36 साल में 238 चुनाव लड़े, सब हारे, इस बार फिर भरा नामांकन... कौन हैं Election King K Padmarajan

पद्मराजन अपने 36 साल के पॉलिटिकल करियर में 238 बार चुनाव हार चुके हैं. इस दौरान उन्होंने नरेंद्र मोदी, एपीजे अब्दुल कलाम और अटल विहारी वाजपेयी जैसे हाई-प्रोफाइल नेताओं के खिलाफ भी चुनाव लड़ा है.

K. Padmarajan (Photo/PTI)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 07 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 3:06 PM IST
  • सालेम के रहने वाले पद्मराजन हारे हैं 238 चुनाव
  • चुनावी शौक के कारण कहलाए जाते हैं इलेक्शन किंग

हार अनुभव करने के बाद अलग-अलग लोगों का रवैया अलग-अलग होता है. केएफसी के फाउंडर कर्नल हारलैंड सैंडर्स ने 1009 बार रिजेक्ट होने के बाद केएफसी की पहली फ्रेंचाइजी स्थापित की थी, जबकि साउथ अफ्रीका के दिग्गज क्रिकेटर एबी डिवीलियर्स ने विश्व कप 2015 की हार के कारण क्रिकेट से जल्दी संन्यास ले लिया था. कुछ लोग हार के सदमे से उभरकर जीवन में दोबारा प्रयास करते हैं, तो कुछ नहीं भी कर पाते. लेकिन क्या आप उस भारतीय राजनेता को जानते हैं जिसने हार का आनंद लेना शुरू कर दिया है? 

भारत के इलेक्शन किंग के. पद्मराजन 

अपने जीवन में कुल 238 चुनाव हार चुके के. पद्मराजन ने 239वीं बार अपनी किस्मत आजमाने का फैसला किया है. तमिलनाडु के सालेम के रहने वाले पद्मराजन आगामी आम चुनावों में धर्मपुरी और थ्रिसुर से अपनी उम्मीदवारी पेश करेंगे. पद्मराजन किसी समय पर होम्योपैथी के डॉक्टर हुआ करते थे लेकिन अब वह सालेम के मेट्टुर शहर में टायर रिपेयर शॉप चलाते हैं. चुनाव लड़ने और हारने के शौक के कारण अब उन्हें इलेक्शन किंग कहा जाने लगा है.

राष्ट्रपति से लेकर विधायकी तक लड़ा है हर चुनाव

65 वर्ष के पद्मराजन का चुनाव हारने का अचूक रिकॉर्ड रहा है. वह पंचायत चुनावों से लेकर राष्ट्रपति चुनावों तक 238 बार नामांकन भर चुके हैं और हर बार उन्हें हार मिली है. वह पिछले 36 सालों में छह बार राष्ट्रपति चुनाव, छह बार उपराष्ट्रपति चुनाव, 32 बार लोकसभा चुनाव, 50 बार राज्यसभा चुनाव और 73 बार विधानसभा चुनाव लड़ते हैं.

कई बार हार का स्वाद चखने के बावजूद पद्मराजन चुनाव लड़ना नहीं छोड़ते. उनका मानना ​​है कि लोकतंत्र में हर किसी को चुनाव लड़ने का अवसर मिलना चाहिए. उनके अटूट हौसले के कारण उन्हें लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और दिल्ली बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में चुनावी इतिहास के सबसे असफल उम्मीदवार के रूप में भी पहचाना गया है. 

नरेंद्र मोदी तक के खिलाफ लड़ चुके हैं चुनाव

पद्मराज एपीजे अब्दुल कलाम, अटल विहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी जैसे बड़े नामों के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं. चुनाव लड़ते हुए उनकी कोशिश चुनाव जीतना नहीं बल्कि सिर्फ चुनाव लड़ने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करना होता है.

पद्मराज अपने चुनावी सफर के बारे में बताते हैं, “मैंने अब तक अटल बिहारी वाजपेयी, पीवी नरसिम्हा राव, जे जयललिता, एम करुणानिधि, एके एंटनी, वायलार रवि, बीएस येदियुरप्पा, एस बंगारप्पा, एसएम कृष्णा, विजय माल्या, सदानंद गौड़ा और अंबुमणि रामदास के खिलाफ चुनाव लड़ा है. मैं कुल मिलाकर छह बार राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव भी लड़ चुका हूं. मैं जीतना नहीं चाहता, बल्कि केवल हारना चाहता हूं. क्योंकि आप जीत का स्वाद केवल एक निश्चित समय के लिए ही चख सकते हैं, लेकिन हार आप बार-बार झेल सकते हैं." 

पद्मराजन अब तक चुनाव में एक करोड़ रुपए तक खर्च कर चुके हैं. वह अपनी टायर रिपेयर शॉप से होने वाली कमाई से ही अपने चुनावी खर्चे चलाते हैं.
साल 1991 में आंध्र प्रदेश में नरसिम्हा राव के खिलाफ चुनाव लड़ते हुए पद्मराजन को किडनैप भी कर लिया गया था. इसके बाद भी लोकतंत्र के प्रति उनका विश्वास कम नहीं हुआ.
वह अपनी निरंतर कोशिशों से लोगों तक यह संदेश पहुंचाना चाहते हैं कि चुनाव कोई भी लड़ सकता है. चाहे वह इंसान अमीर हो या गरीब, चायवाला हो या पंचरवाला.

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