बहुजन समाज पार्टी (BSP) की मुखिया मायावती ने एक बार फिर पश्चिमी यूपी को राज्य बनाने का दांव चला है. मायावती ने ऐलान किया है कि अगर केंद्र में उनकी सरकार की मजबूत हिस्सेदारी होती है तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे. ये पहली बार नहीं है, जब मायावती ने सूबे को बांटने का सियासी दांव चला है. इससे पहले भी बीएसपी कई बार उत्तर प्रदेश को बांटने की मांग कर चुकी है.
बीएसपी का अलग राज्य का दांव-
बीएसपी ने एक बार फिर पश्चिमी यूपी को अलग राज्य बनाने का दांव चला है. पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने मुजफ्फरनगर में चुनावी मंच से एक बार फिर प्रदेश विभाजन का कार्ड चला है. मायावती ने बीएसपी प्रत्याशी के समर्थन में रैली की और कहा कि अगर केंद्र में उनकी सरकार मजबूती के साथ आती है तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अलग राज्य बनाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे. इस तरह से एक बार फिर विभाजन की बात चुनावी माहौल में सामने आ गई है. मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से बीएसपी ने दारा सिंह प्रजापति को उम्मीदवार बनाया है.
सूबे को बांटना बीएसपी के एजेंडे में शामिल-
पहले से ही बीएसपी के एजेंडे में प्रदेश का विभाजन शामिल रहा है और मायावती खुले मंचों से इसकी मांग करती रही हैं. पश्चिमी यूपी में दो मांग हर चुनाव में उठती रही है. पश्चिमी यूपी को राज्य बनाना और हाईकोर्ट की बेंच पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लाने की मांग उठती रही है. इसके लिए आगरा और मेरठ का नाम भी चर्चा में रहा है.
उत्तर प्रदेश सबसे बड़ी लोकसभा सीटों वाला राज्य है और पूर्व से पश्चिम तक इसमें काफी विविधता भी है. ऐसे में हाईकोर्ट इलाहाबाद में होने से कानूनी मामलों में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है. हाईकोर्ट की एक पीठ लखनऊ में बनाई गई है, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए यह भी बहुत नजदीक नहीं है.
इस मामले को लेकर समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और बीजेपी तीनों ही दल एक नजर आ रहे हैं और मायावती पर अपनी सरकार में रहते यह काम ना करने का आरोप लगा रहे हैं और विभाजन की राजनीति कर वोट लेने की तरकीब बता रहे हैं.
वरिष्ठ पत्रकार बृजेश शुक्ला बताते हैं कि यूपी में पहले भी इस तरह की मांगे उठती रही हैं. मायावती के अलावा आरएलडी भी पश्चिमी यूपी को अलग राज्य बनाने की मांग कर चुकी है, तो वहीं राजा बुंदेला ने बुंदेलखंड को अलग बनाने की मांग करते रहे हैं. लेकिन यह सब चुनाव जीतने का टोटका होता है. हालांकि किसी भी दल का इसको लेकर कोई भई प्रयास सफल नहीं हो पाया है.
ये भी पढ़ें: