प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) हर बार की तरह इस बार भी आखिरी वोटिंग से पहले साधना में लीन होंगे. लोकसभा चुनाव 2019 का चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद पीएम मोदी (PM Modi) ने केदारनाथ में ध्यान लगाया था. उससे पहले हुए चुनाव में वह छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रतापगढ़ गए थे. इस बार पीएम मोदी तमिलनाडु स्थित कन्याकुमारी जाएंगे. वह उसी स्थान (विवेकानंद रॉक मेमोरियल) पर साधना करेंगे जहां स्वामी विवेकानंद ने पूरे देश का भ्रमण करने के बाद तीन दिनों तक ध्यान लगाया था और विकसित भारत का सपना देखा था.
कब करेंगे कन्याकुमारी का दौरा
लोकसभा चुनाव 2024 के सातवें चरण में 57 लोकसभा सीटों के लिए 1 जून को मतदान होना है. इन सीटों के लिए चुनाव प्रचार 30 मई की शाम को थम जाएगा. आखिरी चुनाव प्रचार के दिन पीएम मोदी सुबह 11 बजे पंजाब के होशियारपुर में चुनावी सभा को संबोधित करेंगे. इसके बाद पीएम मोदी 30 मई से एक जून 2024 तक कन्याकुमारी के दौरे पर रहेंगे.पीएम मोदी विवेकानंद रॉक मेमोरियल पर 30 मई की शाम से 1 जून की शाम तक ध्यान करेंगे. वह रॉक मेमोरियल के उसी पत्थर पर ध्यान लगाएंगे, जहां स्वामी विवेकानंद ने ध्यान लगाया था. 543 लोकसभा सीटों के लिए 19 अप्रैल 2024 से सात चरणों में चुनाव हो रहा है. वोटों की गिनती 4 जून को होगी.
विकसित भारत का देखा था सपना
लोगों का मानना है कि जैसे सारनाथ भगवान गौतम बुद्ध के जीवन में विशेष स्थान रखता है क्योंकि वहां उन्हें बोध यानी ज्ञान प्राप्त हुआ था, वैसे ही यह चट्टान भी स्वामी विवेकानंद के लिए बेहद खास है क्योंकि यहां उन्होंने भारत के गौरवशाली अतीत का स्मरण करते हुए एक भारत और विकसित भारत का सपना देखा था. यहीं उन्हें भारत माता के दर्शन हुए थे. यहीं उन्होंने अपने बाकी बचे जीवन को भारत के गरीबों को समर्पित करने का निर्णय किया था. स्वामी विवेकानंद पूरे देश का भ्रमण करने के बाद 24 दिसंबर 1892 को कन्याकुमारी पहुंचे थे.
वह समुद्र तट से करीब 500 मीटर दूर इस चट्टान पर तैर कर पहुंचे थे. 25 से 27 दिसंबर 1892 तक यानी तीन दिनों तक वे इस चट्टान पर ध्यान करते रहे. उनके ध्यान का केंद्र भारत का भूत, वर्तमान और भविष्य था.उसी स्थान पर ध्यान करना स्वामी जी के विकसित भारत के दृष्टिकोण को जीवन में लाने और उसके माध्यम से देशवासियों के उत्थान के लिए पीएम मोदी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. पीएम मोदी कन्याकुमारी जाकर राष्ट्रीय एकता का संकेत देने की कोशिश कर रहे हैं.
जानिए विवेकानंद रॉक के बारे में
विवेकानंद शिला पर विवेकानंद स्मारक बनाने के लिए लंबा संघर्ष चला था. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाहक रहे एकनाथ रानडे ने इस शिला पर विवेकानंद स्मारक मंदिर बनाने में अहम भूमिका निभाई थी. देश के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. वीवी गिरि ने 2 सितंबर 1970 को स्मारक का उद्घाटन किया था. उद्घाटन समारोह दो महीने तक चला था. इसमें तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी भी शामिल हुई थीं. अप्रैल में पड़ने वाली चैत्र पूर्णिमा पर यहां चंद्रमा और सूर्य दोनों एक साथ एक ही क्षितिज पर आमने-सामने दिखाई देते हैं. इस स्मारक का प्रवेश द्वार अजंता और एलोरा गुफा मंदिरों के समान है.
इसका मंडपम कर्नाटक स्थित बेलूर के श्री रामकृष्ण मंदिर के समान है. विवेकानंद शिला का पौराणिक महत्व भी है. पौराणिक कथाओं के अनुसार देवी पार्वती भगवान शिव की प्रतीक्षा करते हुए उसी स्थान पर एक पैर पर ध्यान करती थीं. यह भारत का सबसे दक्षिणी छोर है. इसके अलावा यह वह स्थान है जहां भारत की पूर्वी और पश्चिमी तटरेखाएं मिलती हैं. यह हिंद महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर का मिलन बिंदु भी है.
चुनाव समापन से पहले यात्राएं कर चुके हैं पीएम मोदी
यह पहली बार नहीं है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान समाप्त कर इस तरह के महत्वपूर्ण स्थान का दौरा कर रहे हैं. लोकसभा चुनाव 2019 में अंतिम चरण के मतदान से ठीक पहले पीएम मोदी ने केदारनाथ का दौरा किया था. वे केदारनाथ मंदिर से करीब एक किलोमीटर दूर रूद्र गुफा में ध्यान करने गए थे. यहां उन्होंने 17 घंटे ध्यान लगाया था. गुफा में ध्यान करते हुए उनकी तस्वीरें बेहद प्रचारित हुईं थीं और उसके बाद ये गुफा धार्मिक पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन चुका है. इसी तरह लोकसभा चुनाव 2014 के दौरान पीएम मोदी ने छत्रपति शिवाजी महाराज के प्रतापगढ़ का दौरा किया था.