इंडिया गठबंधन ने उत्तर प्रदेश की 80 संसदीय सीटों के चुनाव में भाजपा को स्तब्ध कर दिया है. गठबंधन ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए 80 में से 43 सीटें जीत ली हैं जबकि भाजपा को 33 सीटें ही मिल सकी हैं. उत्तर प्रदेश में बीजेपी के खराब प्रदर्शन के बाद अब पार्टी के भीतर जीते और हारे उम्मीदवारों ने इस बदतर प्रदर्शन के लिए आस्तीन के सांप और गद्दार जैसे शब्दों का इस्तेमाल शुरू कर दिया है. ज्यादातर मंत्री चुनाव हार गए जो जीते वह भी बड़ी मुश्किल से जीत पाए ऐसे में सबने अब पार्टी के भीतर के नेताओं पर ही ठीकरा फोड़ना शुरू कर दिया है.
उन्नाव से साक्षी महाराज हालांकि लगातार तीसरी बार जीते हैं लेकिन उनका अंतर काफी कम हो गया है और उन्होंने इसके लिए पार्टी के भीतर के कुछ गद्दार और आस्तीन के सांप को जिम्मेदार ठहराया है. फतेहपुर से चुनाव हार चुकी केंद्रीय मंत्री निरंजन ज्योति ने भी पार्टी के भीतर के कुछ लोगों के द्वारा भीतरघात करने को अपनी हार का जिम्मेदार बताया है.
सूत्रों की मानें तो मिर्जापुर में अनुप्रिया पटेल के नजदीकी लोगों का भी मानना है कि बीजेपी के कई नेता ऊपर से तो साथ दिखे लेकिन अंदर ही अंदर हराने में अपनी ताकत लगाते रहे. जौनपुर से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे कृपाशंकर सिंह ने कहा कि हार से निराश नहीं है लेकिन वह अपने हार की वजह शीर्ष नेताओं को बताएंगे.
हालांकि सहारनपुर से दूसरी बार चुनाव हारे राघव लखनपाल का मानना है कि 400 पर के नारे का उल्टा असर पड़ा और दलितों ने भाजपा के खिलाफ वोट दिया है. कुछ इसी तरह की रिपोर्ट जीते और हारे उम्मीदवारों की मुख्यालय में पहुंचने लगी है. बीजेपी के कुछ उम्मीदवारों ने नेताओं की लंबी चौड़ी फेहरिस्त अपने-अपने लोकसभा की भेजी है जिसमें पार्टी के लिए भीतरघात करने वाले छोटे से बड़े नेताओं के नाम हैं.
हार की वजह बेशक कई नेता पार्टी के भीतरघात को ठहरा रहे हो लेकिन यह भी सच है कि बीजेपी का एक बड़ा वोट वर्ग इस बार बीजेपी से निकल गया ओबीसी में बीजेपी का वोट वर्ग माने जाने वाली कुशवाहा कुर्मी मौर्य शाक्य इन बिरादरियों में बड़ी सेंध लगी और दलित बिरादरी का बड़ा हिस्सा चुपचाप बीजेपी के खिलाफ इंडिया एलाइंस को वोट कर गया.