देश अपनी नई सरकार चुनने के लिए तैयार है. 4 जून को लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे आने वाले हैं. हालांकि, बहुत कम लोग जानते हैं कि आखिर पोलिंग बूथ कैसे काम करते हैं, इसमें शामिल कर्मचारियों की भूमिका क्या होती है और चुनाव के दिन सभी प्रक्रियाओं का पालन कैसे किया जाता है. बता दें. हर पोलिंग बूथ की देखरेख एक बूथ-लेवल अधिकारी (BLO) द्वारा की जाती है.
4 से 6 स्टाफ होते हैं मौजूद
हर पोलिंग बूथ को 1,100 वोटों को संभालने के लिए डिजाइन किया गया है. बीएलओ सहित 4 से 6 स्टाफ सदस्य पोलिंग बूथ को संचालित करते हैं. अगर कई पोलिंग बूथ हैं तो ये बूथ कभी-कभी एक ही भवन में रखे जा सकते हैं. जबकि बीएलओ को हफ्तों पहले नियुक्त किया जाता है, बाकी पोलिंग स्टाफ को वोटिंग से पहले देर शाम तक रैंडम सिलेक्शन प्रोसेस के माध्यम से उनकी ड्यूटी सौंपी जाती है.
पोलिंग पार्टी कैसे बनती है?
एक स्टैंडर्ड पोलिंग पार्टी में 4 लोगों की एक टीम होती है जो चुनाव से एक दिन पहले मतदान केंद्र पर पहुंचती है. वे पोलिंग अधिकारियों और ईवीएम दोनों की सुरक्षा में सुरक्षा बलों के साथ बूथ पर रात भर रुकते हैं. मतदान केंद्र अक्सर स्कूलों में बनाए जाते हैं, जहां कर्मचारियों के लिए बिस्तर की व्यवस्था की जाती है. महिला स्टाफ सदस्यों के लिए अलग से व्यवस्था की जाती है. वे किसी स्थानीय निवासी के घर या नजदीकी स्थान पर सो सकती हैं. महिलाओं को घर जाने की अनुमति होती है लेकिन उन्हें पोलिंग के दिन सुबह 5 बजे तक वापस आना होता है.
बीएलओ की भूमिका
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, बीएलओ के पास अपने बूथ पर वोटर्स को वोटर स्लिप बांटने सहित कई प्रमुख जिम्मेदारियां होती हैं. पोलिंग पार्टी के रहने और खाने की व्यवस्था की जिम्मेदारी भी इन्हीं की है. इसके अलावा, बीएलओ मतदान क्षेत्र प्रबंधन प्रणाली (PAMS) के माध्यम से मतदान केंद्र पर भीड़ कितनी है इसकी स्थिति के बारे में भी जानकारी देते हैं. वे जिला निर्वाचन अधिकारी (DEO) को प्रति घंटे मतदान प्रतिशत की रिपोर्ट देने के लिए पोलिंग स्टाफ के साथ कोऑर्डिनेट भी करते हैं.
मतदान के दिन होता है मॉक पोल
यह सुनिश्चित करने के लिए कि ईवीएम सही ढंग से काम कर रही हैं, मतदान के दिन की शुरुआत सुबह 5 बजे मॉक पोल के साथ होती है. मॉक पोल में आमतौर पर प्रत्येक उम्मीदवार के लिए 5 वोट डाले जाते हैं, और फिर रिजल्ट की जांच की जाती है. इस प्रक्रिया में लगभग 20-30 मिनट का समय लगता है. परिणामों की पुष्टि करने के बाद, मशीनों को रीसेट कर दिया जाता है, और बूथ सुबह 6:30 बजे तक मतदाताओं के लिए तैयार कर दिया जाता है.
एक बार पोलिंग खत्म होने के बाद, ईवीएम को सील कर दिया जाता है और कड़ी सुरक्षा के तहत पोलिंग सेंटर पर ले जाया जाता है. ईवीएम के वितरण से लेकर आखिरी सीलिंग तक की पूरी प्रक्रिया में यह सुनिश्चित करने के लिए कई रिहर्सल और योजना शामिल है कि सब कुछ सुचारू रूप से चले.