18th Lok Sabha: Bhartruhari Mahtab चुने गए लोकसभा के प्रोटेम स्पीकर, जानिए कौन हैं महताब और क्या हैं इनके पद की शक्तियां

प्रोटेम (Pro-tem) लैटिन भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है अस्थायी या 'बहुत कम समय के लिए.' संविधान में प्रोटेम स्पीकर पद का जिक्र नहीं है. हालांकि आधिकारिक 'संसदीय कार्य मंत्रालय की कार्यप्रणाली पर हैंडबुक' में प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति और शपथ ग्रहण का जिक्र आता है.

महताब कटक से सात बार के सांसद हैं.
शादाब खान
  • नई दिल्ली,
  • 20 जून 2024,
  • अपडेटेड 11:05 PM IST
  • सात बार के सांसद हैं महताब
  • लोकसभा चुनाव 2024 से पहले ज्वाइन की थी बीजेपी

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को सात बार के सांसद भर्तृहरि महताब को लोकसभा का प्रोटेम स्पीकर (Protem Speaker) नियुक्त किया. संसदीय मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसकी जानकारी दी. रिजिजू ने लिखा, "राष्ट्रपति लोकसभा सदस्य भर्तृहरि महताब को अध्यक्ष के चुनाव तक अध्यक्ष के कर्तव्यों का पालन करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 95(1) के तहत प्रोटेम स्पीकर के रूप में नियुक्त करते हुए खुश हैं." 
राष्ट्रपति मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 99 के तहत 18वीं लोकसभा के सदस्य सुरेश कोडिकुन्निल,  थालिकोट्टई राजुथेवर बालू, राधा मोहन सिंह, फग्गन सिंह कुलस्ते और सुदीप बंद्योपाध्याय को प्रोटेम स्पीकर की मदद के लिए नियुक्त किया है. 

कौन हैं महताब?
आठ सितंबर 1957 को जन्मे महताब ओडिशा के पहले मुख्यमंत्री हरेकृष्णा महताब के बेटे हैं. वह ओडिशा की कटक लोकसभा सीट से सात बार के सांसद हैं. महताब 1998 से बीजेडी (Biju Janta Dal) की टिकट पर यह सीट जीत रहे थे. लेकिन इस साल के चुनावों से पहले उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी ज्वाइन कर ली. सातवीं बार वह बीजेपी की टिकट पर कटक सांसद बने हैं. 

साल 2017 में महताब को उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार दिया गया था. इसके अलावा उन्हें वाद-विवाद में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए 'संसद रत्न पुरस्कार' से भी सम्मानित किया जा चुका है. 

क्या होता है प्रोटेम स्पीकर
प्रोटेम (Pro-tem) लैटिन भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है अस्थायी या 'बहुत कम समय के लिए.' संविधान में प्रोटेम स्पीकर पद का जिक्र नहीं है. हालांकि आधिकारिक 'संसदीय कार्य मंत्रालय की कार्यप्रणाली पर हैंडबुक' में प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति और शपथ ग्रहण का जिक्र आता है. हैंडबुक में कहा गया है कि जब नई लोकसभा से पहले अध्यक्ष का पद खाली हो जाता है, तो “अध्यक्ष के कर्तव्यों का पालन सदन के एक सदस्य द्वारा किया जाता है जिसे राष्ट्रपति द्वारा प्रोटेम स्पीकर के रूप में इस उद्देश्य के लिए नियुक्त किया जाता है.” 

नए सांसदों को शपथ दिलाना प्रोटेम स्पीकर का पहला काम है. संविधान के अनुच्छेद 99 के तहत, "सदन का हर सदस्य, अपनी सीट लेने से पहले राष्ट्रपति या उनके द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष संविधान की तीसरी अनुसूची में इस उद्देश्य से निर्धारित प्रपत्र के अनुसार शपथ लेगा या प्रतिज्ञान करेगा और उस पर हस्ताक्षर करेगा." 

आम तौर पर सांसदों को शपथ दिलाने के लिए राष्ट्रपति लोकसभा के तीन अन्य निर्वाचित सदस्यों को भी नियुक्त करता है. हैंडबुक के अनुसार आमतौर पर सबसे वरिष्ठ सांसदों को इस उद्देश्य के लिए चुना जाता है. इस बार सुरेश कोडिकुन्निल, थालिकोट्टई राजुथेवर बालू, राधा मोहन सिंह, फग्गन सिंह कुलस्ते और सुदीप बंद्योपाध्याय सहित कुल पांच सांसदों को इस काम के लिए चुना गया है. 

नए सांसदों को कैसे दिलाई जाती है शपथ?
प्रधानमंत्री की मंजूरी के बाद संसदीय कार्य मंत्री आम तौर पर टेलीफोन पर इन सदस्यों की सहमति प्राप्त करते हैं. इसके बाद मंत्री राष्ट्रपति को एक नोट सौंपते हैं, जिसमें प्रोटेम स्पीकर और अन्य सदस्यों की नियुक्ति के लिए मंजूरी मांगी जाती है. वे शपथ ग्रहण समारोह की तारीख और समय भी तय करते हैं. 

राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद मंत्रालय प्रोटेम स्पीकर और अन्य सदस्यों को उनकी नियुक्तियों की जानकारी देता है. अंत में राष्ट्रपति, राष्ट्रपति भवन में प्रोटेम स्पीकर को शपथ दिलाते हैं. इसके बाद प्रोटेम स्पीकर उनकी मदद के लिए चुने गए सदस्यों को लोकसभा में शपथ दिलाते हैं.

इसके बाद प्रोटेम स्पीकर अन्य तीन सदस्यों की मदद से नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाते हैं. चूंकि लोकसभा का सत्र सुबह 11 बजे शुरू होता है, इसलिए आमतौर पर प्रोटेम स्पीकर के शपथ ग्रहण के लिए राष्ट्रपति की सुविधा के अधीन उसी दिन सुबह 9:30 बजे का समय तय किया जाता है. 

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