पंजाब में सियासी दल गठबंधन-गठबंधन का खेल खेलने में व्यस्त हैं. अकाली दल-बीजेपी, कांग्रेस-आम आदमी पार्टी और अकाली दल-बीएसपी गठबंधन को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है. बीएसपी सुप्रीमो मायावती की सोमवार को की गई घोषणा के बाद अब अकाली दल-बीएसपी गठबंधन का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है.
मायावती का बयान, अकाली की चुप्पी-
बीएसपी मुखिया मायावती ने सोमवार को साफ किया था कि उनकी पार्टी किसी भी राजनीतिक दल के साथ चुनावी गठबंधन नहीं करेगी, क्योंकि चुनावी गठजोड़ के फायदे कम और नुकसान ज्यादा होते हैं.
बीएसपी के साथ गठबंधन को लेकर अकाली दल नेता चुप्पी साधे हुए हैं. हाल ही में पार्टी की स्थापना दिवस के मौके पर अकाली दल नेतृत्व ने दावा किया था कि वह बीएसपी के साथ गठबंधन को लेकर खुश हैं और इस गठबंधन को और ज्यादा मजबूत करना चाहते हैं. लेकिन अब मायावती की घोषणा के बाद अकाली दल के नेता गठबंधन को लेकर चुप हैं.
क्यों गठबंधन करना चाहता है अकाली दल-
बीएसपी की पंजाब इकाई के नेता भी गठबंधन को लेकर बयान देने से बच रहे हैं. सवाल यह है कि अगर बीएसपी के साथ गठबंधन टूटता है तो अकाली दल सूबे के 32 फीसदी दलित मतदाताओं का समर्थन कैसे हासिल करेगा? अकाली दल पिछले कुछ महीनों से पार्टी को मजबूत करने में लगा हुआ है और उन नेताओं की तरफ भी दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है, जिन्होंने बीते सालों में पार्टी से किनारा कर लिया है. अकाली दल के नेता धार्मिक और किसानों से जुड़े मामलों को आधार बनाकर चुनावी गठबंधन करना चाहते हैं.
बीएसपी और पंजाब के दलित वोटर्स-
वैसे अगर मत प्रतिशत की बात करें तो पंजाब में 32 फीसदी दलित मतदाता होने के बावजूद भी बहुजन समाज पार्टी का वोट शेयर ना के बराबर है. 25 साल बाद भी बीएसपी का मत प्रतिशत सिर्फ 1.7 फ़ीसदी ही रहा है. हालांकि एक बार पार्टी एक विधानसभा सीट जीत चुकी है.
पार्टी से जुड़े सूत्र बताते हैं कि बीएसपी से गठबंधन टूटने के बाद अकाली दल सीपीआई और सीपीआईएम जैसे वामपंथी दलों से हाथ मिला सकता है.
बीजेपी-अकाली गठबंधन की भी सुगबुगाहट-
वैसे बीजेपी से जुड़े सूत्र बता रहे हैं कि अकाली दल और बीजेपी के गठबंधन की बातचीत भी अंतिम दौर में है. हालांकि दोनों पार्टियों के नेता गठबंधन को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं. सूत्रों के मुताबिक सीट शेयरिंग को लेकर गठबंधन पर पेच फंसा हुआ है, क्योंकि अबकी बार बीजेपी तीन से ज्यादा सीटों की मांग कर रही है.
बीजेपी और अकाली दल का गठबंधन होता है या नहीं, फिलहाल तय नहीं है. लेकिन बीएसपी के साथ जिस गठबंधन पर अकाली दल इतरा रहा था, अब वही खतरे में पड़ गया है. देखना दिलचस्प होगा कि अकाली दल कौन से राजनीतिक दल से हाथ मिलाकर लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतरता है.
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