Lok Sabha Election 2024: मिशन 40 से 400 प्लस पर निशाना... PM Modi क्यों लाए Nitish को अपने साथ... कैसे BJP को लोकसभा चुनाव में होगा फायदा... समझिए पूरा गणित

BJP Mission 2024: सीएम नीतीश कुमार की बिहार में अति पिछड़ा वर्ग पर अच्छी-खासी पकड़ है. बीजेपी के साथ नीतीश के जुड़ने पर ये वोटर्स एनडीए के पाले में आ सकते हैं. नीतीश का साथ मिलने से लालू यादव की शक्ति बढ़ गई थी, जो लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए खतरे की घंटी हो सकती थी. पीएम मोदी ने पहले कर्पूरी कार्ड फिर नीतीश को साथ मिलाकर बिहार में मिशन 40 का टारगेट सेट कर दिया है.

PM Modi and Nitish Kumar
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 30 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 12:58 AM IST
  • बिहार में अति पिछड़ा वोटर्स पर नीतीश की है पकड़
  • नीतीश कुमार को महिलाएं भी करती हैं बढ़-चढ़कर वोट 

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का लोकसभा चुनाव 2024 को फतह करने के लिए नारा अगली बार 400 पार है. इसे हर हाल में वह पूरा कर जीत की हैट्रिक लगाना चाहती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृहमंत्री अमित शाह सहित भाजपा के अन्य नेता जी-जान से मिशन 2024 में जुटे हुए हैं. बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य रखा गया है. 40 से 400 प्लस पर निशाना साधने के लिए पीएम मोदी ने अपने खेमे में नीतीश कुमार को जोड़ लिया है. आइए जानते हैं इससे बीजेपी को कैसे फायदा होगा? 

नीतीश और लालू एक साथ मिलकर पेश कर सकते थे चुनौती
एनडीए ने 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 में से 39 सीटों पर जीत हासिल की थी. तब इसमें बीजेपी, जदयू और लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) शामिल थीं. अब नीतीश कुमार वापस एनडीए में आ गए हैं तो बीजेपी की बिहार में वही प्रदर्शन दोहराने की उम्‍मीद बढ़ गई है. भगवा पार्टी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में 400 का आंकड़ा पार करने का टारगेट सेट किया है. बिहार में पिछला प्रदर्शन दोहराए बगैर यह लक्ष्‍य हासिल कर पाना मुश्किल होगा. इसलिए नीतीश को पीएम मोदी ने अपने साथ जोड़ लिया है. बीजेपी के लिए नीतीश और लालू एकसाथ मिलकर बिहार में बड़ी चुनौती पेश कर सकते थे. खासतौर से हाल में जाति सर्वेक्षण के बाद जिसका समर्थन सीएम ने किया था.

अति पिछड़ा वोटर्स आ सकते हैं एनडीए के पाले में 
वोट बैंक के लिहाज से देखें तो बीजेपी को लगता है कि सीएम नीतीश के आने से अति पिछड़ा वोटर्स एनडीए के पाले में आ सकते हैं. जो कुछ समय पहले तक बीजेपी के लिए एक मुश्किल टास्क दिख रहा था. बिहार में अति पिछड़ा 36 फीसदी हैं. ये बिहार की सबसे बड़ी आबादी है. पिछड़ा 27, एससी 20 फीसदी, सवर्ण 15 फीसदी और एसटी दो फीसदी है. ऐसी ट्रेंड देखा गया है कि नीतीश कुमार को महिलाएं भी बढ़ चढ़कर वोट करती हैं.

बीजेपी ने एक झटके में विरोधियों को दे दिया मात
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद ऐसा माना जा रहा था कि बिहार में हुए जातिगत सर्वे को आधार बनाकर विपक्षी दल बीजेपी को लोकसभा चुनाव में घेरेंगे. हालांकि जातिगत सर्वे करवाने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की एनडीए में एंट्री के साथ ही विपक्षी दलों के हाथ से यह एक बड़ा मुद्दा बहुत हद तक दूर चला गया है. साथ ही कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर पीएम मोदी ने बिहार के जातिगत गणित को साधने की भी कोशिश की है. 

जातिगत समीकरण पर एनडीए गठबंधन की पकड़ हुई मजबूत 
नीतीश कुमार के भाजपा से जुड़ने के बाद बिहार की राजनीति में जातिगत समीकरण पर भी एनडीए की मजबूत पकड़ हो गई है. जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा, चिराग पासवान जैसे नेता यदि एनडीए के साथ बने रहते हैं तो एनडीए का वोट शेयर 60 प्रतिशत से पार पहुंच सकता है. पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए को लगभग 53 प्रतिशत वोट मिले थे और उसने 39 सीटों पर जीत दर्ज की थी. ऐसे में जदयू की एंट्री के बाद एनडीए का मिशन 40 बहुत हद तक करीब दिखता है. 

जदयू को भी होगा फायदा
आंकड़े बताते हैं कि जदयू को भी अकेले के बजाए गठबंधन में चुनावी मैदान में उतरने पर फायदा होता है. साल 2014 में बिहार की तीनों बड़ी पार्टियां राजद, जदयू और भाजपा ने अलग-अलग चुनाव लड़े थे. जदयू दो सीटों तक सीमित रह गई और वोट शेयर 16.04 प्रतिशत रहा. जबकि, 2019 लोकसभा चुनाव में एनडीए के साथ लड़ने पर जदयू को 16, भाजपा को 17 और एलजेपी के खाते में 6 सीटें आई थीं. इस दौरान एनडीए को मिले 54.40% वोट में 22.3% वोट जदयू का था. जबकि महागठबंधन का वोट शेयर 31.40 फीसदी था.

महागठबंधन के खाते में जुड़ गया था जदयू का वोट
2022 में नीतीश राजद के साथ चले गए, इसलिए महागठबंधन के खाते में जदयू का 22.3% वोट जुड़ गया. साल 2024 में महागठबंधन पर बढ़त हासिल करने के लिहाज से नीतीश का आना भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, क्योंकि पहले आरजेडी (महागठबंधन) के साथ पहुंचा जदयू का 22.3 फीसदी वोट शेयर फिर एनडीए के खाते में जुड़ सकता है.

 2009 लोकसभा चुनाव भी भाजपा और जदयू के लिए अच्छी खबर लाए थे. दोनों पार्टियों ने गठबंधन कर 37.97 फीसदी वोट शेयर के साथ 32 सीटें अपने नाम की थीं. तब जदयू 25 सीटों में से 20 पर जीती थी और 15 सीटों पर लड़ने वाली भाजपा को 12 सीटें मिली थीं. जदयू इस साल अपनी सीटों में सुधार करना चाहेगी. जाति सर्वेक्षण के हथियार से लैस नीतीश राज्य में अपनी पहुंच का विस्तार करने के लिए भव्य राम मंदिर उद्घाटन के बाद बीजेपी के हिंदुत्व एजेंडे का फायदा जोड़ना चाहेंगे.

INDIA गठबंधन को झटका
2022 में एनडीए से अलग होने के बाद ही नीतीश विपक्ष को एकजुट करने में लग गए थे. उन्होंने विपक्षी गठबंधन INDIA के कप्तान के तौर पर देखा जाने लगा था. संयोजक के तौर पर उनके नाम पर सहमति नहीं बन सकी. भाजपा में एंट्री की कहानी जनवरी की शुरुआत में INDIA गठबंधन की बैठक में जब नीतीश कुमार को संयोजक नहीं बनाया गया, बल्कि कांग्रेस अध्यक्ष को आगे बढ़ाया गया तभी नीतीश कुमार ने पाला बदलने का मन बना लिया था. बीजेपी भी उन्हें अपने साथ जोड़ना चाहती थी क्योंकि पीएम मोदी को लगता था कि यदि नीतीश INDIA गठबंधन से दूर हो जाएंगे तो उस महागठबंधन का मायने कुछ नहीं रह जाएगा. 

एनडीए के सामने अब क्या हैं चुनौतियां
नीतीश कुमार की एनडीए में एंट्री के साथ ही एनडीए में सीट बंटवारे की चुनौती भी आएगी. 40 लोकसभा सीटों वाले राज्य में अभी एनडीए के पास 39 सीटें हैं. बीजेपी के पास 17, जदयू के पास 16 और लोजपा के पास 6 सीटें हैं. हालांकि लोजपा में विभाजन के बाद दोनों गुटों की तरफ से 6-6 सीटों का दावा होता रहा है. इसके अलावा नीतीश कुमार की सरकार का हिस्सा जीतन राम मांझी की पार्टी भी कम से कम 2 सीटों पर दावा कर रही है. इसके अलावा उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी भी 3 सीटों की मांग करती रही है. ऐसे में सभी दलों को सीट देकर संतुष्ट कर पाना बेहद कठिन माना जा रहा है. इसके साथ ही बीजेपी गठबंधन को नीतीश कुमार की तेजी से कम होती विश्वसनीयता के मुद्दे से भी 2-4 होना होगा.

बिहार में 2019 चुनाव में किस पार्टी को कितनी सीटें मिलीं
1. भारतीय जनता पार्टी ने 17 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. बीजेपी के सभी उम्मीदवार विजयी हुए थे. भाजपा को कुल 96.1 लाख वोट मिले थे. वोट प्रतिशत 24.06 प्रतिशत था.
2. जदयू ने भी 17 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. 16 सीट पर सफलता मिली थी. जदयू को कुल 89 लाख वोट मिले थे. वोट प्रतिशत 22.03 प्रतिशत था.
3. लोजपा ने 6 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. सभी उम्मीदवार विजयी हुए थे. लोजपा को कुल 32 लाख वोट मिले थे. वोट प्रतिशत 8.02 प्रतिशत था.
4. राजद ने 19 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. किसी भी प्रत्याशी को को जीत नहीं मिली थी. राजद को कुल 15.68 लाख वोट मिले थे. वोट प्रतिशत 15.68 प्रतिशत था.
5. कांग्रेस ने 9 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. एक सीट पर जीत मिली थी. कांग्रेस को कुल 31.4 लाख वोट मिले थे. वोट प्रतिशत 7.85 प्रतिशत था.
6. रालोसपा ने 5 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी. रालोसपा को कुल 14.6 लाख वोट मिले थे. वोट प्रतिशत 3.66 प्रतिशत था.
7. हम (सकुलर) ने 3 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी. हम (सकुलर) को कुल 9.5 लाख वोट मिले थे. वोट प्रतिशत 2.39 प्रतिशत था.
8. वीआईपी ने 3 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी. वीआईपी को कुल 6.6 लाख वोट मिले थे. वोट प्रतिशत 1.65 प्रतिशत था.

 

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