Modi 3.0: मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की कैबिनेट में घट सकती है UP की हिस्सेदारी, 7 मंत्री चुनाव हारे

UP Lok Sabha Election Result 2024: लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश में एनडीए को 36 सीटों पर जीत मिली है. इसमें से बीजेपी को 33 सीट और सहयोगी दल आरएलडी को 2 सीट के साथ अपना दल को एक सीट मिली है. पिछले आम चुनाव में यूपी में एनडीए को 64 सीटों पर जीत मिली थी. कयास लगाए जा रहे हैं कि मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के मंत्रिमंडल में उत्तर प्रदेश का रुतबा कम हो सकता है.

PM Modi with Nadda, Naidu, Nitish Kumar and other leaders
शिल्पी सेन
  • लखनऊ,
  • 07 जून 2024,
  • अपडेटेड 7:44 AM IST

लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों के बाद 7 जून को होने वाली एनडीए की बैठक, जहां केंद्र की भावी सरकार और सहयोगी दलों के लिए अहम है, वहीं यूपी के आगे की तस्वीर के लिए भी अहम होगी. जहां सहयोगी दल महत्वपूर्ण मंत्रालयों की मांग कर रहे हैं, वहीं यूपी में एनडीए के 'दोस्तों' में से सिर्फ अपना दल की अनुप्रिया पटेल को ही जीत मिली है. इसके साथ ही यूपी में बीजेपी के खराब प्रदर्शन को देखते हुए कयास लगाए जा रहे हैं कि केंद्र सरकार में यूपी का रुतबा कम हो सकता है.

केंद्र सरकार में कम हो सकता है यूपी का रुतबा-
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद अब मोदी 3.0 के गठन के लिए एनडीए में शामिल दलों के साथ बैठक होने वाली है. इस बीच सहयोगियों में से चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार की सरकार में शामिल होने को लेकर उनकी मांगों पर चर्चा हो रही है. इसके बाद ये सवाल भी उठ रहे हैं कि ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार में उत्तर प्रदेश के मंत्रियों की संख्या घट सकती है. यूपी में बीजेपी अपने पुराने प्रदर्शन से काफी पीछे रह गयी है. ऐसे में यूपी की भागीदारी कम होने के कयास लगाए जा रहे हैं.

मोदी के 7 मंत्री हारे चुनाव-
यूपी में बीजेपी के सात केंद्रीय मंत्री चुनाव हार गए हैं. इनमें महेंद्र नाथ पांडे, स्मृति ईरानी, अजय मिश्र टेनी, संजीव बालियान, साध्वी निरंजन ज्योति, भानु प्रताप वर्मा, कौशल किशोर शामिल हैं. इन सबको न सिर्फ़ अपने अपने क्षेत्र में करारी शिकस्त मिली है, बल्कि उनमें से कई के प्रति रिपोर्ट्स भी अच्छी नहीं मिली. जबकि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा, राजनाथ सिंह, एसपीएस बघेल, पंकज चौधरी चुन कर संसद पहुँचे हैं. अगर साल 2019 से तुलना की जाए तो यूपी ने दिल्ली में मोदी सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई थी, तब सहयोगी दलों के साथ मिलकर बीजेपी ने यूपी से 65 सीटें जीती थी्. इसी वजह से केंद्रीय मंत्रिमंडल में प्रतिनिधित्व देते हुए प्रधानमंत्री समेत 14 मंत्री बनाए गए थे. जबकि इस बार ये आंकड़ा 36 पर ही सिमट गया है. ऐसे में ये तय माना जा रहा है कि यूपी से मंत्रियों की संख्या कम होगी.

गठबंधन दलों के एक एक नाम पहले से ही मंत्री पद के लिए हैं. अनुप्रिया पटेल का तीसरी बार मंत्री बनना तय है, जबकि आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी भी यूपी के कोटे और सहयोगी दल के मुखिया होने के नाते मंत्री बनेंगे. उसके अलावा पार्टी का कोई अन्य सहयोगी (राजभर-निषाद) का सांसद जीतकर नहीं पहुँचा है. इसलिए पार्टी को अपने में से ही मंत्री पद देना होगा. 

यूपी में जातीय समीकरण साधना भी जरूरी-
ख़ास बात ये है कि जो मंत्री चुनाव नहीं जीत पाए हैं. उनकी जगह उनकी जाति के दूसरे सांसदों को मंत्री बनाया जा सकता है. राजनीतिक नजरिए से उत्तर प्रदेश की कई जातियों को नज़रंदाज़ नहीं किया जा सकता. ऐसे में जातीय समीकरण बनाने के लिए पुराने मंत्रियों की जगह उनकी ही जाति के नए चेहरों को जगह दी जा सकती है. मोदी के दूसरे कार्यकाल में महेंद्र नाथ पांडे, अजय मिश्र टेनी ब्राह्मण चेहरा थे. ऐसे में कम से कम एक ब्राह्मण मंत्री यूपी से होगा. कहा जा रहा है कि योगी सरकार के मंत्री जितिन प्रसाद को मौका मिल सकता है. राज्यसभा सांसद पूर्व डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा या पूर्व मंत्री महेश शर्मा को भी मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है. इसके अलावा तेजतर्रार छवि वाले लक्ष्मीकान्त वाजपेयी का नाम भी शामिल हो सकता है. हालांकि सतीश गौतम ने जीत दर्ज की है, लेकिन चुनाव से पहले उनके बयान को लेकर ब्राह्मण और क्षत्रिय समुदाय की नाराजगी को देखते हुए पार्टी क्या ये जोखिम लेती है? ये देखना होगा.

दलित-ओबीसी चेहरों से संदेश देने की कवायद-
अखिलेश यादव के PDA नारे और लोकसभा चुनाव की जीत में दलित प्रत्याशियों की अहम भूमिका को देखते हुए यूपी से कम से कम दो दलित समुदाय के मंत्री बनाए जा सकते हैं. एसपीएस बघेल के अनुभव को देखते हुए उनको मौका मिला सकता है, तो वहीं अनूप वाल्मीकि को भी जगह मिल सकती है. इस बार के चुनाव में बीएसपी का बेस वोट समाजवादी पार्टी में शिफ़्ट होने के संकेत मिले हैं. इसलिए मंत्रिमंडल में यूपी से दलित समुदाय के दो मंत्री बनाए जा सकते हैं. वहीं इस बार यूपी में चर्चा में रहे ओबीसी फ़ैक्टर का चुनाव पर असर पड़ा है. इसका ध्यान भी मोदी 3.0 सरकार बनाते समय रखना होगा. भोला सिंह, पंकज चौधरी, छत्रपाल गंगवार में से किसी को मंत्री बनाया जा सकता है. कुर्मी वोटरों की इस बार महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए आगे उनको संदेश देने की कोशिश की जा सकती है. इसके लिए पंकज चौधरी को मंत्री बनाया जा सकता है.

पिछली सरकार में महिला मंत्रियों में स्मृति ईरानी, साध्वी निरंजन ज्योति और अपना दल की अनुप्रिया पटेल थीं. इस बार सिर्फ़ दो महिलाएँ बीजेपी से चुन कर संसद पहुँची हैं. ऐसे में अनुप्रिया पटेल के अलावा हेमा मालिनी ही हैं. अनुप्रिया पटेल का मंत्री बनना तय है, जबकि युवा चेहरे के तौर पर शाहजहांपुर से जीत कर आए अरुण सागर को भी जगह मिल सकती है.

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