाव जीते. साहिब सिंह वर्मा भी इसी सीट से जीते थे. सज्जन कुमार भी इसी सीट से जीते थे. 2014 के चुनाव में बीजेपी ने यहां से उदित राज को टिकट दिया जिसे  करीब लाख वोट मिले. वहीं, आप की राखी बिड़ला को करीब 5.5 लाख वोट मिले. 2019 में बीजेपी ने सिलेब्रिटी और सूफी सिंगर हंसराज हंस को टिकट दिया.  और उनकी जीत हुई.

दिल्ली देहात की जनता के बीच ये हैं मुद्दे

दिल्ली पंचायत संघ प्रमुख थान सिंह यादव का कहना है कि दिल्ली देहात की मुख्य समस्या ट्रांसपोर्ट और मेट्रो का ना होना है. शिक्षा के लिए कॉलेज की मांग के साथ ही ग्राम सभा की लैंड छोड़ी जाए. शहरीकृत गांव का हाउस टैक्स ज्यादा है. गांवों में नक्शा पास नही होता दिल्ली की जमीनों का सर्कल रेट हरियाणा से भी कम है. मौजूदा लैंड पूलिंग के तरीके का दिल्ली के किसान विरोध कर रहे हैं.

राजधानी में मेट्रो का जाल लेकिन नरेला कोसों दूर

सोनीपत से लेकर एयरपोर्ट तक जो सड़क और फ्लाईओवर बना उसे गांव तक कनेक्ट करवाना है. नरेला के लोग मेट्रो से जुड़ना चाहते हैं. बीजेपी के प्रत्याशी योगेंद्र चांदोलिया ने कहा कि यह उनका संकल्प है कि मेट्रो को नरेला तक ले जाया जाए. रिठाला के आगे बवाना और चंदी का गांव तक मेट्रो को ले जाने का संकल्प है. किराड़ी विधानसभा में लोगों के घर पानी में डूबे हुए हैं. मिनिस्टर हरदीप पुरी ने पैसे देकर गांव में विकास का काम शुरू कर दिया है जिसे आगे तक ले जाना है. 12C रेलवे फाटक को क्रॉस करके लोग रोहतक रोड पर जाना चाहते हैं रेलवे ने ब्रिज बनाने के लिए 132 करोड़ रूपये भी दे दिए है, लेकिन दिल्ली सरकार से NOC न मिल पाने से काम अटक गया है. वहीं घेवरा मोड़ पर लोग घंटों जाम में फंसे रहते हैं. 1998 में जब दिल्ली में बीजेपी की सरकार थी मौजूदा मुख्यमंत्री साहब सिंह वर्मा 88 एकड़ जमीन घेवर में किसानों से एक्वायर करके DDA को दिया था. वहां पर एक स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी बननी थी. 15 साल कांग्रेस और साढ़े 9 साल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को हो गए हैं लेकिन 24 साल में एक भी काम नहीं हुआ. अगर यूनिवर्सिटी बनती तो मोदी जी का सपना खेलो इंडिया जीतो इंडिया का होता.

(राम किंकर सिंह की रिपोर्ट)

 

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